![Success Story of Solan Indoor Saffron Farmer Gaurav Sabharwal](https://kjhindi.gumlet.io/media/90959/_progressive-farmer-gaurav-at-his-indoor-saffron-farming-room.jpg)
Success Story of Indoor Saffron Farmer: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल ने परंपरागत खेती को एक नई दिशा दी है. मशरूम सिटी के नाम से प्रसिद्ध सोलन में मशरूम की खेती का बोलबाला है, लेकिन गौरव सभरवाल ने यहां केसर की इनडोर खेती कर एक नया उदाहरण पेश किया है. उनके अनुसार, वर्तमान में भारत में केसर की मांग बहुत अधिक है, लेकिन सप्लाई कम होने के कारण अधिकतर केसर ईरान से आयात किया जाता है. उन्होंने इस अवसर को पहचाना और साल 2022 में छोटे स्तर पर एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती (Saffron Farming) शुरू की.
आज, वह 300 स्क्वायर फीट के क्षेत्र में एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती कर रहे हैं और इस व्यवसाय से लाखों रुपये का टर्नओवर कमा रहे हैं. उनका लक्ष्य आने वाले वर्षों में इस खेती को 1000 स्क्वायर फीट तक विस्तारित करना है. ऐसे में, आइए आज हम प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल की कृषि क्षेत्र में तय की गई प्रेरणादायक यात्रा के बारे में विस्तार से जानते हैं-
एरोपोनिक तकनीक की खोज
प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल की यात्रा आसान नहीं रही है. शुरुआत में वह शू व्यवसाय से जुड़े हुए थे, लेकिन जब उनके पिता का निधन हुआ, तो उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने और आर्थिक संकट से उबरने के लिए एक लाभकारी व्यवसाय की तलाश शुरू की. इसी दौरान, उन्होंने एरोपोनिक तकनीक के बारे में जाना और रिसर्च किया. उन्हें पता चला कि इस तकनीक से न केवल कम जगह में अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है, बल्कि इससे केसर जैसी मूल्यवान फसल भी उगाई जा सकती है. यह जानकारी उनके लिए एक नए अवसर की तरह थी.
![Solan's indoor saffron farmer Gaurav Sabharwal with his saffron crop](https://kjhindi.gumlet.io/media/90958/_progressive-farmer-gaurav-at-his-indoor-saffron-farming-room-1.jpg)
मालूम हो कि एरोपोनिक तकनीक एक आधुनिक खेती का तरीका है, जिसमें मिट्टी के बिना पौधों को उगाया जाता है. इस तकनीक में पौधों की जड़ों को हवा में लटकाया जाता है और उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर पानी का छिड़काव किया जाता है.
केसर की खेती की शुरुआत
प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल ने साल 2022 में थोड़े से क्षेत्र में प्रयोग के तौर पर एरोपोनिक तकनीक से केसर की इनडोर खेती शुरू की. इस प्रयोग से उन्हें लाभ हुआ, और उन्होंने साल 2023 से 300 स्क्वायर फीट में एरोपोनिक तकनीक से कश्मीरी केसर की इनडोर खेती शुरू कर दी. उन्होंने इसके लिए केसर के बल्ब (बीज) कश्मीर से मंगवाए. एरोपोनिक तकनीक में शुरुआती लागत ज्यादा होती है, लेकिन गौरव ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत लोन लेकर इसकी शुरुआत की.
![Solan's indoor saffron farmer Gaurav Sabharwal with his saffron crop](https://kjhindi.gumlet.io/media/90957/_progressive-farmer-gaurav-at-his-indoor-saffron-farming-room-2.jpg)
एरोपोनिक तकनीक का लाभ
एरोपोनिक तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कम जगह में अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल ने बताया कि 300 स्क्वायर फीट में एरोपोनिक तकनीक से खेती शुरू करने में लगभग 7-8 लाख रुपये की लागत आती है. हालांकि, पहले साल में उपज कम होती है, लेकिन 3-4 साल में सेटअप की पूरी लागत निकल जाती है. इसके बाद यह खेती काफी लाभदायक साबित होती है.
तापमान और पर्यावरण का प्रबंधन
केसर की खेती के लिए तापमान और पर्यावरण का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है. प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल ने बताया कि कश्मीर में अगस्त से नवंबर के दौरान जितना तापमान होता है, उतना ही तापमान एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती करने के लिए मेंटेन करना पड़ता है. यानी 8 से 23 डिग्री तापमान में केसर की खेती की जाती है. इसके लिए उन्होंने अपने इनडोर फार्म में तापमान नियंत्रण की व्यवस्था की है.
![Indoor Saffron Farming](https://kjhindi.gumlet.io/media/90955/indoor-saffron-farming-1.jpg)
केसर की मांग और बाजार
भारत में केसर की मांग बहुत अधिक है, लेकिन इसकी सप्लाई कम है. भारत में 94% केसर ईरान से आता है, जिसके कारण यह बहुत महंगा होता है. प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल ने बताया कि होलसेल में केसर लगभग 2.5 लाख रुपये प्रति किलो बिकता है, लेकिन वह इसे रिटेल में बेचते हैं, जिसकी कीमत लगभग 5 लाख रुपये प्रति किलो होती है. यह उनके लिए एक बड़ा लाभदायक व्यवसाय साबित हुआ है.
भविष्य की योजनाएं
प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल की भविष्य की योजना 1000 स्क्वायर फीट में केसर की इनडोर खेती करने की है. वह चाहते हैं कि और अधिक किसान इस तकनीक को अपनाएं और केसर की खेती करके अपनी आय बढ़ाएं. उनका मानना है कि यदि किसान केसर के बल्ब तैयार करना सीख जाएं, तो इसकी लागत बहुत कम हो जाती है और वह 5-6 साल में दूसरे किसानों को बल्ब बेचकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं.
प्रगतिशील किसान गौरव सभरवाल की सफलता की कहानी का इंटरव्यू देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें-
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