सांसों में समाओ तो खुशबु लगती है और दिल में उतारो तो सुकून होता है, कुछ यही चीज़ बिजनेसमैन मुकेश काले ने भी आज से 7 साल पहले यह महसूस किया था, जिसके बाद आज उनके पास छत पर पूरा बागान (Terrace Garden) है, जहां कदम रखते ही सकारात्मक ऊर्जा एकदम से अंदर प्रवेश कर जाती है.
बिजनेसमैन से बने गार्डनर (Businessman turned Gardner)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुकेश काले, मध्यप्रदेश के खंडवा (Mukesh Kale, Khandwa of Madhya Pradesh) में रहते हैं, जहां बहुत ही कम हरियाली हुआ करती थी. आस-पास के घरों में हरियाली का नामोनिशान नहीं हुआ करता था. यही चीज़ें मुकेश को अंदर ही अंदर कचोटती रहती थीं.
समय और जानकारी की कमी के चलते यह खुद बागवानी करने में असमर्थ थे, लेकिन इन्हें एक बात में बहुत विश्वास था कि कभी-कभी छोटी-सी चाह से भी बड़े परिवर्तन आ सकते हैं. इसी के मद्देनज़र, उन्होंने अपने यहां 7 साल पहले मात्र दो पौधे लगाए थे और धीरे-धीरे गार्डनिंग (Gardening) में रूचि ऐसी बढ़ती चली गई कि आज इन्होंने घर की छत को हरियाली की चादर से ढक दिया है.
गार्डनिंग का जबरदस्त शौक (Passion for Gardening)
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुकेश का कहना है कि "मुझे हरियाली का शौक तो पहले से ही था, लेकिन पहले घर पर बैठे-बैठे सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की बातें ही हुआ करती थीं. फिर जैसे-जैसे समय बीतता चला गया मुझे ये आभास हुआ कि जब तक खुद कुछ नहीं करूंगा, तब तक बदलाव कैसे आएगा, इसलिए मैंने अपने घर की छत पर ही टेरेस गार्डन बनाने का फैसला किया".
एमपी के एफएमसीजी प्रोडक्ट्स के बिजनेसमैन का काम करने वाले मुकेश ने बागवानी की अपनी शुरुआत मनी प्लांट्स (Money Plants) से की, जिसमें वह पौधों की कटिंग किया करते थे. साथ ही गमलों में गुलाब के पौधे (Rose Gardening) भी लगाए थे.
सजावटी पौधे (Ornamental Plants)
इन सब से प्रेरित होकर उन्होंने नज़दीकी नर्सरी से कुछ सजावटी पौधे भी खरीदें और उसे अपने टेरेस गार्डन में लगाना शुरू कर दिया था. ख़ुशी की बात तो यह है कि दो पौधों से शुरुआत करने वाले मुकेश ने आज अपनी छत पर सैकड़ों पौधे लगा अपने गार्डन को हरियाली से भर दिया है.
ख़बरों के मुताबिक, मुकेश का कहना है कि "मेरे यहां दो मंजिला मकान है और जब से मैं अपने घर की छत पर बागवानी (Terrace Gardening) करने लगा हूं, तब से नीचे कमरों का तापमान कम रहने लगा है और ज़्यादा गर्मी नहीं होती, बल्कि हमेशा ताज़गी ही बनी रहती है".
टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening)
इनके 600 स्क्वायर फ़ीट की छत पर काफी धूप आती है, जिससे पौधे हमेशा हरे-भरे रहते हैं. ख़ासकर सजावटी पौधे ऐसे वातावरण में बहुत ही सफलतापूर्वक बड़े हुए हैं. इसके अलावा, इन्होंने अपने टेरेस गार्डन पर कई फलों और सब्जियों (Fruits and Vegetables) के पौधे भी उगाए हुए हैं.
फ़िलहाल के लिए, इनकी छत पर लगभग 100 सजावटी पौधों के साथ-साथ आम (Mango), आंवला (Indian Gooseberry), नींबू (Lemon) और बरगद (Banyan) जैसे पेड़ भी लगे हुए हैं. बता दें कि मुकेश में बागवानी का इतना जूनून है कि यह सर्दियों के समय 10 से ज़्यादा किस्म की सब्जियां भी उगाते हैं.
