खेती में हर रोज़ किसानों द्वारा एक नयी मिसाल पेश की जा रही है. ऐसे में हथुआ प्रखंड के लाइन बाजार निवासी असरफ अली (Asraf Ali, resident of Line Bazar of Hathua block) इस बीच सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. दरअसल, पपीते की खेती (Papaya Farming) ने इनकी किस्मत पलट कर रख दी है. और नतीजन अब असरफ सालाना 10 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.
500 पपीते के पौधों से कि शुरुआत (Starting with 500 Papaya Plants)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असरफ सऊदी (Saudi Arab) में रहते थे. लेकिन एक समय ऐसा आया जहां उन्हें यह लगने लगा कि मुझे अपने देश वापस लौट जाना चाहिए. ऐसे में असरफ ने गोपालगंज (Gopalganj) आकर 500 पपीते के पौधे लगाए.
जिसके बाद उनको एक पौधे से करीब 1 क्विंटल पपीता (Papaya) मिलना शुरू हो गया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असरफ सऊदी में हर महीने 80 हजार रुपये कमाते थे. लेकिन अपने देश में वापस आने के बाद पपीते की खेती ने उन्हें जीने का एक नया तरीका सीखा दिया.
पपीते की खेती से रोजगार व मुनाफा (Employment and profit from papaya cultivation)
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असरफ का कहना है कि एक पेड़ से दोगुना फल मिलता है, जिससे उनकी आमदनी दोगुनी हो गयी है. खास बात यह है कि उन्होंने कई लोगों को रोजगार (Employment) दिए हैं साथ ही दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने हैं.
असरफ का कहना है कि "शादी के दो साल बाद करीब 25 साल की उम्र में वह साल 1992 में पैसों की तंगी और परिवार का भरण-पोषण के हेतु सऊदी गए थे. जिसके बाद वहां उन्हें एक कंपनी में सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई थी. भारतीय करेंसी के हिसाब से वह हर महीने 80 हजार रुपए कमाते थे.
लेकिन कुछ दिनों के बाद उन्हें अपने घर पर कुछ करने की इच्छा हुई जिसके बाद उन्होंने पपीते की खेती (Papaya Farming) करने की ठानी और उनकी मेहनत रंग लाई. असरफ 2017 में अपने देश वापस आ गए थे. जिसके बाद उन्होंने अपने एक दोस्त से बात की उसने उन्हें पपीते की खेती की सलाह दी.
बता दें कि असरफ ने आधा एकड़ जमीन 8500 रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से लीज पर ली थी. फिर उन्होंने बागवानी विभाग से 500 पपीते के पौधे लिए और उन्हें अपनी आधा एकड़ जमीन पर उगाया. असरफ को 80 हज़ार की नौकरी छोड़ खेती करने पर लोगों से कई ताने भी मिले लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किये बैगेर अपनी मेहनत जारी रखी. नतीजन आज वो लाखों रुपये कमा रहे हैं और खुद के मालिक खुद हैं.
असरफ अली का कहना है कि 'भले ही मैंने लंबे समय तक विदेश में काम किया. लेकिन आज जो आराम मिल रहा है, वह 80-90 हजार की आमदनी में नहीं मिल रहा था. आज मैं अकेले दस लाख कमा रहा हूं और अपने परिवार के साथ रह रहा हूं. इस खेती से मैंने दो बेटे और एक बेटी की शादी की. बेटों के लिए भी दुकानें खोली ताकि सभी को रोजगार मिल सके".
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