पराली की समस्या को दूर करने के लिए कई किसान अब कई तरह के पहल को आगे बढ़ रहे हैं. पंजाब के संगरूर जिले के ऐसे ही एक किसान पराली से लाभ लेने की कहानी गढ़ रहे हैं. कई किसान पराली को अपने खेतों में मिलाकर गेहूं की सीधी बिजाई को अपना रहे थे तो वहीं अब मर्दखेड़ा गांव के किसान धान की कटाई होने के बाद इस तरीके को अब आलू की खेती में भी यह तरीका अपना रहे हैं.
गांव के किसान पिछले दो वर्षों से पराली को जलाने से रोकने के लिए इस आलू की खेती के लिए इस तकनीक को अपना रहे हैं और साथ ही आलू की खेती में मुनाफा भी कमा रहे हैं. साथ ही यहां के किसान अपने आलू को सही समय पर बेच सकें इसके लिए उन्होंने आलू के चिप्स इत्यादि बनाने वाली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर आलू की खेती आरंभ की है. यह ही नहीं गांव को पराली मुक्त किया जा सके इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी के द्वारा कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं.
गांव में रहने वाले दो किसान रमनदीप सिंह व गुरबिंदर सिंह हनी पिछले दो वर्षों से आलू की खेती में धान की पराली का उपयोग खाद के तौर पर कर रहे हैं. पिछले तीन वर्षों से पराली को नहीं जलाई है और दो वर्षों से आलू की खेती कर रहे हैं. किसान बताते हैं कि उन्होंने सीधी बिजाई के लिए केवीके खेड़ी से हैपीसीडर चलाने की ट्रेनिंग ली है. किसान की मानें तो पहले पराली को जमीन में ही खुर्दबुर्द करके गेहूं की बिजाई कर रहे थे और अच्छी पैदावार मिलने के बाद इसे आलू की खेती में अपना रहे हैं. पराली को मिट्टी में मल्चर, पलटावे हेल, रोटावेटर इत्यादि की मदद से मिट्टी में मिला दिया जाता है और फीर इसमें आलू के बीजों की बिजाई की जाती है.
किसान बताते हैं कि मिट्टी में पराली को मिलाने के बाद यह आलू में फसल का काम करती है. आलू की सही विकास के लिए मिट्टी अधिक कठोर होनी चाहिए ताकी पराली आलू के लिए मददगार बन सके. बिजाई के लिए आलू के बीज चिप्स व अन्य सामग्री बनाने वाली कंपनी के द्वारा बीज ट्यूबर द्वारा तैयार करके दिया जाता है. साथ ही कंपनी के द्वारा समय-समय पर आलू के फसल का जायजा लिया जाता है और आलू का उत्पादन प्रति एकड़ 70-80 क्विंटल होता है.
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किसान कहते हैं कि आलू की फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है और इसकी बिजाई 25 अक्टूबर के आस-पास शूरू हो जाती है. वहीं किसानों द्वारा आलू की खुदाई कर दी जाती है जिसको कंपनी खुद ही पैकिंग इत्यादि करके ले जाती है. बता दें कि केवीके के द्वारा मिलकर किसानों को प्रेरित किया जा रहा है और खेती-बाड़ी के लिए कई प्रकार की ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
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