भारत में ऐसे युवाओं की कोई कमी नहीं है, जो अपने अधूरे ख्वाबों को मुकम्मल करने व ढ़ेर सारे पैसे कमाने के लिए अपने घर परिवार से दूर विदेश जाने की चाहत ना रखते हो, लेकिन जरा सोचिए अगर इन युवाओं के यही ख्वाब अपने देश और परिवार के बीच रहकर ही मुकम्मल हो जाए तो इससे भली बात और क्या हो सकती है.
लेकिन अफसोस विदेश जाने की होड़ में लगे युवाओं के जेहन में यह गलतफहमी है कि वे ढ़ेर सारा पैसा पाने के और अपने अधूरे ख्वाबों को महज विदेश जाकर ही पूरा कर सकते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने देश में रहकर ही ढ़ेर सारा पैसा कमाकर ये साबित करके बताया है कि पैसे अपने देश में रहकर भी कमाये जा सकते है.
गुरदीपक को मिली कृषि अधिकारी की सलाह
पंजाब के होशियारपुर के टांडा क्षेत्र के माद्दा के रहने वाले इस युवा का नाम गुरदीपक सिंह है. आज से 15 साल पहले साल 2006 की बात है, जब यह भी अन्य युवाओं की तरह विदेश जाने की होड़ में लगे हुए थे. काफी कशमकश के बाद जब इन्होंने पैसे, वीसा समेत अन्य दस्तावेजों का इंतजाम कर लिया और विदेश जाने ही वाले थे. तब इनकी मुलाकात एक कृषि अधिकारी से हुई.
उस कृषि अधिकारी ने उनसे कहा कि तुम भला अपने मुल्क, अपने परिवार को छोड़कर क्यों किसी पराए मुल्क में जाना चाहते हो ? तो गुरदीपक ने बताया, मेरे गांव के बहुत सारे युवा विदेश में जाकर अच्छा पैसा कमा रहे है. मैं भी अच्छी कमाई करना चाहता हूं,इसलिए विदेश जाना चाहता हूं. तो इस पर कृषि अधिकारी ने एक ऐसी तरकीब बतायी जिससे अपने मुल्क में रहकर ही अच्छी कमाई की जा सकती है.
ऐसे बनें लखपति
कृषि अधिकारी के सुझाव को आत्मसात करते हुए गुरदीपक ने मशरूम की खेती की. उन्होंने मशरूम की खेती महज 16 हजार रूपए में शुरू की थी और आज वे लाखों की रकम अर्जित कर रहे हैं. आज वह 4 लाख रूपए प्रति माह कमा रहे हैं. गुरदीपक ने उन सभी युवाओं के समक्ष नजीर पेश की है, जो पैसा कमाने की खातिर विदेशों की ओर रूख करते हैं. आज वे ना केवल लाखों रूपए कमा रहे हैं, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहे हैं.
मशरूम की खेती के अलावा बना रहे है खाद
मशरूम की खेती के अलावा गुरदीपक खाद बनाने का काम भी कर रहे हैं. इससे वे अच्छा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं. वे गेहूं की भूसी में पानी का छिड़काव कर गोबर मिलाकर उससे खाद बना रहे हैं. इस तरह खाद बेचकर भी वे अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं.
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