RFOI - First Runner-Up: सफल किसान लेखराम यादव आज भारत के उन चुनिंदा अग्रणी किसानों और एग्रीप्रेन्योर्स में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी दूरदृष्टि, मेहनत और प्रकृति-समर्पित सोच के बल पर जैविक खेती का एक नया मॉडल खड़ा किया है. बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी करने के बाद उन्होंने 6.5 वर्ष तक गुरुग्राम के NABL मान्यता प्राप्त लैब में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और GMO टेस्टिंग जैसे सटीक वैज्ञानिक कार्यों में योगदान दिया. लेकिन शहरी जीवन के बदलते स्वास्थ्य पैटर्न और प्रकृति से टूटते संबंधों ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया. इसी आह्वान ने उन्हें प्रयोगशाला की सीमाओं से बाहर निकलकर धरती माता की सेवा करने की राह पर ला खड़ा किया.
आज राजस्थान व गुजरात में 1150 एकड़ में जैविक खेती कर, वे खेती को वैज्ञानिक दृष्टि, आध्यात्मिक चेतना और पारंपरिक ज्ञान का अद्भुत संगम बना रहे हैं. इन्हीं उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए कृषि जागरण द्वारा आयोजित MFOI Awards 2025 में उन्हें RFOI – First Runner-Up से सम्मानित किया गया.
यह सम्मान भारत सरकार के पूर्व सांसद और पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी द्वारा प्रदान किया गया. इस दौरान मंच पर कृषि जागरण के संस्थापक एवं एडिटर-इन-चीफ एम.सी. डोमिनिक और कृषि जागरण की मैनेजिंग डायरेक्टर शाइनी डोमिनिक भी उपस्थित रहीं. ऐसे में आइए सफल किसान लेखराम यादव की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
वैज्ञानिक आधार से कृषि की ओर पहला कदम
लेखराम यादव का सफर विज्ञान से शुरू होता है. एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की डिग्री ने उन्हें लैबोरेटरी विज्ञान की मजबूत नींव दी. NABL मान्यता प्राप्त लैब में तकनीकी प्रबंधक के रूप में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही, जहां वे डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और GMO टेस्टिंग जैसे विशेषज्ञ कार्यों से जुड़े थे. इसी अनुभव ने उन्हें वैज्ञानिक सोच, प्रिसिजन वर्क और गुणवत्ता की महत्ता सिखाई, जो आगे चलकर उनकी जैविक खेती की असली पूंजी बनी.
प्रकृति की पुकार-कैरियर का निर्णायक मोड़
शहरी जीवन में बढ़ती बीमारियों, प्रदूषण और रासायनिक खाद्य पदार्थों के दुष्प्रभावों ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया. उन्हें महसूस हुआ कि विज्ञान का वास्तविक उपयोग मानवता के कल्याण में होना चाहिए. इसी सोच ने उन्हें बड़ी नौकरी छोड़कर जैविक खेती की ओर मोड़ा. राजस्थान में 110 एकड़ भूमि से शुरू हुआ यह सफर आज 1150 एकड़ पर विस्तृत है.
राजस्थान और गुजरात में 1150 एकड़ का जैविक साम्राज्य
आज उनके फार्म देश के निम्न जिलों में फैले हुए हैं-
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जयपुर
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नागौर
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जैसलमेर
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बोटाद (गुजरात)
इन सभी फार्मों को NPOP इंडिया से ऑर्गेनिक प्रमाणन प्राप्त है, जो गुणवत्ता, स्वच्छता और पारदर्शिता का प्रमाण है.
कठिनाइयों से सीख-असफलता से उभरती नई शुरुआत
जैविक खेती का आरंभ आसान नहीं था. एलोवेरा की पहली फसल में उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि असफलता को सीख में बदल दिया. वे देशभर में सेमिनारों में गए, अनुभवी किसानों से मार्गदर्शन लिया, और डिजिटल प्लेटफॉर्म से आधुनिक ज्ञान जुटाया.
