Avocado Farming Success Stories: एवोकाडो एक ऐसा विदेशी फल है जो विदेशों के साथ-साथ भारत में भी तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है. यह फल सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन ई, विटामिन बी, विटामिन सी और फाइबर जैसे कई पोषक भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. एवोकैडो के पौधे लगभग 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच मिट्टी के तापमान में पनपते हैं, जबकि 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान जड़ के विकास में बाधा डालता है. वही यह फल मेक्सिको और मध्य अमेरिका में मिलता है. हालांकि, मौजूदा वक्त में 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में भी भारत के कई राज्यों के किसान एवोकाडो की खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं.
उन्हीं किसानों में से एक प्रगतिशील युवा किसान हर्षित गोधा भी हैं जोकि एवोकाडो उगाने वाले इजरायली किसानों से प्रेरणा लेकर भारत के भोपाल में एवोकाडो की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं. साथ ही देश के कई राज्यों के किसानों को एवोकाडो का पौध भी बेचते हैं जिससे सालाना 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी हो रही है. युवा किसान और उद्यमी हर्षित गोधा की इन्हीं उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए कृषि जागरण के वरिष्ठ पत्रकार विवेक कुमार राय ने हर्षित गोधा से विशेष बातचीत की. पेश है साक्षात्कार के संपादित अंश...
कृषि जागरण से बातचीत में भोपाल में जन्मे और पले-बढ़े प्रगतिशील युवा किसान हर्षित ने बताया कि बहुत कम उम्र से ही मेरी रुचि मार्केटिंग में थी इसलिए मैं अपनी स्कूली शिक्षा के बाद, बिजनेस की पढ़ाई करने के लिए यूके चला गया. चूंकि स्वास्थ्य और फिटनेस में भी मेरी बहुत रुचि है. इसको ध्यान में रखते हुए जब मैं यूके में था तो एवोकाडो खाना बहुत पसंद करता था जोकि कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. एवोकाडो का सेवन मैं लगभग हर दिन करता था. वहां पर यह बहुत आसानी से मिल जाता था. हालांकि, जब-जब मैं गर्मियों की छुट्टियों में भारत आता था, तो खाने के लिए अच्छे एवोकाडो नहीं मिलते थे और जो मिलते भी थे वह बहुत महंगे होते थे.
मुझे याद आया कि जब मैं यूके में था उसी दौरान एवोकाडो के बॉक्स पर देखा था कि यह इजराइल की पैदावार है. फिर इसके बारे में शोध करना शुरू किया तो मुझे पता चला कि यह साऊथ अमेरिका, मैक्सिको और कोलंबिया जैसे देशों में ज्यादातर इसकी खेती होती है. फिर मैंने सोचा कि इसकी खेती इजराइल में कैसे हो रही है? आश्चर्यचकित होकर मैंने इस पर शोध करना शुरू कर दिया कि इजराइल जैसा शुष्क और गर्म देश एवोकाडो कैसे उगा सकता है? शोध करने पर पता चला कि 60 साल पहले इजराइल के किसानों की इसकी खेती से परिचय हुआ था. उसके बाद इजराइल में तकनीक इतनी एडवांस हो गई कि गर्म तापमान, खराब मिट्टी और खराब पानी होने के बावजूद एवोकाडो की अच्छी पैदावार हो रही है और यूरोप के मार्केट में एक्सपोर्ट किया जा रहा है.
इजरायली तकनीक से एवोकाडो की खेती करने का विचार
हर्षित ने आगे बताया कि जानकारी एकत्र करने के बाद फिर मैंने इजरायली तकनीक से भारत के भोपाल में एवोकाडो की खेती करने के बारे में सोचा. इसके लिए मैंने इजराइल की एवोकाडो इंडस्ट्री से संपर्क करना शुरू किया. इस दौरान काफी लोगों से मैंने बात किया. कुछ लोगों ने कहा कि हम नहीं सीखा पाएंगे. कुछ लोगों ने पैसा इतना मांगा कि उनसे मैं गाइडेंस नहीं ले पाया. हालांकि, एक व्यक्ति ने कहा कि हम आपको गाइडेंस देंगे. इसके अलावा रहने और खाने की भी व्यवस्था अपने गांव में करके देंगे. फिर मैं इजराइल चला गया और डेढ़ महीना वही पर रहा. हम सुबह 5 बजे से लेकर 10 बजे तक फिल्ड पर रहते थे, क्योंकि दोपहर में गर्मी इतनी बढ़ जाती है कि मजदूर दोपहर में काम नहीं करते हैं.
