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Kisan Diwas Special: जैविक तीरके से उगा रहे फल और सब्जियां, हो रहा बहुत मुनाफा

आजकल खेती में रसायनिक खाद का इस्तेमाल करने से कई तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में लोगों का रुझान अब जैविक खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ रहा है. जैविक खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग को देखकर कई किसान जैविक खेती (Organic Farming) को अपना रहे हैं.

स्वाति राव
Vegetable Farming
Vegetable Farming

आजकल खेती में रसायनिक खाद का इस्तेमाल करने से कई तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में लोगों का रुझान अब जैविक खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ रहा है. जैविक खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग को देखकर कई किसान जैविक खेती (Organic Farming) को अपना रहे हैं.

इसी कड़ी में आज हम एक ऐसे सफल किसान की कहानी बताने जा रहे हैँ, जो कि फल और सब्जियों की जैविक खेती कर लाखों रुपए कमा हैं. इस किसान का नाम हरेश भाई ठक्कर (Haresh Bhai Thakkar) है, जो कि गुजरात के रहने वाले है. वह करीब 1200 एकड़ में स्ट्रॉबेरी, खारेक, ड्रैगन फ्रूट, अनार, आम, केला और सब्जी की खेती कर रहे हैं. इसके साथ ही एक एकड़ में 50 खारेक के पौधे लगाए हैं. आइये उनकी सफलता की कहानी जानते हैं.

फल और सब्जियों की कर रहे खेती (Cultivating Fruits And Vegetables)

किसान हरेश ठक्कर का कहना है कि खारेक के प्रत्येक पौधों को 900 वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है और करीब 3 साल बाद पैदावार मिलने लगती है. हालांकि, पहली बार सिर्फ 15 से 20 किलो उत्पादन होता है. दूसरी बार पौधे लगाने के चार साल बाद 50 किलो पैदावार मिलती है. मगर जैसे-जैसे समय बढ़ता है पैदावार की मात्रा बढ़ती गई. बता दें कि  6 से 7 साल में एक पेड़ से 200 किलो से अधिक उत्पादन होने लगता है. हर साल उत्पादन बढ़ता जाता है, लेकिन लागत में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होती है.

इस खबर को भी पढ़ें - सफल किसान : विदेश छोड़ खेती को बनाया आजीविका का साधन, हो रही लाखों में कमाई

विदेशों में भी बढ़ रही खरेक की मांग (The Demand For Pure Is Increasing In Foreign Countries As Well)

किसान हरेश बताते हैं कि कुछ फसलों को नेट हाउस में उगाया जा रहा है. वे फसल विविधीकरण पर खासा जोर देते हैं. किसान का कहना है कि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में इजाफा होता है. फिलहाल, वो सब्जी फसलों में ब्रोकोली, शिमला मिर्च, टमाटर और खीरा की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा उनकी पैदावार की मांग सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. बीते दो साल से वे खारेक की सप्लाई बांग्लादेश को कर रहे हैं.

उनका कहना है कि जब से एपीएमसी को खत्म किया गया है, तब से किसानों के पास अपने उत्पाद को देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बेचने का अवसर मिल गया है. हम जहां चाहें, वहां फसल बेच सकते हैं. वे कहते हैं कि हमें विदेश में माल भेजने पर ज्यादा आमदनी होती है.

English Summary: growing fruits and vegetables by adopting organic farming, increasing demand abroad Published on: 23 December 2021, 05:35 PM IST

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