"माना अगम अगाध सिंधु है
संघर्षों का पार नहीं है
किन्तु डूबना मझधारों में
साहस को स्वीकार नही है
जटिल समस्या सुलझाने को
नूतन अनुसन्धान न भूलें.
आविष्कारों की कृतियों में
यदि मानव का प्यार नही है
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है
प्राणी का उपकार नही है
भौतिकता के उत्थानों में
जीवन का उत्थान न भूलें.
निर्माणों के पावन युग में
हम चरित्र निर्माण न भूलें.
इन पक्तियों को वास्तविक जीवन में सार्थक करने वाली संगीताजी सदैव एक प्रेरणा देनेवाली आदर्श हैं."
यह कहानी है एक उमंग की, एक आशा की, एक ऐसी महिला की, जिन्होंने आत्मविश्वास के बल पर नवनिर्माण से जीवन सार्थक किया है. उनका विश्व उनके परिवार के साथ कर्तव्यनिष्ठा और खुशहाली से बीत रहा था. समृद्ध जीवन में वे सभी कार्य पूर्ण निष्ठा से निभा रही थी. परंतु एक दुर्घटना के दौरान उनके पति व ससुरजी की मृत्यु ने उनके सुखी जीवन की डोर को दुर्बल बना दिया. अचानक हुई इस घटना से वे ऊपर उठ पाती इससे पहले परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उनपर आ गई. उनके ससुरजी के नेतृत्व में सभी दक्षतापूर्वक अपनी अपनी भूमिका सुयोग्य प्रकार से निभाते थे. परंतु एकाएक ऐसी घटना के चलते सभी दिशाहीन हो गए थे. उनकी सासूमां और बच्चों को वे परेशानी में नहीं देख पा रही थी.
संगीता पिंगळे मानती है की ऐसी कठिन परिस्थिती, आत्मबल की परीक्षा का समय होता है. इसे पार कर गये तो वह आगे सशक्त जीवन की असली परिभाषा बनती है. संगीता ने अपनी सासूमां के साथ, अपने कर्तव्यों के अतिरिक्त बाकी सभी कर्तव्यों को निभाने का कार्य किया. उनके ससुरजी व पति के खेतीकाम का कार्य करना उन्होंने प्रारंभ किया. उनके इस निर्णय पर सभी को संदेह था, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी. बल्कि इस कुशंका को एक चुनौती की तरह स्वीकार कर उस पर मात करने की ठान ली.
अंगूर की खेती आसान नहीं है. उसमें छोटीसी गलती भी बड़ी नुकसानदायक हो सकती है. किसी भी अनुभव के बिना भी उन्होंने यह जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया. उसके लिए जो शिक्षा प्राप्त करनी होगी उसके लिए कठोर परिश्रम का निश्चय किया. प्रस्थापित मार्गपर चलते चलते उन्होंने नए मार्ग खोजने के लिए भी प्रयास किए. ट्रैक्टर और अन्य सभी नई सुविधाओं को एक के बाद एक अपने कार्य में समाविष्ट किया. इससे उनके उत्पादन में वृद्धि हुई और उनके उत्पादों की मांग अधिक बढ़ी. और यह निरंतर चल रहा है.
किसी पूर्व अनुभव या उस क्षेत्र के ज्ञान के बिना, एक गुणवत्ता भरे उत्पाद का निर्माण और एक कार्यप्रणाली को प्रस्थापित करने का इतना अनमोल संकल्प आज उनके अस्तित्व की पहचान है. और सभी के लिए यह एक उज्वल प्रेरणास्रोत है. उपलब्ध संसाधनों के साथ नव-निर्मित कार्यप्रणाली की संरचना करना किसी भगीरथ प्रयास से कम नहीं है. एक शक्तिशाली नीव पर आधारित अपने संस्कारों के जोड़ से बनी इस महिला ने प्रेरणास्रोत की परिभाषा को नया अर्थ दिया है. इस प्रकार महिलाओं के आत्मनिर्भरता एवं सशक्तीकरण के कार्य में संगीता ने अपना एक अनोखा योगदान दिया है. प्रगति पथ पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ते हुए संगीता ने अपने आदर्शों का सदैव पूरी निष्ठा से पालन किया है. अपने परिवार और प्रियजनों का वे एक सबल आधार हैं. नए कर्तव्यों को स्वीकार करते हुए उन्होंने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी पूरे समर्पण से निभाया है.
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