Success Story: कहते हैं की इंसान जब कुछ ठान ले, तो विपरीत परिस्थितियों में भी उसे हासिल जरूर कर लेता है. कुछ ऐसी ही कहानी है राजस्थान के जोधपुर जिले से संबंध रखने वाले किसान रामचन्द्र राठौड़ की, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ ऐसी फसलों की खेती की, जो कोई सोच भी नहीं सकता था. वैसे तो राजस्थान एक कठोर जलवायु परिस्थितियों वाला राज्य है, इसके बावजूद भी रामचन्द्र ने एक बंजर जमीन पर स्ट्रॉबेरी और ब्रोकली की खेती कर कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है. अपनी इस सफलता से उन्होंने कई अन्य किसानों को प्रेरित किया है और दूर-दूर किसानों से प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं.
चुनौतीपूर्ण परिदृश्य में भी किया कमाल
रामचन्द्र राठौड़ जोधपुर जिले की लूनी तहसील से संबंध रखते हैं. लूनी पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र का एक हिस्सा है, जो बंजर भूमि के लिए जाना जाता है. इतना ही नहीं, इस क्षेत्र को प्रदूषित पानी के कारण डार्क जोन के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हाल के दिनों में कुछ सुधार के बावजूद, इस रेगिस्तानी क्षेत्र में लोग बार-बार सूखे से जूझने को मजबूर हैं. अधिकांश युवा नौकरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर गए हैं. लेकिन, इस इस चुनौतीपूर्ण परिदृश्य में भी रामचंद्र राठौड़ ने अपनी पैतृक भूमि पर स्ट्रॉबेरी और ब्रोकोली की सफलतापूर्वक खेती करके कई लोगों को हैरान किया है. कहते हैं कि उनके खेत के टमाटर फ्रिज में दो महीने तक ताजा रहते हैं. रामचन्द्र की कृषि तकनीकों ने वैश्विक कृषि एक्सपर्ट्स का ध्यान भी खिंचा है.
कम उम्र में शुरू कर दी थी खेती
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रामचन्द्र ने बताया कि वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बड़े हुए हैं. उनके पिता भी एक किसान थे और उन्हें अपर्याप्त बारिश के कारण बार-बार फसल की विफलता का सामना करना पड़ता था. जिसके कारण रामचन्द्र को आगे की पढ़ाई करने के बजाय खेती में सहायता करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने अपने परिवार का समर्थन करने के लिए सिलाई की ओर रुख किया और स्व-वित्तपोषण के माध्यम से 12वीं कक्षा तक अपनी शिक्षा जारी रखी.
हालांकि, 2004 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने 17 साल की उम्र में अपनी पैतृक भूमि पर वापस खेती करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि शुरुआत में वे मूंग, बाजरा और ज्वार की खेती किया करते थे. हालांकि, उन्हें प्रदूषित और अनुपयुक्त पानी के चलते कई समस्याओं को सामना भी करना पड़ा.
सरकारी प्रशिक्षण ने बदला जीवन
उनकी जींदगी में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्हें सरकार की कृषक मित्र योजना के तहत जोधपुर सीएजेडआरआई संस्थान में सात दिवसीय प्रशिक्षण का अवसर मिला. इस प्रशिक्षण ने उन्हें सिखाया कि कृषि के लिए वर्षा जल का संरक्षण कैसे किया जाए और रेगिस्तानी परिस्थितियों में नवीन कृषि पद्धतियों को कैसे अपनाया जाए. प्रशिक्षण ने उन्हें किसानों का समर्थन करने वाली सरकारी योजनाओं की एक श्रृंखला से भी परिचित कराया. इससे उन्हें अपने इस विश्वास को चुनौती देने के लिए प्रेरित किया कि अकाल और बेमौसम बारिश असाध्य समस्याएं हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन और प्रशिक्षण से प्राप्त व्यावहारिक ज्ञान के माध्यम से उन्होंने वर्षा जल संचयन की क्षमता और अनियमित मौसम पैटर्न के खिलाफ पॉलीहाउस के सुरक्षात्मक लाभों की खोज की.
कई किसानों के कर रहे प्रेरित
जोधपुर में बागवानी विभाग के एक अधिकारी द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर रामचंद्र ने 2018 में एक पॉलीहाउस की स्थापना की. इसके बाद उन्होंने 2019-20 में एक फार्म तालाब और एक वर्मी-कम्पोस्ट इकाई स्थापित करके अपने प्रयासों का विस्तार किया. पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए वर्षा जल का उपयोग करके, उन्होंने केवल 100 वर्ग मीटर में 14 टन की रिकॉर्ड-तोड़ उपज हासिल की, जो जोधपुर जिले के किसी भी किसान द्वारा बेजोड़ उपलब्धि है.
अपने नए-नए इनोवेशन को जारी रखते हुए उन्होंने नकदी फसलों के क्षेत्र में कदम रखा और रेगिस्तानी क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी और तोरी की सफलतापूर्वक खेती की. उन्होंने अपनी भूमि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बागवानी खेती के लिए समर्पित करते हुए जैविक उर्वरक उत्पादन का भी बीड़ा उठाया. उनकी सफलता की कहानी ने व्यापक प्रभाव पैदा किया है और अन्य किसानों को भी इसी तरह की पद्धतियां अपनाने के लिए प्रेरित किया है.
‘नौकरियों के पीछे न भागें युवा’
रामचंद्र ने कहा कि मैं युवाओं से कहता हूं कि वे नौकरियों के पीछे न भागें और न ही पलायन करें. मैं उन लोगों को ट्रेनिंग देता हूं जिनका नौकरी में कोई भविष्य नहीं है. जो लोग 20 साल पहले पलायन कर गए थे, वे अब वापस लौटने लगे हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में बारिश बहुत कम होती है और भूजल की कमी यहां चिंता का एक बड़ा कारण है. लेकिन, किसान अगर बारिश के पानी का संरक्षण करना सिखा जाए, तो हमारा राज्य निश्चित रूप से समृद्ध हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैं एक साल में 6 लाख रुपये तक कमाता हूं और अपने क्षेत्र के अन्य किसानों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए अपना पूरा सहयोग दे रहा हूं.
Share your comments