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Dairy Farming: 20 गिर गाय से शुरू किया था डेयरी फार्मिंग बिजनेस, अब सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये, जानें कैसे मिली सफलता

Dairy Farming Business: राजस्थान के पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन अपनी पत्नी इशिता जैन के साथ 100 गिर गायों का पालन कर सालाना 1.25 करोड़ रुपये का टर्नओवर जरनेट कर रहे हैं. यहां पढ़ें उनकी सफलता की कहानी-

विवेक कुमार राय
Vibhor Jain and Ishita Jain, dairy farmers from Rajasthan
किनाया आर्गेनिक फार्म में गिर गाय के साथ प्रगतिशील पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन और इशिता जैन

Dairy Farming Business: कृषि क्षेत्र में खेती-किसानी के बाद डेयरी फार्मिंग व्यवसाय को आमदनी का सबसे बढ़िया और बड़ा स्रोत माना जाता है. इसमें भी गौपालन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. गौपालन से ना सिर्फ अधिक दूध, दही और घी मिलता है बल्कि खेती के लिए किसानों को आर्गेनिक खाद भी मिल जाता है जिससे कृषि लागत में कमी आती है और उत्पादन में वृद्धि होती है. यही वजह है कि मौजूदा वक्त में हमारे देश के युवा भी डेयरी व्यवसाय में अपना हाथ आजमा रहे हैं और शानदार मुनाफा कमा रहे हैं. उन्हीं युवाओं में से एक किनाया ऑर्गेनिक फ़ार्म्स एंड लाइफ़ ब्रांड के संस्थापक विभोर जैन हैं जो कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करने के बाद किसी कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी नहीं किए बल्कि डेयरी फार्मिंग विकल्प चुने. मौजूदा वक्त में प्रगतिशील पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन अपनी पत्नी इशिता जैन के साथ 100 गिर गायों का पालन कर रहे हैं और शानदार मुनाफा कमा रहे हैं.

विभोर जैन और इशिता जैन की इन्हीं उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए कृषि जागरण ने उनसे विशेष बातचीत की और यह जानने कि कोशिश कि डेयरी फार्मिंग व्यवसाय में अभीतक का उनका अनुभव कैसा रहा है? गिर गाय पालन की ही शुरुआत उन्होंने क्यों की? डेयरी फार्मिंग व्यवसाय में चुनौतियां क्या हैं? डेयरी फार्मिंग में लागत और मुनाफा कितना होता है? पेश है उनसे बातचीत के संपादित अंश-

डेयरी फार्मिंग की शुरुआत

कृषि जागरण से बातचीत में विभोर जैन ने बताया कि 22 साल की उम्र में उन्होंने 2017 में किनाया आर्गेनिक फार्म की शुरुआत किया था. वही मेरा डेयरी फार्म तिबारिया, हिंगोनिया रोड, जयपुर, राजस्थान में स्थित है. मेरे परिवार से पहले कोई भी कृषि क्षेत्र से नहीं जुड़ा था बल्कि यह पहली पीढ़ी है जो कृषि क्षेत्र से जुड़ी है और डेयरी फार्मिंग बिजनेस कर रही है. उन्होंने आगे बताया कि चूंकि हमारे पास जमीन नहीं था. इसलिए मैंने जयपुर में किराये की जमीन पर इसकी शुरुआत किया था. तीन साल बाद जब सबकुछ सही हो गया तो मैं जमीन खरीद कर किराये के जमीन से अपनी जमीन पर शिफ्ट हो गया. वही मौजूदा वक्त में 12 एकड़ में मेरा फार्म है.

गिर गाय पालन की शुरुआत

युवा कृषि उद्यमी विभोर जैन ने बताया कि डेयरी फार्मिंग की शुरुआत में मैंने गिर नस्ल की 20 गायों और एक नंदी को खरीदा था. मौजूदा वक्त में हमारे पास गिर नस्ल की 100 गायें हैं. जब मैंने 2017 में गिर गायों को खरीदा था, तो एक गाय की औसतन कीमत 1.25 लाख रुपये थी. वही मैंने जो गायें खरीदी थीं उनमें कुछ गायें गर्भवती थीं और कुछ गायें दुधारू थीं.

गिर गाय पालन करना ही क्यों चुना?

