लोग खेती में नवाचार के माध्यम के कई रिकॉर्ड अपने नाम कर रहे हैं. इसी के चलते आज हम एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने राजस्थान की जमीन में आलू उगाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज किया है. जी हां यह नवाचार करने किसान का नाम है विक्रम सिंह, जिन्होंने राजस्थान के बाड़मेर के तारतार गांव में आलू उगाने का करिश्मा किया है. जिनके साथ अब देश ही नहीं बल्कि विदेशी कंपनियां भी जुड़ चुकी है.
विक्रम सिंह कृषि जागरण से खास बातचीत में बताते हैं कि उनका ननिहाल गुजरात में है, वहां डीसा एक जहग है जहां पर पूरे भारत में सबसे अधिक आलू का उत्पादन होता है. कोरोना काल के दौरान उनके ननिहाल से बहुत से लोग वहां आए, तब उन्होंने कहा कि इस जमीन पर आलू की खेती की जा सकती है. हालांकि कुछ कारणों के चलते उस वर्ष आलू की खेती नहीं की जा सकी, लेकिन अच्छी बात यह भी थी कि उस दौरान आलू की कीमतें बहुत ही कम हो चुकी थीं, जिसके चलते किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा.
McCain के साथ साझेदारी
विक्रम सिंह आलू की खेती का आइडिया लेकर जेट्टा फॉर्म के पास गए, फिर वह कृषि सलाहकारों से भी मिले और उनके सहयोग से McCain के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया. कॉन्ट्रैक्ट की खास बात यह थी, उनके आलू को McCain कंपनी फैंच फ्राइस बनाने के लिए उपयोग में लाएगी.
विक्रम सिंह बताते है कि पहले आलू की खेती कहीं और की जानी थी, मगर उन्होंने सोचा कि क्यों ना अपने ही गांव में रहकर नवाचार किया जाए और लोगों को भी रोजगार दिया जाए. वह कहते हैं कि राजस्थान में पहली बार आलू कि खेती होना उनके लिए व राज्य के लिए गर्व की बात है. विक्रम सिंह किसान के पास 200 एकड़ जमीन है. जिसमें से अभी 65 बीघा जमीन में आलू की खेती की जा रही है.
बाड़मेर को बनाएंगे आत्मनिर्भर
कृषि जागरण से बात करते हुए उन्होंने बताया कि भविष्य में वह अपनी खाली पड़ी जमीन का उपयोग खेती के लिए ही करेंगे. साथ ही बाड़मेर जिले की अधिकतर जमीन में किसानों को ऐसे ही नवाचार करने के लिए प्रेरित भी करेंगे. ताकि जिले के किसी भी व्यक्ति को नौकरी के लिए बाहर जाना ना पड़े. इसके अलावा वह अपनी जमीन में श्री अन्न की भी खेती कर रहे हैं.
महिलाओं को दे रहे रोजगार
विक्रम सिंह ने कृषि जागरण से बात करते हुए कहा कि वह चाहते तो पड़ोसी राज्यों व जिले से लेबर फोर्स को ला सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया. विक्रम सिंह ने अपने गांव और जिले की उन महिलाओं को चुना जो अशिक्षित हैं. फिर उन्हें खेती के बारे में प्रशिक्षित किया गया. फिर उन्हीं महिलाओं द्वारा आलू बीज उपचारित, कटिंग और आलू की खेती में होने वाला सारा कार्य किया जा रहा है.
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किसानों के लिए बने प्रेरणा
वह बताते हैं कि 33500 किलो आलू के बीज खेती के लिए बोए, अब उम्मीद लगाई जा रही है कि कम से कम 15 गुना आलू यहां से उत्पादित होगा. सफल प्रशिक्षण के बाद उनका सभी किसानों से सीधे संपर्क हो रहा है. बहुत से किसान अब उनसे प्रेरत होकर आलू की खेती करने के लिए तैयार हैं और उनसे जुड़ना भी चाह रहे हैं. उनका कहना है कि आने वाले समय में बड़ी मात्रा में बाड़मेर और जेसलमेर में आलू का उत्पादन किया जाएगा.
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