11 साल की उम्र में जब हम खेलते कुदते हैं, तो वहीं प्रेम परिवर्तन ने पेड़ो के साथ खेलना कूदना शुरू किया. कहते हैं हमारे जीवन में गुरू का अहम योगदान होता है, यदि वक्त रहते आपको सही शिक्षा और गुरू मिल जाए तो आपकी जिंदगी में आप एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं. इसी प्रकार से जब पीपल बाबा स्कूल में थे तो उनके अध्यापक ने उन्हें हाईवे निर्माण के लिए पेड़ काटने के पर्यावरण दूषप्रभावों के बारे में बताया. बस फिर क्या था, उनके भीतर प्रकृति के प्रति प्रेम जागा और महज 11 साल की उम्र से पेड़ लगाने शुरू कर दिए और अब उन्हें पेड़ लगाते हुए 40 साल से अधिक का समय बीत चुका है.
2 करोड़ से अधिक पेड़
पीपल बाबा ने अब तक के अपने जीवन में 40 करोड़ से अधिक पेड़ लगा दिए हैं. जिसमें उन्हें कई एनजीओ और संस्थाओं का बखूबी साथ मिल रहा है. कई लोग उनकी इस पहल के साथ जुड़ रहे हैं.
मंदिरों का मिला साथ
बता दें कि हिंदू धर्म में भी पीपल के पेड़ों को पवित्र माना जाता है, जिसकी पूजा भी की जाती है. यहीं कारण है कि आपको अधिकतर मंदिरों के पास पीपल के पेड़ देखने को मिलेंगे. पीपल बाबा ने मंदिरों में जाकर पुजारियों से बात की और पीपल के पेड़ लगाने के महत्व को समझाया, क्योंकि उनका कहना था कि यदि मंदिर के पुजारी पीपल के पेड़ लगाने में रूचि दिखाएंगे तो फिर लोग भी उसी दिशा में आगे चलेंगे. जिसके बाद अब पुजारियों, मंदिर के कर्मचारियों और श्रद्धालुओं ने अब तक 30 हजार से अधिक पेड़ लगा लिए हैं.
पीपल के पेड़ का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल ही एक ऐसा पेड़ है जो कभी कार्बनडाई आक्साइड नहीं छोड़ता है और हमेशा ऑक्सीजन देता है, वहीं अन्य पेड़ रात में ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बनडाई आक्साइड छोड़ते हैं. और यहीं कारण है कि पीपल के पेड़ के आसपास जीव खुशहाल रहते हैं.
क्या होगा लाभ
पीपल के पेड़ से ऑक्सीजन मिलता है और वातावरण भी शुद्ध रहता है. इसके अलावा अधिक से अधिक पेड़ मिट्टी को भी जकड़ कर रखते हैं, जिससे बारिश होने पर भूस्खलन और जमीन दरकने की संभावना बेहद कम हो जाती है.
जलवायु परिवर्तन से हम सब वाकिफ है और इसका भयंकर प्रकोप हमें समय-समय पर देखने को मिल रहा है. घरों, फैक्ट्रियों और बड़े- बड़े कारखानों से उत्सर्जित धुंआ और प्रदूषण पर्यावरण को दूषित कर रहा है. इसका असर मनुष्य स्वास्थ्य पर देखने को मिल रहा है. बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों में सांस संबंधित समस्या सामने आ रही हैं. इसके अलावा पहाड़ दरक रहे हैं, ग्लेशियर पीघल रहे हैं, बे मौसम बारिश, सूखा, बाढ़, अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक सर्दी जैसी समस्या हो रही है.
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