हौसलों में जान और पहचान पाने में सिर्फ कुछ कदमों की ही दूरी होती है, जो आपकी सफलता की कहानी रच देती है. दरअसल, रवि उमराव (Ravi Umrao), कानपुर उत्तर प्रदेश के 'अयाना फूड एंड ऑर्गेनिक्स' ब्रांड के सीपीओ हैं. यह रसायनमुक्त खाद्य पदार्थ, दालें और सब्जियां ऑनलाइन के माध्यम से बेचते हैं. इनका कहना है कि "सफल होने के लिए जुनून होना जरूरी है. यह मेरे जुनून का ही नतीजा है, जहां आज मैं पहुंचा हूं और मैंने जो किया है उसका अनुभव दूसरों को बता पाने में सक्षम हूं". आपको बता दें, इनकी कहानी इतनी बेमिसाल है कि हमे आशा है, आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना चाहेंगे.
सफल किसान की सफल कहानी
रवि ने इंजीनियरिंग और कानून की पढ़ाई की है, लेकिन इनकी दिलचस्पी खेती में थी. बता दें कि इनका जन्म कानपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक किसान परिवार में हुआ था. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत में मुख्य पेशा खेती है और लगभग 64 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. ऐसे में, इनका मानना है कि खेती का व्यावसायीकरण परेशानी भरा रहा है, क्योंकि रसायनों का उपयोग फसलों, मिट्टी और हमारे लिए हानिकारक रहा है. इन रसायनों ने फसलों की प्रजनन क्षमता, अनुकूल बैक्टीरिया और मित्र कीटों को मार डाला है. ये रसायन हमारे पीने के पानी के साथ स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले भूजल स्तर (Groundwater Level) तक रिस गए हैं.
प्रदूषण का प्रकोप
सभी रसायन नदियों और अन्य जल निकायों को प्रदूषित करते हैं, जिससे जलीय जीव मारे जाते हैं. इनसे उस पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है, जिसमें हम रहते हैं. ये रसायन खाद्य श्रृंखला और हमारे शरीर में प्रवेश कर चुके हैं और धीमे जहर (Slow Poison) की तरह काम कर रहे हैं. इन रसायनों ने हमारी प्रतिरोधक क्षमता (Immune Power) को कम कर दिया है और हम कैंसर, उच्च या निम्न रक्तचाप, बदलते शर्करा के स्तर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं.
रसायन मुक्त कृषि का लक्ष्य
रवि उमराव, पर्यावरण की रक्षा में मदद करना चाहते थे, साथ ही लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते थे. उनका कहना है कि इसके लिए किसानों को रसायनों के खतरों से अवगत कराया जाना चाहिए, ताकि वे रासायनिक मुक्त (Chemical Free Farming) तरीकों से खेती करें. उन्होंने अपने विचारों को अपने परिवार के सदस्यों से साझा किया, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया, क्योंकि उन्हें लगा कि रसायन ठीक है और रासायनिक मुक्त कृषि संभव नहीं है. निराशाजनक, उनमें से कुछ ने सोचा कि रवि एक पागल आदमी है.
रवि के बारे में जिसने भी जो कुछ उल्टा-सीधा कहा उसको नज़रअंदाज़ करते हुए यह अपने लक्ष्य पर डटे रहे. जिसके बाद इन्होंने अपने सपनों का पालन करने का फैसला किया और 2010 में एक एनजीओ की स्थापना की, जिसने महिला किसानों के साथ मिलावट रहित खाद्य पदार्थों का उत्पादन करने के लिए काम किया. इन्होंने कहा कि मिलावटी खाद्य पदार्थ एक बड़ी समस्या है और यह इस समस्या का समाधान चाहते थे. जिसके बाद इन महिला किसानों (Women Farmers) ने अपना उत्पादन एनजीओ के माध्यम से बेच दिया, लेकिन यह परियोजना विफल रही.
