पंजाब के संगरूर जिले के रहने वाले किसान श्री बाल कृष्ण अपनी दूरदर्शी सोच से किसानों के प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. बाल कृष्ण कुल 30 एकड़ क्षेत्र में खेती करते हैं और जिसमें से आठ एकड़ का खेत ठेके पर है. वह मुख्य रूप से बासमती चावल की खेती करते हैं. बाल कृष्ण वर्ष 2005 से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के किसान मेलें में भाग ले रहे हैं और वहां के वैज्ञानिकों से कृषि के बारे में सुझाव लेकर उनको अपना रहे हैं.
उन्होंने कृषि विभाग के विशेषज्ञों की सलाह से खेत में पड़ रहे खर पतवार की समस्या का समाधान किया और धान की बोई गई फसल की अच्छी उपज प्राप्त करने लगे. उन्होंने वर्ष 2021 में चार एकड़ और 2022 में 13 एकड़ के खेत में सीधे बासमती की बुआई की और इस प्रकार उन्होंने अपने लगभग अपने आधे रकबे में धान की सीधी बुवाई शुरु की.
किसान बाल कृष्ण ने वर्ष 2022 में पंजाब बासमती 7, मुच्छल और बासमती 1692 को क्रमश: 7, 4 और 2 एकड़ के खेत में बोया और प्रति एकड़ 24 से 28 क्विंटल की बेहतर उपज प्राप्त की. बालकृष्ण कहते हैं कि अब वह कृषि विशेषज्ञों के सहयोग से खरपतवार की पहचान कर और शाकनाशियों के प्रभावी उपयोग से अपनी पैदावार को बेहतर बनाते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बुवाई के तुरंत बाद एक लीटर स्टॉम्प 30 ईसी (पेंडिमेथेलिन) और उसके बाद 8 ग्राम एल्मिक्स 20 डब्ल्यूपी प्रति एकड़ का छिड़काव किया, जिससे खेत से खरपतवारों का उन्मूलन काफी अच्छा हुआ.
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किसान बालकृष्ण का कहना है कि बासमती के इस किस्म की बुआई से खेत में पैदावार काफी अच्छी होती है. इस बार उनको पिछले साल की तुलना में प्रति एकड़ 1.25 क्विंटल अधिक उपज मिली है. इसके अलावा उनके अनुभव के आधार पर धान की सीधी बिजाई करने से वह 15 से 18 प्रतिशत तक अधिक पानी की बचत कर पाते हैं और इससे उन्हें खेती के लिए श्रम का भी कम उपयोग करना पड़ता है.
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