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देशभर में मशहूर है मंडकौला का गन्ना, मिठास से लेकर उत्पादन में अव्वल, यहां के किसान कमा रहे लाखों

कृषि जागरण की टीम से खास बातचीत के दौरान हरियाणा के पलवल जिले मंडकौला गांव के प्रगतिशील किसान मेदीराम ने बताया कि हमारे गांव का गन्ना भारत के अलग-अलग हिस्सों में लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जाता है. इसके अलावा उन्होंने अपने गांव की खेती-किसानी को लेकर भी कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया...

लोकेश निरवाल
हरियाणा के पलवल जिले मंडकौला गांव के प्रगतिशील किसान मेदीराम, फोटो साभार: कृषि जागरण
हरियाणा के पलवल जिले मंडकौला गांव के प्रगतिशील किसान मेदीराम, फोटो साभार: कृषि जागरण

आज हम आपको एक ऐसे सफल किसान के बारे में बताएंगे, जो गांव और किसानों की भलाई के लिए सरपंच भी रह चुके हैं. जिस किसान की हम बात कर रहे हैं वह हरियाणा जिला के पलवल, डाकखाना मंडकौला, गांव स्यारौली के प्रगतिशील किसान मेदीराम है. बात दें कि कृषि जागरण की टीम से खास बातचीत के दौरान अपने क्षेत्र की खेती-किसानी/Farming और देशभर में मसूर मंडकौला के गन्ने की खासियत के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि हमारे यहां की जमीन खेती करने के लायक नहीं थी, क्योंकि यहां की मिट्टी बंजर हुआ करती थी, जिसे हमने कड़ी मेहनत और फर्टिलाइजर समेत अन्य उपकरणों की मदद से उपजाऊ बनाया है. आज के समय में ज्यादातर किसानों ने अच्छी पैदावार पाने के लिए जमीन को कंप्यूटरवाइज करवा लिया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि हमारे यहां का पानी मीठा है, जिसके चलते यहां के कई किसान जो भी उगाते हैं, वह फसल अधिकतर मीठी होती है. आगे उन्होंने कहा कि यहां ग्वार और ज्वार की काफी अच्छी पैदावार होती है.

किसान मेदीराम ने बताया कि हमारे यहां का गन्ना सबसे अधिक मीठा होता है. देश के अलग-अलग राज्यों के लोगों के द्वारा हमारे क्षेत्र का गन्ना खरीदने के लिए आते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब भी हम अपने खेत के गन्ने को बाजार में लेकर जाते हैं, तो मंडी में उसकी अलग ही पहचान है, जिसके चलते हमें इसके अच्छे दाम आराम से मिल जाते हैं. इस गन्ने की खेती से वह हजारों-लाखों की कमाई आसानी से कर लेते हैं.

देशभर में मशहूर मंडकौला का गन्ना

किसान मेदीराम ने बताया कि हमारे यहां का गन्ना काफी अधिक मशहूर है. देश के कोने-कोने से लोग मंडकौला का गन्ना खरीदने के लिए आते हैं. मंडकौला के गन्ने की इतनी अधिक मांग होने का मुख्य कारण हमारे यहां का मीठा पानी है. हम अपने खेत में गन्ने की खेती ट्यूबवेल के पानी से करते हैं और अन्य क्षेत्रों में गन्ने की खेती/Ganne ki kheti के लिए वह नहर व केमिकल्स की मदद से खेती करते हैं, जिसके चलते गन्ना मीठा नहीं होता है. इसका असर गन्ने की पैदावार पर भी पड़ता है. वहीं, हमारे क्षेत्र के किसानों के द्वारा गन्ने की खेती ट्यूबवेल के पानी से की जाती है और खेती के लिए वह प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. जिसके चलते हमारे क्षेत्र यानी की मंडौली का गन्ना सबसे अधिक मीठा होता है और साथ ही गन्ने की पैदावार भी काफी अच्छी होती है. उन्होंने बताया कि बाजार में हमारे खेत के गन्ने का दाम भी अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अच्छा मिलता है. मंडियों में मंडकौला का गन्ने की अपनी एक अलग ही पहचान है. व्यापारियों के द्वारा मंडकौला का गन्ना को अधिक खरीदा जाता है.     

