Lac Farming: छत्तीसगढ़ के महासंघ जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान मिलन सिंह विश्वकर्मा लाख की खेती (Lac Farming) में अपनी मेहनत और लगन से एक नई पहचान बना चुके हैं. पिछले 22 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत मिलन सिंह ने पारंपरिक खेती से हटकर लाख उत्पादन को अपनाया और आज वह जिला, राज्य, और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीत चुके हैं और सालाना भारी मुनाफा कमा रहे हैं.
उनके द्वारा अपनाए गए वैज्ञानिक तरीकों और आधुनिक खेती के तरीके ने लाख की खेती (Lac Farming) को एक सफल और लाभकारी व्यवसाय बना दिया है. वही प्रगतिशील किसान मिलन सिंह विश्वकर्मा की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार सही तकनीकी ज्ञान, निरंतर प्रयास, और आधुनिक विधि को अपनाकर खेती में बदलाव लाकर आमदनी बढ़ाई जा सकती है. ऐसे में आइए आज उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
पारंपरिक खेती से लाख की खेती (Lac Farming) तक का सफर
प्रगतिशील किसान मिलन सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उन्होंने केवल 12वीं तक पढ़ाई की और इसके बाद खेती को ही अपना व्यवसाय बनाने का निर्णय लिया. पहले वे पारंपरिक फसलें जैसे धान और अन्य सामान्य फसलें उगाते थे. हालांकि, इससे होने वाला आय उनके लिए पर्याप्त नहीं था. लेकिन उनकी मेहनत और नवाचार के प्रति रुचि ने उन्हें लाख की खेती (Lac Farming) की ओर प्रेरित किया.
लाख की खेती (Lac Farming) की शुरुआत
साल 2002 में भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान (IINRG), रांची के कृषि वैज्ञानिक उनके जिले में दौरे पर आए. उन्होंने यह बताया कि लाख की खेती (Lac Farming)को पुरानी विधियों की बजाय नई तकनीकों से किया जाए तो उत्पादन और मुनाफा दोनों में कई गुना वृद्धि हो सकती है. इसके बाद मिलन सिंह ने वैज्ञानिकों के सुझावों को गंभीरता से लिया और नई तकनीकों को अपनाया. परिणामस्वरूप, उनकी आय में 10 गुना तक की वृद्धि हुई.
26 एकड़ जमीन पर लाख की खेती (Lac Farming)
प्रगतिशील किसान मिलन सिंह वर्तमान में 26 एकड़ जमीन पर लाख की खेती (Lac Farming) कर रहे हैं. इस जमीन पर उन्होंने पलाश, बेर और सेमियालता जैसे पौधे लगाए हैं. लाख की खेती (Lac Farming) के साथ-साथ वे सहफसली खेती भी करते हैं, जिसमें सब्जियां, दलहन और तेलहनी फसलें शामिल हैं. इससे उनकी आय में और वृद्धि होती है.
लाख की उन्नत किस्में
मिलन सिंह लाख की दो प्रमुख किस्मों - कुसुमी और रंगीनी लाख की खेती (Lac Farming) करते हैं-
कुसुमी लाख: यह फसल जुलाई-जनवरी और जनवरी-जुलाई के बीच होती है. इसकी गुणवत्ता उच्च होती है, जिससे इसे बाजार में बेहतर कीमत मिलती है.
रंगीनी लाख: यह फसल जुलाई-नवंबर और नवंबर-जुलाई तक होती है. हालांकि, नवंबर से जुलाई के बीच मौसम लाख के अनुकूल नहीं होता, जिससे इसमें आठ महीने लगता है.
लाख उत्पादन और बाजार मूल्य
मिलन सिंह के अनुसार, लाख की खेती (Lac Farming) के लिए आदर्श तापमान 17-36 डिग्री सेल्सियस होता है. इस तापमान पर लाख बेहतर तरीके से विकसित होता है.
कुसुमी लाख: प्रति एकड़ 6-10 क्विंटल उपज होती है.
रंगीनी लाख: प्रति एकड़ 8-20 क्विंटल उपज होती है, खासकर बेर के पेड़ों पर खेती करने पर.
लाख की कीमत बाजार में लगभग 700 रुपये प्रति किलो होती है. व्यापारी स्वयं किसानों के घरों से लाख खरीदने आते हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त परिवहन खर्च नहीं उठाना पड़ता. इस तरीके से मिलन सिंह के लिए लाख की खेती (Lac Farming) एक लाभकारी खेती सिद्ध हुई है.
लाख की खेती (Lac Farming)में समस्याएं और समाधान
लाख की खेती (Lac Farming) में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे फसल में कीट और फंगस का लगना. खासतौर पर वर्षा के मौसम में फंगस का प्रकोप अधिक होता है. इन समस्याओं से निपटने के लिए मिलन सिंह वैज्ञानिकों की सलाह लेते हैं और नई तकनीकों का उपयोग करते हैं. वे अपने खेतों में जैविक उपचार का भी उपयोग करते हैं, जिससे कीटों और फंगस से बचाव होता है. मिलन सिंह का कहना है कि अगर किसान अपने खेतों में सही समय पर सही उपाय करें, तो लाख की खेती (Lac Farming) से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
लाख की खेती (Lac Farming) के लाभ
मिलन सिंह बताते हैं कि लाख की खेती (Lac Farming)न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. लाख से कई उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है. जैसे कि लाख का उपयोग आर्टिफिशियल ज्वैलरी, पैटर्न कंबाइनिंग, और अन्य सजावट के सामान बनाने में होता है. इसके अलावा, लाख से टेप, गोंद और अन्य रेजिन आधारित उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं, जिनकी मांग लगातार बढ़ रही है. लाख की खेती (Lac Farming) से किसान अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.
इसके अलावा, लाख की खेती (Lac Farming) से पर्यावरण को भी लाभ होता है. लाख के पौधे, खासतौर पर पलाश और बेर के पेड़, पर्यावरण में हरियाली बढ़ाते हैं और भूमि की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करते हैं. ये पौधे जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं. आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाख की खेती (Lac Farming) लाभकारी है. यह किसानों को अपने पारंपरिक कृषि कार्यों से अधिक आय का अवसर प्रदान करता है.
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