शासन के कृषि को लाभ का धंधा बनाने के संकल्प को सतना जिले के बिरसिंहपुर तहसील के पगारकला निवासी 45 वर्षीय किसान विष्णु तिवारी ने पूरे मनोयोग से अपनाकर अपने खेतों में गेंहू चना की फसल के साथ संतरे के बगीचे लगाकर पूरा कर दिखाया है। चित्रकूट क्षेत्र के पगारकला गॉव के किसान विष्णु तिवारी ने अपनी परम्परागत खेती के साथ संतरे की भी फसल लगाई।
संतरे की फसल से मिल रही आमदनी ने विष्णु की तस्वीर और तकदीर ही बदल कर रख दी है। महाराष्ट्र प्रांत के किसानों के बागानों से कहीं अधिक सुन्दर और स्वादिष्ट संतरा लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है और स्थानीय बाजार में इसकी मांग भी भरपूर है। किसान का बाग मीठे संतरे के फलों से गुलजार है। एक एकड़ में लगाये संतरे के पौधों से हर वर्ष 4 से 5 लाख की आमदनी हो रही है।
स्थानीय बाजार में 30-40 रुपए किलो के मान से उनका संतरा हमेशा ही बिकता है। संतरे की खेती से उत्साहित होकर विष्णु तिवारी और अधिक क्षेत्र में नई कलमें रोप रहे हैं और इसे अपनी आय का मुख्य साधन बनाना चाहते हैं। संतरे के बाग और आमदनी देखकर गांव के दो अन्य किसानों ने भी संतरे के बाग लगाये हैं।
विष्णु तिवारी का कहना है कि वे जीरो बजट की अर्थात जैविक खेती कर रहे हैं। रासायनिक खाद कीटनाशक व महंगे संसाधनों का प्रयोग नहीं करते। मौसमी खेती के साथ-साथ ही संतरे और अमरूद की बागवानी कर अपनी आय में कई गुना इजाफा कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र मझगवां के कृषि वैज्ञानिकों की भी राय है कि चित्रकूट अंचल की मिट्टी में संतरे की फसल के लिये सभी तत्व मौजूद है और इस क्षेत्र की जलवायु भी बागवानी के लिये सर्वथा अनुकूल है। पगारकला गॉव में संतरे की लाभकारी खेती देखकर आसपास के गांवों के किसान भी इसे अपना रहे हैं।
साभारः नई दुनिया
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