Miyazaki Mango Farming: जोसेफ लोबो, कर्नाटक के उडुपी के शंकरपुर गांव के रहने वाले हैं, ने अपने करियर की शुरुआत एक ड्राइवर के रूप में की थी, लेकिन प्रकृति से उनके प्यार और पर्यावरण में योगदान करने की इच्छा ने उन्हें खेती की ओर प्रेरित किया. शुरू में उन्होंने अपने गांव में चमेली की खेती की, लेकिन जल्दी ही खेती से जुड़ी जगह और साधनों की समस्याएं सामने आईं. जिसके बाद उन्होंने खेती में बने रहने के लिए अपने घर की छत पर खेती करने का फैसला किया.
छत पर खेती के जरिए उन्होंने मियाज़ाकी आम, दुनिया के सबसे महंगे आमों में से एक, को सफलतापूर्वक उगाकर एक नई मिसाल कायम की है. जैविक खेती और नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक प्रमुख शहरी किसान बना दिया है. उनका सफर प्रेरणा से भरा हुआ है, जो टिकाऊ खेती और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है. ऐसे में आइए उनकी सफलता के बारे में विस्तार से जानते हैं-
टेरेस गार्डन में मियाज़ाकी आम की खेती
कृषि जागरण से बातचीत में जोसेफ ने बताया कि खेती से जुड़ी जगह और साधनों की समस्याएं सामने आने के बाद उन्होंने खेती में बने रहने के लिए अपने घर की छत पर खेती करने का फैसला किया. यहां उन्होंने कई अलग-अलग फसलें उगानी शुरू कीं. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है मियाज़ाकी आम की खेती/ Miyazaki Mango Cultivation. यह जापान का एक खास आम है, जिसकी मिठास और गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में सराहना होती है. जोसेफ गर्व से कहते हैं कि वे भारत और खाड़ी देशों में छत पर मियाज़ाकी आम उगाने वाले पहले व्यक्ति हैं.
मियाज़ाकी आम की खेती में मिली सफलता
मियाज़ाकी आम, जिसे एग मैंगों भी कहा जाता है, यह दुनिया का सबसे महंगा आम/ World's Most Expensive Mango है. इसकी कीमत 2.74 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. इस आम को उगाने में लगभग साढ़े तीन साल लगते हैं, लेकिन जोसेफ इस आम को अपनी छत पर सफलतापूर्वक उगाते हैं. वे इसके लिए जैविक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और बिना रासायनिक खाद के इसे उगाते हैं.
जोसेफ आमों को बेचने के बजाय उनके पौधे बेचने पर ज़्यादा ध्यान देते हैं. वे एक पौधा 2,500 रुपये में बेचते हैं और इसे कई शहरों में भेज चुके हैं.
एयर पोटैटो की खेती
जोसेफ के फार्म का एक और खास आकर्षण एयर पोटैटो है, जो पारंपरिक आलू की तरह जमीन के नीचे नहीं बल्कि मिट्टी के ऊपर उगता है. एक पौधा साल भर में 500 आलू तक पैदा कर सकता है, जिससे यह एक फायदेमंद और टिकाऊ फसल साबित होती है.
खेती में विविधता और नवाचार
जोसेफ पिछले 20 साल से खेती कर रहे हैं. उनका टेरेस गार्डन 1,400 वर्ग फीट में फैला है और यहां वे 350 से ज्यादा तरह के फल और सब्जियां उगाते हैं. इनमें 70 किस्म की चेरी और 30 किस्म के आम शामिल हैं. इसके अलावा उनके पास नींबू की भी कई खास किस्में हैं.
मान्यता और योगदान
जोसेफ का योगदान उनके अपने खेत से कहीं आगे तक फैला हुआ है. वह भारत भर में कृषि एक्सपो में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, लगातार नई तकनीकें सीखते हैं और अपने खेत को और बेहतर बनाने के लिए अनोखे पौधे खरीदते हैं. जोसेफ कृषि क्षेत्र में अभीतक कई पुरस्कार जीत चुके हैं और वे किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं. वे हर शाम 6 बजे से 8 बजे तक किसानों को मुफ्त में सलाह भी देते हैं. इसके अलावा उनका एक YouTube चैनल भी है, जहां वे फलों और सब्जियों की खेती के बारे में जानकारी साझा करते हैं. अपनी खेतीबाड़ी गतिविधियों के अलावा, जोसेफ एक छोटी नर्सरी चलाते हैं, खुद खाद बनाते हैं और किसानों के लिए लैंडस्केपिंग सेवाएं प्रदान करते हैं. अपनी पत्नी और 15 मजदूरों की टीम के सहयोग से, जोसेफ का कृषि कार्य व्यापक और प्रभावशाली दोनों है.
भविष्य की सोच
जोसेफ का मानना है कि खेती में रसायनों का उपयोग नहीं करना चाहिए और जैविक तरीकों से खेती करनी चाहिए. उनका कहना है कि हर घर में कम से कम एक पौधा ज़रूर होना चाहिए. उनके सफर से यह साबित होता है कि जुनून और मेहनत से टिकाऊ खेती में बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं.
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