विभोर जैन ने बताया कि राजस्थान में देशी गाय की हरियाणवी, राठी, थारपारकर, कांकरेच, गिर, नागौरी, साहीवाल और मालवी समेत कई नस्लें राज्य के विभिन्न जिलों की जलवायु के अनुसार पाली जाती हैं. वही जयपुर के आसपास में पशुपालकों द्वारा पालन किए जा रहे नस्लों के बारे में जब मैंने जानकारी एकत्र किया तो पता चला कि ज्यादातर पशुपालक गिर गाय का पालन करते हैं. फिर मैंने भी गिर गाय पालन करने का निर्णय लिया. इसके लिए मैं गुजरात जाकर उन पशुपालकों से मिला जिनके यहां पीढ़ी दर पीढ़ी गिर गाय पालन होता आ रहा है. उन्हीं पशुपालकों से जाना कि नस्ल संवर्धन क्या होता है. फिर मेरे यहां धीरे-धीरे गिर गायों की संख्या बढ़ती गई और यह बिजनेस भी आगे बढ़ता गया.

Vibhor Jain and Ishita Jain, dairy farmers from Rajasthan
किनाया आर्गेनिक फार्म में गिर गाय के साथ प्रगतिशील पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन और इशिता जैन

गिर गाय कितना दूध देती है?

युवा पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन ने बताया कि आमतौर पर गिर गाय की जो अच्छी नस्लें होती हैं उनसे एक वक्त में 8-10 दूध लीटर प्राप्त किया जा सकता है. मतलब, सुबह और शाम का मिलाकर दिन का 16-20 लीटर दूध मिल जाता है. वही अगर गाय के बच्चे को पशुपालक एक या दो थन पिला देते हैं, तो भी एक गाय से प्रतिदिन 12 से 14 लीटर दूध प्राप्त हो जाता है.

देसी गाय पालन करना क्यों चुनें?

विभोर जैन ने बताया कि देसी गायों की तुलना में जर्सी गायों से अधिक दूध प्राप्त हो सकता है, लेकिन उन्होंने जर्सी गायों का पालन नहीं करके देसी गाय पालन करने ही उचित समझा. इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि मुझे पर्यावरण से जुड़कर रहने में बहुत आनंद आता है. आप इसे मेरा शौक भी कह सकते हैं. इसके अलावा, जर्सी गायों और ए1 और ए2 दूध को लेकर काफी रिसर्च हुई है. इससे जो निष्कर्ष निकला है उसके मुताबिक यदि आप लंबी अवधि तक जर्सी गाय के दूध का सेवन करते हैं, तो जर्सी गाय का दूध सेहत के लिए काफी हानिकारक सिद्ध होता है. असली जो दूध के गुण होते हैं वह देसी गाय के दूध में ही होते हैं. जर्सी गाय जेनेटिकली मॉडिफ़ाइड होती है.

गिर गाय का दूध बिकता है 125 रुपये लीटर तक

विभोर जैन ने बताया कि अच्छी कीमत पर दूध सेल करने के लिए ग्राहकों के बीच में सबसे पहले विश्वास बनाना पड़ता है. जब विश्वास बन जाता है तब दूध की कीमत भी आसानी से अच्छी मिल जाती है. वही विश्वास बनाने के लिए हमने फेसबुक और यूट्यूब का सहारा लिया था. यूट्यूब पर हम अपने फार्म की पूरी दिनचर्या दिखाते थे. वही मैं शुरू-शुरू में गिर गाय का दूध 91 रुपये प्रति लीटर बेचता था. मैं मौजदा वक्त में 125 रुपये लीटर बेचता हूं. हालांकि, इस कीमत पर दूध की ज्यादा सेल नहीं होती है. बहुत कम ऐसे ग्राहक हैं जो इतना महंगा दूध हमसे खरीद कर पीते हैं. इसके अलावा, हमारे डेयरी फार्म पर 300 से 350 लीटर दूध प्रति दिन उत्पादन होता है.

किनाया आर्गेनिक फार्म के उत्पाद

विभोर जैन ने बताया कि जैसा कि हमारे डेयरी फार्म पर 300 से 350 लीटर दूध प्रति दिन उत्पादन होता है उसमें से हम औसतन 100 से 125 लीटर दूध बेच पाते हैं बाकि दूध का हम घी बनाते हैं. वही घी हमारा 3300 रुपये लीटर बिकता है. उन्होंने आगे बताया कि हम अपने घी को यूएस, दुबई और आस्ट्रेलिया समेत कई देश में एक्सपोर्ट करते हैं. वही छाछ को हम यही पर लोकल में जयपुर में ही बेच देते हैं.

