हिमाचल का हमीरपुर गांव कुछ सालो से चर्चाओं में बना हुआ है. दरअसल यहां के किसान ललित कलिया अपनी मेहनत से ऐसे कीट नाशकों को तैयार कर रहे हैं, जिसमें रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता. यही कारण है कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का रूझान अचानक इस गांव की तरफ बढ़ रहा है. इतना ही नहीं ललित कालिया ने जैविक खेती को इस कदर सफल कर दिखाया है कि आज क्षेत्र के युवा नौकरी की तलाश में बड़े शहरों की तरफ नहीं बल्कि कृषि में ही विकल्प खोजने लगे हैं.
ललित की सफलता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्हें कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण हमीरपुर द्वारा मास्टर ट्रेनर का पद दिया गया है. वर्तमान समय में ललित जिले के किसानों को खेती-पशुपालन संबंधित जानकारियां देते हैं चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.
घर में ही बना दिया सूंडियों के प्रकोप से बचने वाला घोल
ललित के मुताबिक उन्हें कीटनाशक बनाने का ख्याल तब आया, जब आय दिन कीटनाशकों के दाम बढ़ने लगे. बाजार में उपलब्ध कीटनाशक न सिर्फ महंगे, बल्कि रसायनों से भरे होते है. इसलिए उसके उपयोग से खेतों को नुकसान होता है एवं उपज भी खाने योग्य नहीं रह जाती है. इन्ही सब बातो को देखते हुए देशी तरीके से कीटनाशक बनाने का प्रयास वो करते रहे, आखिरकार गाय के गोबर से सूंडी नाशक घोल तैयार करने में सफलता मिल गई.ललित के मुताबिक उनके द्वारा तैयार किए गए कीटनाशक में गाय के गोबर अलावा शीशम, पपीता, आमला व अमरूद इत्यादि पेड़ों की पत्तियों का उपयोग किया गया है. इस घोल को किसी भी प्रकार के फसलों या पौधों पर डाला जा सकता है. ललित ने अपने इस कीटनाशक घोल को ब्रह्म अस्त्र का नाम दिया है.
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