जहां चाह, वहां राह
इन सभी परियोजनाओं के बावजूद, इन्हें गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन रवि जो करना चाहते थे उसमें वो दृढ़ थे. इन्होंने अपने लिए जो योजना बनाई थी, उससे पीछे नहीं हट रहे थे. बता दें कि यह सब बस इसलिए हो रहा था क्योंकि इनकी आर्थिक हालत ढीली थी. जिसके बाद, यह दिल्ली गए और वहां 2 साल नौकरी की और फिर अपने सपने को पूरा करने के लिए लौट आए.
इन्होंने कई गांवों की यात्रा की और कई किसानों से मुलाकात की, कभी-कभी लंबी दूरी की पैदल यात्रा की. रवि ने कई सालों तक ऐसा किया, लेकिन बहुत कम लोगों को समझ में आया कि वह इस सब के माध्यम से क्या हासिल करने की कोशिश कर रहे रहे थे.
लेकिन कहते हैं ना, जिसके अंदर कुछ करने की चाह होती है उसके लिए राह खुद-ब-खुद बन जाती है. बता दें कि इस सब के अंत में वे कानपुर (CSA) विश्वविद्यालय और कृषि विभाग के संपर्क में जा पहुंचे और फिर उनका मिशन आगे बढ़ता गया और वे अधिक किसानों के संपर्क में आते गए.
शुरू की अयाना भोजन और ऑर्गेनिक्स कंपनी
जिन किसानों से उनकी मुलाकात हुई उनमें से अधिकांश ने केवल एक ही बात की शिकायत की और वो थी 'बाजारों तक पहुंच की कमी'. इसलिए, उन्होंने उनके लिए एक बाजार तैयार करने की योजना बनाई. यही वजह है कि इन समस्याओं के समाधान के रूप में 'अयाना भोजन और ऑर्गेनिक्स' (Ayana Food and Organics) की शुरुआत की. उन्हें शुरू में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उत्कृष्ट पैकेजिंग और अच्छी तरह से वित्त पोषित विज्ञापन के साथ बड़ी कंपनियों से भयंकर प्रतिस्पर्धा थी. उनके पास उनकी बराबरी करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था. लेकिन फिर भी रवि बाली के बेटे अंगद की तरह खड़े रहे और अपना लक्ष्य प्राप्त किया.
अपनी पैकेज्ड उपज को बेचने के लिए इन्हें परिरक्षकों पर ध्यान देने की जरूरत थी और इन्होंने इस दिशा में छोटे पैमाने पर काम शुरू किया. रवि ने जो योजना बनाई थी, उसे लागू करने के लिए उनके पास कोई जनशक्ति नहीं थी. मगर यह सालों तक अकेले संघर्ष करते रहे और अंत में, इन्होंने सफलता अपने नाम कर ही ली और विफलताओं को झुका दिया. अपने प्रयासों से, इन्होंने किसानों के लिए एक आय अर्जित करने वाला नेटवर्क बनाया और उपभोक्ताओं को प्राकृतिक और स्वस्थ भोजन प्रदान किया.
रवि का कहना है कि आपके पास लक्ष्य होने चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए आपको सब कुछ करना चाहिए. यहां तक की असंभव को भी संभव बनाना चाहिए. कृषि क्षेत्र बहुत बड़ा है और इसमें बहुत सारे अवसर हैं, आप अपने ब्रांड बनाकर, उन्हें बाजारों में लॉन्च करके बहुत पैसा कमा सकते हैं और यदि आप उन लोगों से जुड़ने में सक्षम नहीं हैं तो धीरे-धीरे अपना नेटवर्क बनाएं.
इसके अलावा, आज के समय में इंटरनेट (Internet) पर तेज़ी से चीज़ें वायरल हो रही है. ख़ासकर अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल अपना बिज़नेस ग्रो (Business Grow) करने के लिए करते हैं. साथ ही आप अपने ब्रांड का सोशल मीडिया हैंडल भी शुरू कर सकते हैं जहां आप आये दिन अपने नये प्रोडक्ट्स (New Products Launch) को लॉन्च कर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक जुड़ सकते हैं.
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