डेयरी फार्मिंग में चुनौतियां क्या हैं?

विभोर जैन ने बताया कि डेयरी फार्मिंग की शुरुआत में तीन तरह की चुनौतियां हैं. पहला- गाय की सही नस्ल की पहचान करना और उसको खरीदना. दूसरा- सही मजूदर ढूढ़ना और मैनेज करना, क्योंकि ट्रेनिंग लिए हुए मजदूर नहीं होते हैं बल्कि खुद ही उनको ट्रेनिंग देनी पड़ती है. तीसरा- सही मार्केटिंग, क्योंकि दूध एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसका सही कीमत पर बिकना बेहद जरुरी है. जैसे- सोना को यदि आप चांदी के भाव बेचोगे तो आपका नुकसान ही होगा. यदि इन तीन चुनौतियों का आप सामना कर लेते हैं तो निश्चित तौर पर आप डेयरी फार्मिंग में सफल हो सकते हैं.

गायों के लिए हरा चारा प्रबंधन

युवा पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन ने बताया कि हम अपनी गायों को हरा चारा खिलाने के लिए सीजन के अनुसार 8 से 10 प्रकार के चारा को उगाते हैं, जैसे- ज्वार, रिजका, बाजरा, सुपर नेपियर, मोरिंगा, बरसीम और मेथी समेत नीम, सतवारी और अश्वगंधा का पाउडर आदि खिलाते हैं. 

डेयरी फार्मिंग में लागत

विभोर जैन ने बताया कि अगर कोई किसान 10 गायों का पालन शुरू करता है तो लगभग 20 से 25 लाख रुपये की लागत आती है, क्योंकि इसमें 10 से 12 लाख रुपये सिर्फ गायों को खरीदने में लग जाते हैं. इसके अलावा, उनके रहने के लिए सामान्य से सामान्य भी शेड बनवाते हैं तो उसमें 5 से 6 लाख रुपये लग जाते हैं. साथ ही कुछ पैसे मशीन खरीदने में लग जाते हैं.

डेयरी फार्मिंग बिजनेस से सालाना टर्नओवर

युवा उद्यमी विभोर जैन ने बताया कि दूध, छाछ, घी और पूर्णिमा शतधौत घृत क्रीम आदि को मिलाकर हमारा सालाना टर्नओवर 1.25 करोड़ रुपये है, जिसमें 80 से 90 लाख रुपये हमारी लागत आती है. शेष मुनाफा होता है.

पूर्णिमा शतधौत घृत क्रीम
पूर्णिमा शतधौत घृत क्रीम

पूर्णिमा शतधौत घृत क्रीम क्या है?

इशिता जैन ने बताया कि चरक संहिता में पाए गए प्राचीन निर्देशों के अनुसार, यह असाधारण क्रीम हर महीने पूर्णिमा की रात को तांबे के बर्तन में तैयार की जाती है. इसको तैयार करने के लिए शुद्ध A2 गाय के घी को मंत्रों के उच्चारण के साथ पवित्र अनुष्ठान में 100 बार धोया जाता है. वही एक बार धोने से पहले 10 बार पानी घुमाया जाता है यानी 10 हजार बार पूरी प्रक्रिया के दौरान घुमाया जाता है. यह काफी लंबा प्रोसेस है. इसमें 5–6 घंटे लग जाते हैं. वही इस अनूठी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप छोटे कणों के साथ हल्का, अधिक मात्रा वाला घी प्राप्त होता है जिसको चेहरे पर लगाने से झुर्रियां कम होती हैं. जो दाग और धब्बे होते हैं वह दूर हो जाते हैं. त्वचा का रूखापन दूर हो जाता है. इसके अलावा और भी त्वचा संबंधी कई समस्याओं में यह क्रीम कारगर है.

ग्राहकों के बीच इस उत्पाद की खूब मांग है. जो ग्राहक इसे एक बार इस्तेमाल करता है वह दोबारा भी हमसे इसको आर्डर करता है.

English Summary: Rajasthan farmer Vibhor Jain is earning lakhs annually from dairy farming business, read his success story Published on: 01 July 2024, 04:05 PM IST

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