पंजाब की धरती किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर नहीं करती बल्कि सोना उगलती है, बशर्ते इसे देसी तरीकों से सींचें और कुदरती खेती करें तो। यह कहना है गांव धीरा पत्तरा के किसान बूटा सिंह का जो छह साल से तीन तरीकों से केमिकल व पेस्टीसाइड्स रहित खेती कर रहे हैं इसके साथ ही वह देसी गायों को पालकर गायों की नस्ल सुधार पर काम कर रहे हैं। छह साल पूर्व इनके हाथ एक किताब लगी जिसे पढ़ने के बाद उनकी खेती की राह ही बदल गई। भगत पूर्ण सिंह पिंगलवाड़ा की किताब कुदरती खेती कैसे करें पढ़ने के बाद किसान ने अपना खेती का ढंग बदल लिया। शुरूआत में घर के लिए पेस्टीसाइड रहित फसल तैयार की। देखा कि आर्गेनिक खेती से उसके घर से बीमारियां धीरे-धीरे कम होने लगीं। इसी के चलते 1 फरवरी को किसानों की तरफ से की जा रही आत्महत्याओं के कारण जानने के लिए पंजाब विधानसभा की ओर से बनाई गई स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य सफल किसान बूटा सिंह के पास पहुंचे और खेती करने के उनके तरीके जाने।
किसान आत्महत्याओं के कारण जानने के लिए बनी स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर खेती के तरीके देखने इनके खेतों में पहुंचे
किसान बूटा सिंह को आर्गेनिक खेती करने व देसी गाय की नस्ल सुधार के क्षेत्र में कई बार सम्मान मिल चुका है। जून 2017 में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन गोकुल मिशन के तहत उत्तर भारत में तीसरा स्थान पाने पर नेशनल गोपाल पुरस्कार और एक लाख रुपए की राशि देकर सम्मानित कर चुके हैं। इसके अलावा किसान को पंजाब सरकार और कृषि यूनिवर्सिटी की ओर से अनेकों बार सम्मानित किया जा चुका है।
बूटा सिंह गेहूं, गन्ना, सब्जी और फलों के अलावा लहसुन, आंवला, तुलसी की खेती कर रहा है। वह पराली भी नहीं जलाता बल्कि उसे जमीन में नष्ट करता है । बूटा सिंह इसके साथ देसी गाय साहीवाल से खासी कमाई कर रहा है। उनके पास 10 साहीवाल गाय, 3 बैल, 10 बछड़ियां व 7 छोटे बच्चे हैं। किसान का कहना है कि गाय का दूध 70 रुपए लीटर व देसी घी 2000 रुपए किलो बिक रहा है। देसी गाय के दूध व घी के फायदे के बारे लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
किसान बूटा सिंह फार्मर्स हेल्प सोसायटी धीरा पत्तरा व आर्गेनिक किसान क्लब के प्रधान हैं। उनका कहना है कि शुरुआती दौर में किसानों को आर्गेनिक फसल का झाड़ कम होने पर घाटे व अन्य समस्याओं से बाहर निकालने के लिए पांच साल पूर्व फार्मर्स हेल्प सोसायटी धीरा पत्तरा बनाई गई जिसमें 40 के सदस्य हैं । सोसायटी ने छावनी में आउटलेट खोला है जिसमें कोई भी किसान आर्गेनिक प्रोडक्ट बेच सकता है। गाय नस्ल सुधार के लिए 2 बैल सोसायटी सदस्य पाल रहे हैं ताकि इनके स्पर्म के प्रयोग से अच्छी नस्ल के बछड़े और बछड़ियां पैदा किए जा सकें।
देसी गायों के नस्ल सुधार व आर्गेनिक खेती के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए बूटा सिंह पीएयू के अधिकारिक मंडल के साथ 2016 में ब्राजील गए। उन्होंने बताया कि ब्राजील में भारतीय नस्ल की देसी गाय प्रतिदिन 70 लीटर दूध देती हैं। उनका कहना है कि देसी गायों की नस्ल सुधार के लिए सरकार ब्राजील से सीमन व भ्रूण मंगवाकर पशु-पालकों को दें ताकि पशुपालक अच्छी नस्ल की गाएं तैयार कर उनसे फायदा ले सकें।
आर्गेनिक खेती कर लाभ कमाया और अब गाय नस्ल सुधार में लगे है बूटा सिंह...
पंजाब की धरती किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर नहीं करती बल्कि सोना उगलती है, बशर्ते इसे देसी तरीकों से सींचें और कुदरती खेती करें तो। यह कहना है गांव धीरा पत्तरा के किसान बूटा सिंह का जो छह साल से तीन तरीकों से केमिकल व पेस्टीसाइड्स रहित खेती कर रहे हैं इसके साथ ही वह देसी गायों को पालकर गायों की नस्ल सुधार पर काम कर रहे हैं।
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