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यह व्यक्ति 70 से भी ज्यादा जड़ी- बूटियों करता है खेती, विदेशों में भी हो रहा है नाम

आज हम आपको छत्तीसगढ़ के जिला कोंडा गांव के एक ऐसे इंसान की कहानी बताएंग जिन्होंने खेती में एक मिसाल कायम किया है. खेती में दम-खम दिखाने वाले इस इंसान का नाम राजा राम त्रिपाठी है. इन्होंने अपने खेतों में 70 से भी ज्यादा तरह कि जड़ी -बूटियों कि खेती कि और लोगों के लिए अच्छा उदाहरण साबित किया. उन्होंने अपनी खेती में कोई रासायनिक उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया और न ही किसी भी तरह कि महंगी उर्वरक प्रयोग में लाये.

आज हम आपको छत्तीसगढ़ के जिला कोंडा गांव के एक ऐसे इंसान की कहानी बताएंग जिन्होंने खेती में एक मिसाल कायम किया है. खेती में दम-खम दिखाने वाले इस इंसान का नाम राजा राम त्रिपाठी है. इन्होंने अपने खेतों में 70 से भी ज्यादा तरह कि जड़ी -बूटियों कि खेती कि और लोगों के लिए अच्छा उदाहरण साबित किया. उन्होंने अपनी खेती में कोई रासायनिक उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया और न ही किसी भी तरह कि महंगी उर्वरक प्रयोग में लाये.

उन्होंने सिर्फ जैविक खेती को ही बढ़ावा दिया और लोगों को भी जैविक खेती करने के लिए उत्साहित किया. इसके लिए उन्होंने किसानों को निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया. प्रशिक्षण के लिए उन्हें जहां से भी बुलावा आता था वो जाया करते थे. वहीं उन्होंने विदेशों मे भी जैवक खेती को पहुंचाया.

राजा राम त्रिपाठी कहते हैं कि अगर रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों वाली खेती शुरू ही न होती तो आज कई जीव -जंतु व वनस्पतियां लुप्त होने से बच जाती. वह कहते हैं कि जहरीली दवाओं ने मिट्टी के साथ -साथ मानव शरीर को भी बहुत प्रभावित किया है.

उन्होंने मां धंतेश्वरी हर्बल समूह नाम से कंपनी का गठन किया. कई किसानों को जड़ीबूटियों कि जैविक कृषि में शामिल किया और उनका कई विदेशी कंपनियों के साथ गठबंधन करवाया. जिस से देश -विदेश में जैविक कृषि का प्रचार हुआ और लोगों कि इसमें दिलचस्पी बढ़ी.

2012 में राजाराम त्रिपाठी को देश विदेश में जैविक कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए रॉयल बैंक ऑफ़ स्कॉटलैंड ने अर्थ हीरो पुरस्कार से सम्मानित किया. भारत में उन्हें राष्ट्रीय कृषि रत्न  पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया.

इस प्रकार राजा राम त्रिपाठि ने हमारा देश के साथ विदेश में भी जैविक खेती की धूम मचा दी और देश का गौरव विदेशों में भी बढ़ा दिया.

English Summary: This person does more than 70 herbs. Farming is also happening in foreign countries. Published on: 04 October 2018, 03:08 AM IST

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