कुआं के लिए लोन

मेदीराम ने बताया कि उन्होंने खेती करने के लिए कुआं खुदवाया जिसके लिए उन्होंने सरकार से लोन की सुविधा ली. क्योंकि हमारे यहां सिंचाई के लिए एक मात्र साधन कुआं हुआ करता था. खेत की सिंचाई के लिए वह रहट के द्वारा पानी चलाते थे. इस प्रक्रिया में करीब 8 दिन तक का समय लगता था. उन्होंने बताया कि बाद में फिर सरकार ने हमारे खेत में बिजली की सुविधा लाई और इसके बाद हमने अपने खेतों में ट्यूबवेल लगवाना शुरू किया. इसके लिए सरकार भी किसानों को लगातार जागरूक कर रही थी कि किसान कुएं कि जगह ट्यूबवेल विधि को अपनाएं. उन्होंने बताया कि मैंने अपने खेत में कुएं खुदवाने के लिए करीब 2600-2700 रुपये तक का लोन लिया था.

घर में नहीं बनती थी गेहूं की रोटी

किसान मेदीराम ने कृषि जागरण की टीम को बताया कि हमारे घर में अनाज की रोटी नहीं बनती थी और जो गेहूं की रोटी बनती थी वह सिर्फ कुछ खास मौके पर बनाई जाती थी. जब कोई मेहमान घर पर आते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे क्षेत्रों में गेहूं नहीं उगता था और जो किसान गेहूं की खेती करते थे. वह उत्पादन को सुरक्षित रखते थे. उन्होंने यह भी बताया कि अनाज की रोटी की जगह हम चने और मोटे अनाज (श्री अन्न) की रोटी खाते थे. आज के समय में लोगों के द्वारा चने और मोटे अनाज की रोटी को नहीं खाया जाता है और लोग इसे खा भी नहीं सकते हैं. क्योंकि इन्हें पचाना इतना आसान नहीं होता है.  इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अब के समय में किसानों के द्वारा चने की फसल बहुत ही कम उगाई जाती है. क्योंकि इसमें रोग लगने की संभावना सबसे अधिक होती है, जिसके डर से किसान इसकी खेती से बचते हैं.

प्रगतिशील किसान मेदीराम कर रहे कई फसलों की खेती, फोटो साभार: कृषि जागरण
प्रगतिशील किसान मेदीराम कर रहे कई फसलों की खेती, फोटो साभार: कृषि जागरण

सब्जियों और अन्य फसलों की कर रहे हैं खेती

फिलहाल मेदीराम अभी अपने खेत में सब्जियों की खेती के साथ-साथ अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं. वह अपने खेत में भिंडी, लौकी, तोरी, मूंग, मक्का, ज्वार और बाजरे की खेती करते हैं. इसके अलावा वह सीजन के अनुसार अपने खेत में अन्य फसलों को लगाते हैं. उन्होंने बताया कि हम अपने खेत में धान की खेती नहीं करते हैं क्योंकि हमारे यहां पानी की कमी है. किसान इसकी खेती नहर के आस-पास वाले क्षेत्रों में ही करते हैं.

किसान परंपरागत खेती को छोड़ करें अन्य फसलों की खेती

किसान मेदीराम ने देश के किसानों के लिए कहा कि अगर आप खेती से अधिक मुनाफा पाना चाहते हैं, तो वह अपनी परंपरागत खेती को छोड़कर अन्य फसलों की खेती को अपनाएं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसान खुद से अपनी फसलों के उत्पादों को तैयार कर बाजार में उसे खुद ही बैचें. ताकि वह अपनी फसल का पूरा लाभ खुद पा सके. उन्होंने कहा कि आज के समय में ऐसे भी युवा हैं, जो अच्छी-अच्छी बड़ी नौकरी छोड़कर खेती में लग गए हैं और वह अब लाखों-करोड़ो की कमाई कर रहे हैं. किसान कुछ इस तरह से खेती करें, जिसे वह अपनी तरक्की के साथ-साथ अपने क्षेत्र की भी तरक्की करें.

English Summary: progressive farmer Mediram in Palwal of Haryana said that Mandkaula is famous sugarcane all the india Published on: 27 May 2024, 03:27 PM IST

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