किसानों को संपन्न बनाए बिना समृद्ध भारत की परिकल्पना नहीं की जा सकती. वही, यह तभी संभव है जब किसान आधुनिक तकनीक को हथियार बनाएंगे. राजस्थान के बिलाड़ा की रहने अन्नू कानावत एक ऐसी महिला उद्यमी हैं जो इस नारे को बुलंद कर रही हैं. अन्नू कानावत खुद ही फसल तैयार करती हैं, खुद ही उसकी मार्केटिंग करती हैं और अपने कृषि बिजनेस को आगे भी खुद ही बढ़ा रही हैं. आधुनिक खेती में मिसाल बन चुकी ये महिला किसान अन्नू कानावत अब नए शोध के साथ नए प्रोडक्ट भी मार्केट में उतारने लगी हैं.
कृषि जागरण से बातचीत में महिला उद्यमी अन्नू कानावत ने बताया कि मैंने एग्रीकल्चर से बी.एससी किया है. वही, मैं कृषि क्षेत्र से बचपन से जुड़ी हुई हूं, क्योंकि मेरे परिवार में हमेशा से खेती-किसानी होती आ रही है. इसके अलावा, मैंने एक कंपनी को भी शुरू किया है जिसको तीन मार्च को स्थापित किए हुए तीन साल हो जाएंगे.
महिला उद्यमी ने बताया कि वह खेती और प्रोसेसिंग के साथ-साथ किसानों को खेती करने का ट्रेनिंग भी देती हैं, ताकि वह खुद का बिजनेस कर पाएं. इसके अलावा, वह कार्डिसेप्स मिलिट्रीज मशरुम को भी उगाती हैं. कार्डिसेप्स मिलिट्रीज मशरूम को कीड़ा जड़ी मशरूम का विकल्प भी कहा जाता है और यह बाजार में तीन लाख रुपये प्रति किलो की दर से बिक जाता है. ये मशरूम इतनी महंगी इसलिए है, क्योंकि इसमें कैंसर सेल को खत्म करने की शक्ति होती है और यह कैंसर की दवा बनाने में उपयोग होती है.
महिला उद्यमी अन्नू कानावत ने आगे बताया कि वह ऑयस्टर मशरूम उगाने का भी काम करती हैं. इस मशरूम का वह पाउडर बनाकर बेचती हैं. यह पाउडर लोगों की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है. इसके अलावा यह शुगर के मरीजों के लिए भी इस्तेमाल में किया जाता है. साथ ही हम बच्चों के लिए भी कुछ प्रोडक्ट तैयार करते हैं, ताकि बच्चों की इम्यूनिटी मजबूत रहे. इसके अलावा हम लोग हाइड्रोपोनिक फार्मिंग पर भी काम करते हैं. यह कार्य हम सिर्फ सिखाने के लिए करते हैं. क्योंकि हमारा 90 प्रतिशत काम मशरूम उगाने और प्रोसेसिंग का होता है.
अन्नू कानावत ने बताया कि मुझे स्टार्टअप अवार्ड भी मिल चुका है. आरकेवीवाई (रफ्तार) से मुझे 15 लाख रुपये भी मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि मेरी एक कंपनी है जिसको तीन मार्च को स्थापित किए हुए तीन साल हो जाएंगे. इसके अलावा, एक FPO भी है, जिसका नाम फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन है.
उन्होंने बताया कि मेरी कंपनी का सालाना टर्नओवर 20-25 लाख रुपये का है. वहीं, हमसे जुड़े किसानों का सालाना टर्नओवर 40-45 लाख रुपये का है. उन्होंने बताया कि हमारी कंपनी में 250 किसान जुड़े हुए है, जिसमें से 20-25 किसानों को हम अभी लाभ दे रहे हैं. इसके अलावा, हम हर महीने बच्चों को ट्रेनिंग भी देते हैं और अभी तक हमारे यहां से करीब 2000 बच्चों ट्रेनिंग ले चुके हैं. इन बच्चों को एक एलएलपी प्रोग्राम से जुड़ना पड़ता है, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्र में जाकर काम करना पड़ता है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने 1000-2000 बच्चों को ट्रेनिंग दिलवाई है.
अन्नू कानावत ने बताया कि मैंने अपना खुद का FPO शुरू किया. इसमें किसी की भी सहायता नहीं ली. न ही सरकार की और न अन्य किसी संस्थान की. इसलिए शुरूआत में तो मुझे इसमें कुछ परेशानी का सामना करना पड़ा. अन्नू के मुताबिक, वह अभी शुगर के मरीजों को ध्यान में रखकर अपने उत्पादों को बना रही हैं. उन्होंने आगे दावा किया “हमारा एक प्रोडक्ट है, जिससे 3 महीने में शुगर के मरीज ठीक हो जाते हैं और अगर मरीज ठीक नहीं होते हैं, तो हम अपने प्रोडक्ट को वापस भी ले लेते हैं.” उन्होंने बताया कि अभी तक हमारे पास हमारा कोई भी प्रोडक्ट वापस नहीं आया है. उन्होंने यह भी बताया कि अब हम आगामी साल में अपने प्रोडक्ट को कैप्सूल और टैबलेट फॉर्म में देना चाहते हैं. इसके लिए लाइसेंस लेने वाले हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि ही मेरे पास खुद की जमीन नहीं है. इसलिए वह अभी अपने पिता की जमीन पर यह काम कर रही हैं. अन्नू कानावत ने यह भी बताया कि मैंने जयपुर में दो कमरा लिया है, उसका दायरा 50*60 है. यहां मशरूम का प्रोडक्शन किया जाता है, क्योंकि बाहर इसका प्रोडक्शन नहीं किया जा सकता है.
कृषि जागरण से जुड़े पाठकों को अन्नू कानावत ने कहा कि मौजूदा वक्त में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो यूट्यूब पर देखकर फसलों को अपने खेतों में लगा देते हैं. ऐसी स्थिति में किसानों के साथ धोखा हो जाता है. क्योंकि किसान यूट्यूब पर भरोसा करके उसे अपने खेत में लगा देते हैं और फिर बाद में उसकी बिक्री नहीं हो पाती है. इसलिए किसान सबसे पहले ये देखें कि जो फसल वह अपने खेत में लगा रहे हैं, उसकी बाजार में मांग कैसी है. मांग के अनुसार ही करें, ताकि मुनाफा बेहतर हो.
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