TCBT तकनीक से खेती में क्रांतिकारी बदलाव
गुरुजी ताराचंद बेलजी द्वारा सुझाई गई TCBT तकनीक ने उनके फार्म में अद्भुत सुधार लाए.
आज उनके सभी खेतों में यह तकनीक लागू है, जिसके परिणामस्वरूप-
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ी
- पानी की खपत घटी
- फसल गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में विकास हुआ
उनका फार्म "सुगंधिम पुष्टि वर्धनम्" सिद्धांत पर चलता है, जिसमें फसलों की खुशबू, पोषण और प्राकृतिक शक्ति को संरक्षित रखा जाता है.
कृषि और आध्यात्मिकता का संगम - अग्निहोत्र साधना
लेखराम यादव अपने खेतों में प्रतिदिन दो बार अग्निहोत्र करते हैं. इसका उद्देश्य-
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वातावरण की शुद्धि
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पौधों की ऊर्जा में वृद्धि
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मिट्टी और पर्यावरण में सकारात्मक तरंगें बढ़ाना
यह अनूठा मिश्रण खेती को आध्यात्मिक और पर्यावरणीय दोनों स्तरों पर मजबूत बनाता है.
A2 प्रमाणित डेयरी - शुद्धता की मिसाल
उनके फार्म में सहिवाल नस्ल की गायों से प्राप्त A2 गुणवत्ता वाला दूध और उससे बने उत्पाद देशभर में लोकप्रिय हैं-
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दूध
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घी
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पनीर
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पारंपरिक मिठाइयां
यह डेयरी पारंपरिक भारतीय पद्धतियों पर आधारित है, जहां शुद्धता, पोषण और देखभाल सर्वोपरि है.
पारंपरिक प्रसंस्करण - पोषण को शुद्ध रूप में सुरक्षित रखना
उनका मानना है कि “उगाओ पारंपरिक, प्रसंस्करण पारंपरिक, खाओ पारंपरिक”, इसी सोच से उन्होंने अपने फार्म पर कई परंपरागत तकनीकों को पुनर्जीवित किया-
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लो RPM आटा चक्की - पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं
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हाइड्रोलिक प्रेशर ऑयल एक्सट्रैक्शन - बिना गर्मी के शुद्ध तेल
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ओखली-मूसल में मसाला पिसाई - प्राकृतिक सुगंध और औषधीय गुण बरकरार रहते हैं
इन तरीकों से उत्पादों की गुणवत्ता और जीवनशक्ति दोगुनी हो जाती है.
एग्रो-टूरिज्म और संस्कृति का पुनर्जागरण
लेखराम यादव ने राजस्थान में
- 22 एकड़ एग्रो-टूरिज्म प्रोजेक्ट
- 56 भोग वाटिका
की शुरुआत की है, जो राजस्थान एग्रो-टूरिज्म विभाग में पंजीकृत है.
यह स्थान पर्यटकों को ग्रामीण जीवन, कृषि विज्ञान, योग, जैविक भोजन और भारतीय संस्कृति का अनूठा अनुभव प्रदान करता है.
पुरस्कार और उपलब्धियां - निरंतर बढ़ती पहचान
उनकी मेहनत और समर्पण को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है—
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RFOI - First Runner-Up (MFOI Awards 2025) - भारत सरकार के पूर्व सांसद और पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी द्वारा सम्मानित
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मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड (पिछले 3 वर्षों से)
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जैविक इंडिया अवॉर्ड
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भारत गौरव रत्न अवॉर्ड
- राष्ट्रीय अशोक सम्मान
ये सम्मान सिर्फ उनकी उपलब्धियों के प्रतीक नहीं, बल्कि जैविक खेती के प्रति उनके अटूट समर्पण का प्रमाण हैं.
उनकी कृषि–दर्शन - प्रकृति एक संबंध है, साधन नहीं
लेखराम यादव कहते हैं, “प्रकृति कोई संसाधन नहीं, एक पवित्र संबंध है. जैविक खेती इस संबंध को पुनर्स्थापित करने का माध्यम है. जब हम जमीन को पोषित करते हैं, जमीन हमें जीवन पोषित करती है.”
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