इस जमाने के युवा बड़ी कंपनियों में मोटे पैकेज़ कि नौकरी अथवा सरकारी नौकरी करने कि सोच रखता है और लगभग कोई भी युवा ये नहीं सोचता कि वह खेती किसानी करे. इन सभी सोच को परे रखते हुई राकेश गहलोत ने डेरी संचालन की अलग शुरूआत कि है. बिजनेस मैनेजमेंट कर चुके राकेश ने खेती और पशुपालन को लेकर घट रहे युवाओं के रुझान के बीच गिर नस्ल की गायें खरीदी और डेरी चालू की। आज उनकी डेयरी के अच्छे परिणाम आ रहे है. तो लोग उनके इस कार्य को देखकर प्ररेणा भी ले रहे है.
कैसे करें डेरी बिज़नेस
बिजनेस मैनेजमेंट के छात्र राकेश गहलोत कि सोच है की वे शहरवासियों को अच्छे गुणवक्ता का पौष्टिक दूध उपलब्ध करवाना। उन्होंने अपनी डेरी की शुरूआत जोधपुर रोड से शुरू किया। राकेश के परिवार के सदस्यों ने डेरी के काम ने उनका सहयोग दिया। डेरी शुरू करने के लिए सबसे पहले राकेश ने गुजरात जुनागढ़ के गोंडल क्षेत्र से गिर नस्ल की गायें खरीदी। दो माह पहले शुरुआत करते हुए पहले तीन गायें व इसके बाद सात गायें खरीदी। एक गाय सुबह-शाम 5-6 लीटर दूध देती है। दस गायों से डेयरी का संचालन कर रहे राकेश ने बताया कि 500 ग्राम से 1 लीटर की बोतल में दूध की पैकिंग कर वह उसे स्थानीय स्तर पर बेचते है। दूध दुहने के व् पैकिंग के बाद हाथो-हाथ बिक जाता है. राकेश कहते है उनको यह काम करके बहुत ख़ुशी मिल रही है. वे कहते है की डेरी उद्योग में रोजगार की प्रचूर संभावना है लेकिन गिर नस्ल की गायें महंगी होने पर आरम्भ में बड़ी पूजी की जरूरत होती है। एक बार कार्य आरम्भ होने के बाद गायों के पालन में कोई परेशानी नहीं होती है। स्थानीय गायों की तरह ही इनका पालन संभव है.
इस उद्योग कि शुरूआत करने से पहले मुझे कुछ झिझक हुई थी. लेकिन शहर के लोगों को पौष्टिक दूध उपलब्ध करवाने को लेकर डेयरी प्लांट लगाने का निर्णय लिया। अच्छी किस्म की गायों के पालन व इससे अच्छी होने वाली आय पर खुश हूं. हमे लगता है डेरी उद्योग में आपार सम्भावनाये हैं.
प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण
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