कभी दो वक्त की रोटी के लिए राजकुमारी देवी मोहताज़ होती थी, लेकिन आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली राजकुमारी को दुनिया ‘किसान चाची’ (Kisaan Chachi) के नाम से जानती हैं. जिन्होंने मेहनत और लगन से बिहार में कृषक व कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बनाई है.
जी हाँ, किसानों के बीच क्रांति की अलख जगाने वाली किसान चाची आज हजारों महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं. गांव की आम महिला से किसान चाची के रूप में नाम बनाने का सफर काफी संघर्ष से भरा है.
सरैया गांव की रहने वाली राजकुमारी (Rajkumari) को उनके इस काम के लिए देश के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shri Award) भी दिया गया है. जिसके बाद से उनकी अब पहचान देशभर में होने लगी है. कृषि की उन्नत तकनीक और मिट्टी की गुणवत्ता की कुशल परख रखने वाली किसान चाची आज सफल खेती का दूसरा नाम बन चुकी हैं.
उनका कहना है कि, "मैं अक्सर देखती थी कि महिलाएं सिर्फ खेत में मजदूरी करते हुए ही नजर आती थीं. उन्हें किसी प्रकार का कृषि तकनीकी (Agricultural Technology) ज्ञान नहीं हुआ करता था. वे सिर्फ पुरुषों के बताए अनुसार ही कार्य करती थीं.जब महिलाएं खेत में मेहनत करती ही हैं, तो क्यों ना बेहतरीन कृषि तकनीक सीख कर मेहनत करें. मैंने तय किया कि मैं पहले खुद कृषि तकनीकी ज्ञान लूंगी और साथ ही दूसरी महिलाओं को इसके लिए प्रेरित करूंगी."
आम महिला से किसान चाची बनने का सफर (Journey From Common Woman To Farmer Aunt)
बता दें कि किसान चाची का जन्म बिहार जे सरैया गाँव में हुआ था. उनके पिता एक शिक्षक थे. उनकी शादी बचपन में ही कर दी थी. किसान चाची की शादी एक किसान परिवार में की गयी थी.
शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी. किसान चाची का सपना भी अपने पिता की तरह शिक्षिका बनना था, लेकिन परिवार वालों के विरोध और ग्रहस्थी की तंगी हालत से मजबूर उन्होंने खेती को संभाला.
किसान चाची का कहना है कि शादी के बाद ससुरालवालों ने बेटियां पैदा होने के बाद उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. उसके बाद से उन्होंने अपने पति के साथ खेती का काम शुरू किया. उन्होंने जैविक खेती को अपनाकर खेत में तरह तरह की सब्जियों और फसलों उगाया, लेकिन बाज़ार में सही भाव ना मिलने के कारण उन्होंने फिर अचार और मुरब्बे बनाने का कारोबार शुरू किया. आज के समय में किसान चाची ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रही है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं से जुड़ कर अचार-मुरब्बा कारोबार चला रही हैं. अब वह साइकिल के बजाए स्कूटी से चलती हैं. उनके प्रोडक्ट विदेशों में निर्यात होते हैं.
कैसे नाम पड़ा किसान चाची (How Did The Name Farmer Aunty)
बता दें कि किसान चाची को 2006 में किसान श्री सम्मान मिला था, जिस वजह से राजकुमारी को किसान चाची नाम का टैग मिल. 2013 में मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने उनका फूड प्रोसेसिंग मॉडल को सरकारी वेबसाइट पर डालने की घोषणा की थी. साल 2015 और 2016 में अमिताभ बच्चन ने केबीसी में शामिल हुईं हैं.
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