उत्तरप्रदेश के बुदेलखंड का इलाका सूखे के लिए हमेशा चर्चा में बना रहता है. इसकी ये हालत किसी से छिपी हुई नहीं है. लेकिन यहाँ पर एक ऐसे भी किसान हैं जो ना केवल इस सूखे प्रभावित इलाके में खेती कर रहे हैं बल्कि उसमे सफलता भी पा रहे हैं.
इनका नाम है प्रेमसिंह, प्रेमसिंह उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के बड़ोखर गांव के निवासी हैं और 1987 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती की ओर अपना रूख किया. खेती को बतौर आजीविका का स्रोत चुनना प्रेम सिंह के लिए बिलकुल भी आसान नहीं था.
परिवार वाले उनके इस फैसले पर काफी नाराज़ भी हुए, लेकिन वो खेती करने का मन बना चुके थे. प्रेमसिंह पिछले 30 सालों से अपने 25 एकड़ खेत में आर्गेनिक रूप से खेती कर रहे हैं जिसे वह आवर्तनशील खेती (rotational farming) भी कहते हैं.इनका खेती करने का तरीका अन्य किसानों से बिल्कुल अलग है .
ये खेती से आने वाली उपज को सीधा बजार में ना बेचते हुए उसका मल्टीप्ल प्रॉडक्ट बनाकर बेचते हैं. जैसे गेहूं का दलिया और आटा, जो दिल्ली समेत कई शहरों में ऊंची कीमत पर बिकता है. प्रेम सिंह के इसी फार्मूले की बदौलत देश ही नहीं विदेशों में भी किसान इनसे सीखने के लिए बुदेलखंड आते हैं और इनसे प्रभावित होकर रासायनिक खेती को छोड़ जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं.
क्या है आवर्तनशील खेती (what is rotational farming)
प्रेम सिंह कहते है कि किसानों को जो सम्मान देने की ज़रूरत है, वो उन्हें नहीं मिल पाता. हमें जरुरत है की हम उन्हें सम्मान की नजरों से देखें. साथ ही आज के समय में ऐसी खेती करने पर ज़्यादा ज़ोर दिया जा रहा है.
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आज के समय में किसान के पास पैसा होता ही नहीं है जिससे वह एक साथ कई फसलों की खेती कर सकें. उनका पैसा डीज़ल, ट्रैक्टर, यूरिया, DAP खरीदने और ब्याज का पैसा भरने में ही चला जाता है.इस लागत को कैसा रोका जाए इसके लिए प्रेम सिंह ने एक पूरा मॉडल तैयार किया है.
अगर किसान अपने खेत के एक-तिहाई हिस्से में बाग लगाएं, एक-तिहाई हिस्से में पशुपालन करें, बाकी एक तिहाई में अपने परिवार की जितनी ज़रूरत की चीज़ें हैं, जैसे अनाज, दाल, तेल, सब्जियां, जो कुछ भी क्षेत्र की जलवायु के अनुकल हो, उसे अपने घर के लिए उपजा कर और जो बचे उसे प्रोसेस कर बाजार में बेच सकते हैं.
प्रेम सिंह अपनी उपज से 40 से 42 उत्पाद को प्रोसेस करते हैं. प्रोसेसिंग यूनिट्स रोजगार के अवसर को पैदा करता है जो अपने साथ-साथ कई और लोगों को भी रोजगार देने में मदद करता है. प्रेम सिंह ने अपने इस पूरे मॉडल को आवर्तनशील खेती का नाम दिया है.
तो ये थी बुंदेलखंड के सफल किसान प्रेमसिंह की कहानी, जो ना सिर्फ खेती कर अपना नाम कमा रहे हैं, बल्कि एक सच्चे किसान के रूप में भी अपना दायित्व निभा रहे हैं.
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