फिर, दोपहर में मेरे मेंटर मुझे इरिगेशन एक्सपर्ट्स, ग्रीनहाउस मैनेजर, एक्सपोर्टर्स, मर्केटेर्स, ब्रीडर्स और रिसर्चर्स जैसे विभिन्न उद्योग विशेषज्ञों से मिलवाते थे. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मैं भारत चला आया. उसके बाद हमारे यहां की मिट्टी की स्थिति, पानी की स्थिति और जलवायु का विश्लेषण करने और आसपास में जिन फसलों की खेती या बागवानी होती है उसको ध्यान में रखते हुए एवोकाडो की खेती हो सकती है की नहीं, यह जानने के लिए मैंने अपने पैसों से इज़राइल के अपने किसान मित्र को भारत बुलाया. मेरे मेंटर ने यहां पहुंचकर मिट्टी परीक्षण किया और भोपाल में जलवायु परिस्थितियों का आकलन किया. क्षेत्र का मूल्यांकन करने के बाद, उन्होंने बताया कि एवोकाडो की कुछ किस्में हैं जिनकी खेती भोपाल में आसानी से की जा सकती है.
इजराइल से एवोकाडो के पौधों का आयात
हालांकि, भारत में जब अच्छी क्वालिटी का फल नहीं मिलता था, तो अच्छी क्वालिटी का प्लांट भी नहीं मिलता था. फिर मैंने 2019 में मैंने यह निर्णय लिया कि एवोकाडो की जिन किस्मों की खेती यहां की जलवायु में अच्छे से हो सकती है उनको मैं इजराइल से आयात करूंगा. लेकिन, आयात प्रक्रिया लंबी, जटिल और नियमों से भरी हुई थी जिनका मुझे पालन करने की आवश्यकता थी. 2019 में, मुझे आयात प्रक्रिया से जूझना पड़ा, जिससे मेरी खेप 2020 तक के लिए विलंबित हो गई. फिर, COVID-19 महामारी आ गई और भारत और इजराइल दोनों लॉकडाउन में चले गए. इसके परिणामस्वरूप मेरी खेप आने में एक साल की और देरी हो गई. आखिरकार, 2021 में, मुझे इजराइल से एवोकाडो पौधों की पहली खेप मिली, जिसे मैंने 2023 में अपने बगीचों में लगाया. उससे पहले मेरे पौधे नर्सरी में थे.
सिंचाई के लिए इजरायली तकनीक का इस्तेमाल
हर्षित ने बताया कि 2023 में लगाने के बाद पौधों को अभी 14 महीने हुए हैं और पौधों में फल लग गए हैं. मैं अपने पौधों की सिंचाई के लिए इजरायली तकनीक का इस्तेमाल करता हूं जोकि इजराइल की एडवांस टेक्नोलोजी नेटाफिम ड्रिप इरिगेशन का यूनिराम है. वही देश में यूनिराम को इजराइल से आयात किया जाता है. मैंने इसको मंगाने के लिए आर्डर किया था जोकि आर्डर करने के 3-4 महीने बाद हमें मिली थी. इसमें फर्टिगेशन (उर्वरकों को सिंचाई के पानी में मिलाकर पौधों तक पहुंचाने की एक विधि है. फर्टिगेशन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, फ़र्टिलाइजर और इरीगेशन) प्रतिदिन होता है. इस तकनीक से हम यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक पौधे को हर दिन आवश्यक मात्रा में पानी और उर्वरक मिले. वही भारत में कोई भी ऐसा क्रॉप नहीं है जिसमें प्रतिदिन फर्टिगेशन की जरुरत पड़ती है.
एवोकाडो की खेती किन-किन इलाकों में हो सकती है?
हर्षित ने बताया कि देश के सभी हिस्सों में एवोकाडो की खेती नहीं हो सकती है. वही जहां पर सिंचाई के लिए पानी की अच्छी सुविधा है वहां पर एवोकाडो के विभिन्न किस्मों की खेती आसानी से की जा सकती है. हालांकि, यदि किसी क्षेत्र में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है तो इसकी खेती वहां पर भी नहीं करनी चाहिए. जहां पर बर्फ पड़ती है वहां पर भी इसकी खेती नहीं करनी चाहिए.