मुकेश के परिवार में 6 सदस्य हैं, लेकिन बागवानी का सबसे अधिक शौक मुकेश के अंदर ही है. ऐसे में इनका कहना है कि, परिवार के बाकि सदस्य मेरा समय-समय पर हाथ बंटाते रहते हैं.
जैविक खाद (Organic Manure)
बागवानी में जैसे-जैसे मुकेश आगे बढ़ते गए वैसे-वैसे उन्होंने नई चीज़ें करनी भी शुरू कर दी. दरअसल, अब यह घर में ही खाद (Fertilizer) बनाते हैं, जिसके लिए इन्होंने अपनी छत पर कम्पोस्ट बीन भी रखा हुआ है. इसमें यह अपने किचन से निकला हुआ कचरा इस्तेमाल करते हैं, जिसे वह खाद बनाकर अपने पौधों में डालते हैं.
मुकेश आगे कहते हैं कि, "जिस तरह से जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा दिया जा रहा है उससे मैं एकदम सहमत हूं, क्योंकि इसमें कचरे का उपयोग तो हो ही रहा है साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंच रहा है. इसके अलावा, सब कुछ आर्गेनिक तरह से बढ़ रहा है, जिसमें ज़रा भी रसायन (Chemical) नहीं उपयोग नहीं किया जा रहा है. इससे हमारी सेहत पर भी कोई नुकसान नहीं पहुंच सकेगा".
पक्षियों का डेरा (Bird Camp)
बागवानी के साथ-साथ इन्होंने प्रकृति और पक्षियों का भी खूब ख्याल रखा हुआ है. इन्होंने अपनी छत पर पक्षियों को आकर्षित करने के लिए एक बेहतरीन स्टैंड खुद बनाया है, जो दिखने में इतना सुंदर है कि पक्षियां इसका दौरा ज़रूर करके जाती हैं.
मुकेश का कहना है कि, "पहले यह छत वीरान पड़ी रहती थी जहां न कुछ हरियाली हुआ करती थी और न ही कोई पक्षी आया करता था, इसलिए इन्होंने पहले अपनी छत को हरियाली से भरा और उसके बाद यहां पक्षियों का भी इंतज़ाम किया. नतीजतन, आज इनकी छत के गार्डन में कई तरह की पक्षियों (Birds), तितलियों (Butterflies) और मधुमक्खियों (Bees) की आवाजाही बनी रहती है".
ख़ास बात यह है कि इन्होंने अपने गार्डन में एक छोटा-सा झूला भी लगाया हुआ है जहां यह सुकून भरे पल बीतातें हैं. मुकेश आगे बताते हैं कि, मैंने अपने इलाके में सबसे पहले गार्डनिंग शुरू की थी, जिससे प्रेरित होकर यहां रहने वाले अन्य लोगों ने भी बागवानी करना शुरू कर दी थी. साथ ही, कई व्यक्ति तो मेरे घर तक भी आए और देखा कि मैं कैसे बागवानी करता हूं. जसके बाद उन्होंने अपने घरों में भी पेड़ पौधे लगाना शुरू कर दिया जो मुझे बहुत ही ख़ुशी देता है".
गार्डनिंग की जानकारी (Gardening Information)
आपको बता दें कि मुकेश वर्तमान में भी गार्डनिंग की जानकारियां इधर-उधर से लेते रहते हैं, ताकि वह अपने गार्डन को अधिक से अधिक बेहतर बना सकें. हालांकि, अपने ऑफिस के काम की वजह से यह काफी बिजी रहते हैं, लेकिन सुबह का वक़्त पौधों के साथ बिताना कभी नहीं भूलते हैं. वहीं जाकर अपने सुकून भरे पलों को जीते हैं.
यदि आपको भी मुकेश में गार्डनिंग के जूनून की कहानी पसंद आई, तो आप भी इनके जैसे पर्यावरण को हरा-भरा बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं. यह ना सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग को काबू करने में मदद करेगा बल्कि आपको भी बहुत सुकून देगा.
Share your comments