धर्म, कला और संस्कृति की नगरी वाराणसी एक बार फिर गौरवान्वित हो गई है. इस बार भारत सरकार ने काशी के ज्ञान, सेवा और कृषि को पद्मश्री देकर सम्मानित किया है.
पद्मश्री से सम्मानित प्रगतिशील किसान चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि उन्होंने महामना के बगीचे से खेती करना सीखा है और चयन भी उन्हीं के मार्गदर्शन में हुआ है. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि उनका बचपन से ही खेतों की ओर रुझान रहा है. वहीं बीज कार्य में अच्छी कमाई भी होती है.
बता दें कि चंद्रशेखर सिंह ने किसानों की आय और फसल की गुणवत्ता पर लगातार काम भी किया. खास बात तो यह है कि क्षेत्र की बड़ी संख्या में महिलाओं को बीज कंपनी में रोजगार भी मिला है. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि वह पद्म श्री पुरस्कार के लिए दिल्ली पहुंचे हैं, राष्ट्रपति भवन में आज यानी 9 नवंबर को सम्मान समारोह का आयोजन किया जाना है.
चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि धान, गेहूं, अरहर और चना के बीज पर लगातार प्रयोग कर किसानों के लिए अच्छी किस्म विकसित किए हैं, जिससे किसानों को काफी लाभ हुआ है. उनको यह सम्मान एक नई किस्म पर काम करने पर मिला है. बाबा विश्वनाथ, नीलकंठ, मयूरी, दामिनी जैसे बीज बहुत सफल रहे हैं. उनके पिता भी अच्छे बीजों पर काम करते रहे हैं. चंद्रशेखर सिंह चार भाइयों में सबसे बड़े हैं, उनके सभी भाई बीज पर काम करते हैं.
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प्रगतिशील किसान चंद्रशेखर सिंह को पहले भी अच्छे बीजों के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि 2010 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था.
वहीं, वर्ष 2008 में प्रगतिशील किसान और 2013 में 1 लाख का पुरस्कार मिला था. जगजीवन राम पुरस्कार के अलावा और भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं.
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