एवोकाडो की खेती के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
हर्षित ने बताया कि एवोकाडो की खेती के दौरान किसानों को कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. एवोकाडो की खेती करने से पहले किसान सॉइल टेस्ट या मृदा परीक्षण जरूर कराएं. इसके अलावा एवोकाडो के किस्म का भी विशेष ध्यान रखें. दरअसल, एवोकाडो के पौधों में दो भाग होते हैं: रूटस्टॉक (ग्राफ्ट के नीचे का भाग) और ग्राफ्ट से ऊपर के भाग को कल्टीवार बोलते हैं. इज़राइल ने सूखे और खराब पानी की गुणवत्ता के प्रति प्रतिरोधी मल्टीपल रूटस्टॉक क्रॉस ब्रीडिंग से डेवलप किए गए हैं. सॉइल टाइप के आधार पर रूटस्टॉक को चुना जाता है. वही ग्राफ्ट से ऊपर क्लाइमेट के हिसाब से किस्म का चुनाव किया जाता है. हर्षित ने आगे बताया कि वह पिछले 3 सालों में इजराइल से 10 हजार एवोकाडो के पौधों का आयात कर देश के कई राज्यों के किसानों को बेच चुके हैं और इस साल पहला कंसाइनमेंट यानी खेप 10 हजार पौधों का मांगा रहे हैं.
एवोकाडो की खेती में लागत और मुनाफा
हर्षित ने बताया कि एवोकाडो की खेती के दौरान एक एकड़ में एवोकाडो के 170 प्लांट 3.5 मीटर और 7.5 मीटर के दूरी पर लगाया जाता है. मैं फिलहाल मैं 10 एकड़ जमीन में एवोकाडो की खेती कर रहा हूं. वही पौध की कीमत पौध की कीमत उम्र पर निर्भर करता है. आमतौर पर पौधे की उम्र डेढ़ साल से दो साल तक होती है. डेढ़ साल तक के पौधे की कीमत 2500 रुपये और दो साल की पौधे की कीमत 3000 हजार रुपये होती है. एवोकाडो में साल में एक बार फल लगता है. अगस्त-सितंबर माह में फलों की तुड़ाई होती है. कुछ ऐसी भी किस्में हैं जिनसे फलों की तुड़ाई नवंबर-दिसंबर माह में होती है. वही एक पौधे से 30-35 किलो फल जबकि, एकड़ से लगभग 6 टन उपज मिलती है.
हर्षित ने आगे बताया कि एवोकाडो का होल सेल और रिटेल सेल कीमत अलग-अलग होता है और दोनों में बहुत अंतर होता है. होल सेल में यह 250 रुपये से 300 रुपये किलो बिकता है, जबकि रिटेल में एक एवोकाडो की कीमत 200 रुपये से लेकर 250 रुपये होती है. एक एवोकाडो का वजन 250-300 ग्राम होता है. अगर लागत की बात करें तो शुरूआती साल में प्रति एकड़ 4 से 5 लाख रुपये प्रति एकड़ लागत लगती है. उसके बाद लागत में कमी आ जाती है. वही एक पौधा 40 से 50 सालों तक फल देता है. अगर आमदनी की बात करें तो किस्मों पर निर्भर होती है. औसतन 6 से 12 लाख रुपये प्रति एकड़ इससे आमदनी होती है. वही फ़िलहाल मेरी आमदनी 1 एक करोड़ रुपये तक है.
एवोकाडो के फलों का मंडीकरण
हर्षित ने बताया कि जो भी किसान हमसे पौधे खरीदते हैं उनसे हम फल खरीदने को तैयार हैं. वही पिछले तीन सालों में भारत में लगभग 400 प्रतिशत एवोकाडो का आयात बढ़ा है. ऐसे में इसको मंडी में लेकर जाएंगे तो इसको बेचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. वही किसानों को मैसेज देते हुए उन्होंने कहा कि किसान खेती में एक्सपेरिमेंट करें. ऐसी फसलों की खेती करें जिनसे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें. ब्लू बेरी और एवोकाडो ऐसे फल हैं जिनका मार्केट तेजी से बढ़ रहा है तो ऐसे फलों को भी उगा सकते हैं. अगर आप वही उगाएंगे जो सभी उगा रहे हैं तो आपकी आमदनी ज्यादा नहीं बढ़ सकती है.
Share your comments