राजस्थान के चुरु जिले के किसानों ने 4 फीट 4 इंच लंबे बाजरे के सिट्टे को उगा कर भारतीय किसानों के लिए बाजरे की खेती में एक नवाचार स्थापित कर दिया है. इस नई खोज के चलते इन किसानों को राज्य और जिले स्तर पर सम्मानित भी किया जा रहा है.
किसानों ने बताया कि इस बाजरे का बीज वैज्ञानिक विधि के माध्यम से तैयार किया गया है. इसको आम भाषा में देशी बाजरा भी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि साधारण बाजरे के मुकाबले इस बाजरे की उपज चार से पांच गुना अधिक होती है और यह लंबाई में 13 से 14 फीट तक का होता है, जो सामान्य बाजरे की तुलना में काफी बढ़ा है. इसका पौधा लोगों के लिए एक अलग ही आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है.
चुरी जिले के कोटवाद नाथोतांन गांव के किसानों ने बताया कि उन लोगों ने इस बाजरे के बीज को जोधपुर के किसानों से खरीदा था. उन्होंने यह भी बताया कि साधारण बाजरे की तुलना में इस खास किस्म के बाजरे की उत्पादन क्षमता काफी ज्यादा होती है.
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जोधपुर के किसानों ने पिछले वर्ष 2021 में विदेश से इस बाजरे की 500 ग्राम बीज को मंगवाकर परीक्षण किया था, जो पूरी तरह से सफल रहा था. उसके बाद उन्होंने करीब 3 बीघा की जमीन पर इस बीज की बुवाई और पाया कि उनके खेत में उगी बाजरे की पूरी फसल पर पांच से छह फीट लंबे सिट्टे बढ़ आए हैं. इस बाजरे की पैदावार प्रति बीघा 20 से 25 क्विंटल तक होने का अनुमान है.
अगर आप भी बाजरे की खेती करना चाहते हैं तो खेती के लिए जुलाई का पहला सप्ताह बहुत ही अच्छा रहता है. इसके लिए आप बीज 40 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर ही बुवाई करें. बीजों को एक सीधी कतार में ही बोएं. 15 से 20 दिन के बाद पौधों के घने होते ही उनकी कटाई करें.
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अगर बारिश में देर हुई और आप समय पर बुवाई न कर पाए हैं तो ऐसी स्थिति में बुवाई करने के बजाय आप बाजरे की रोपाई कर सकते हैं. 2 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे की रोपाई के लिए लगभग 1000 वर्गमीटर क्षेत्र में कुल 5 से 6 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है.
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