देश की कृषि में महिलाओं की लगभग 50 प्रतिशत भागीदारी है। उसके बाद भी अधिकतर महिलाएं खेती-बाड़ी में फैसले का अधिकार नहीं रख पातीं। अधिकार है तो सिर्फ बराबरी की मेहनत का। फिर चाहे फसलों की बुवाई की बात हो या कटाई, गहाई की। खेती से होने वाली आय पर भी पुरूषों का कब्जा रहता है जो कि पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परा में बदला जा रहा है लेकिन यह आदर्श समाज के लिए शर्मनाक है। अगर अवसर मिले तो महिलाएं भी अन्य क्षेत्रों की तरह कृषि क्षेत्र में भी उच्च मुकाम हासिल करेंगी। वर्तमान में ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है। उन्हीं में से एक हैं औरंगाबाद स्थित यारी गांव की पूनम सिंह जो कि खेती से 8 लाख की आय प्राप्त कर रही हैं। वास्तव में पूनम एक सम्पन्न परिवार की गृहिणी होने के बावजूद भी कृषि में सम्मान के साथ कार्य कर परिवार की आय वृद्धि में महत्वपूर्ण सहयोग किया। पूनम ने 2010 में कृषि कार्य में कदम रखा। शुरूआत में ही 7 एकड़ में अमरूद की बागवानी कर कृषि में कदम बढ़ाया उसके बाद 2011 में आम का भी बगीचा लगाया। कार्य में सफलता के साथ बढ़ती रूचि ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। हालांकि थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना भी करना पड़ा लेकिन उन्हांेने हार नहीं मानी। पूनम ने एक कदम और आगे बढ़ाकर 0.3 हैक्टेयर क्षेत्रफल में मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण करवाया और मछली पालन शुरू किया। प्रारम्भ में जो भूमि खाली पड़ी रहती थी वही सोना उगलने लगी।
थोड़े से प्रयासों से ही पूनम को काफी अच्छी आमदनी प्राप्त होने लगी। इस कार्य में उन्हें परिवार का भी पूरा सहयोग मिलता रहा। उनका सफर यहीं नहीं थमा बल्कि उन्होंने मन बनाया कि क्यों न इसी भूमि पर अनाज की फसल उगाई जाए। भूमि सही न होने से हानि का डर मन में घर करने लगा लेकिन जीत के आगे डर अधिक समय ठहर नहीं सका। वैज्ञानिकों की सलाह मिलने पर पूनम ने पपीते की अंन्तर्वर्ती खेती करना भी शुरू कर दिया। उन्हें लगा कि शायद लागत भी मुश्किल से उन्हें प्राप्त हो पाएगी लेकिन कुछ समय बाद ही पपीते की खेती से पर्याप्त आय प्राप्त होने लगी। पूनम ने बताया कि मछली और पपीते की खेती से उनको 2.60 लाख रूपए की शुद्ध आय प्राप्त होने लगी। पूनम ने वैज्ञानिकों से सलाह लेकर धान की खेती करना भी प्रारम्भ कर दिया और धीरे-धीरे अन्य रबी फसलों की भी खेती की जिससे प्रतिवर्ष 5 लाख रूपए की आय प्राप्त होने लगी। इस प्रकार से पूनम सिंह कृषि के माध्यम से प्रतिवर्ष 7.955 लाख रूपए की शुद्ध आय प्राप्त कर रही हैं।
पूनम ने बताया कि 2010 से पहले 19 हैक्टेयर भूमि से किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं होता था क्योंकि सारी कृषि योग्य भूमि परती पड़ी थी लेकिन पूनम के अथक प्रयासों से उन्होंने भूमि को फिर से हरा-भरा कर दिया। पूनम स्वयं तो स्वावलम्बी बनी हीं साथ ही पूरे क्षे़त्र की महिलाओं के लिए मार्गदर्शक बनकर उभरीं। पूनम को देखने के बाद क्षेत्र की कई महिलाओं की रूचि कृषि कार्य में बढ़ी है। कई किसान खेती के लिए पूनम से जानकारी लेने आते हैं और जानकारी प्राप्त करके खेती कर लाभ कमा रहे हैं।
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