1. Home
  2. सफल किसान

फूलों की खेती ने दिलाई पहचान, मुस्लिम चौहान बने सफल किसान

पहले फूलों का ज़्यादातर इस्तेमाल किसी जगह या स्थान की शोभा बढ़ाने के लिए किया जाता था. बाज़ार में इसकी मांग काफी सीमित थी, इसलिए किसान भी इसकी खेती ज़्यादा नहीं करते थे. लेकिन दिनों-दिन फूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए अब किसान भी अपनी परंपरागत फसलों की खेती करने की बजाय फूलों की खेती करने लगे हैं.

पहले फूलों का ज़्यादातर इस्तेमाल किसी जगह या स्थान की शोभा बढ़ाने के लिए किया जाता था. बाज़ार में इसकी मांग काफी सीमित थी, इसलिए किसान भी इसकी खेती ज़्यादा नहीं करते थे. लेकिन दिनों-दिन फूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए अब किसान भी अपनी परंपरागत फसलों की खेती करने की बजाय फूलों की खेती करने लगे हैं. इसी कड़ी में हरियाणा करनाल, घरौंडा जिले के गढ़ी भरल नामक गांव के रहने वाले मुस्लिम चौहान भी फूलों की खेती कर रहे हैं और एक सफल किसान हैं. चौहान फूलों की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. मुस्लिम चौहान बताते हैं “मैं पिछले 8 सालों से धान, गेहूं, खीरा और धनिया आदि फसलों की खेती कर रहा था, जिसमें मुझे कुछ खास मुनाफ़ा नहीं हो रहा था. जिसके बाद मैनें फूलों की खेती करना शुरू किया है और इसमें मुझे भारी मुनाफ़ा हो रहा है”. वर्तमान में वो 3 एकड़ भूमि पर गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं. चौहान 'बैचलर ऑफ सोशल वर्क' से स्नातक हैं. साल 2012 में इन्हें 'राष्ट्रीय युवा पुरस्कार' से भी नवाजा जा चुका है. यह पुरस्कार इन्हें सामाजिक क्षेत्र में ब्लड डोनेशन कैम्प लगाने, पौधा रोपण आदि अन्य पर्यावरण संबंधी काम करने के लिए मिला था.

खेती का समय

किसान मुस्लिम चौहान के मुताबिक आमतौर पर गेंदा फूल की खेती जुलाई और मार्च माह में की जाती है. लेकिन वो जुलाई माह में खेती करते हैं. ये फूल 40 दिनों के बाद तैयार हो जाते हैं जो बाजार में हाथों-हाथ बिक जाते हैं. जुलाई माह में खेती की गई फूलों की पहली तुड़ाइ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हो जाती है. इसके बाद नवरात्र, दशहरा, दीपावली आदि पर्वों के साथ ही विभिन्न समारोह में भी फूलों की मांग बनी रहती है. मुस्लिम चौहान के अनुसार फूलों की खेती किसानों के लिए कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने का अच्छा विकल्प है.

गेंदा फूल की प्रमुख किस्में

गेंदा फूल की प्रमुख किस्में बोलेरो, ब्राउन स्काउट, गोल्डन,  बटरस्कॉच, स्टार ऑफ़ इंडिया, येलों क्राउन, रेड हेट,  बटरवाल और गोल्डन जेम आदि हैं. किसान मुस्लिम चौहान के अनुसार उनके यहां बंगाल के कलकत्ता से मंगाई हुई बीज से खेती होती है.

फूलों की सिंचाई

गेंदे के फूल की खेती में भी सिंचाई का एक विशेष महत्व होता है. किसान मुस्लिम चौहान के मुताबिक गेंदे के फूल में आमतौर पर वर्षा ऋतु में सिंचाई की जरुरत नहीं होती . लेकिन फिर भी अगर कुछ दिनों तक वर्षा न हो तो सिंचाई कर देनी चाहिए. ठंड के मौसम में 10-12 दिन तथा गर्मी के मौसम में 6-7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करने से फूल का उत्पादन अच्छा होता है. वह आगे बताते हैं कि जरुरत से ज़्यादा पानी देने से फूलों की फसल को नुकसान भी हो सकता है

फूलों की तुड़ाई का सही समय

किसान मुस्लिम चौहान के मुताबिक, आमतौर पर गेंदे के पौधे, रोपाई के 40 दिनों के बाद से ही फूल देना शुरू कर देते हैं. लेकिन इन फूलों को पौधे से तब तोड़ना चाहिए जब ये अच्छी तरह से विकसित हो जाएं. गेंदे के फूलों को सुबह या शाम के समय ही तोड़ना चाहिए. फूलों की तुड़ाई के दौरान यदि खेत में नमी हो तो, तोड़े गये फूल ज़्यादा समय तक ताजा बने रहते हैं. मुस्लिम चौहान के मुताबिक, गेंदे के फूलों की उपज लगाई गई पौधों की किस्म, भूमि की उर्वरा शक्ति और किसान के द्वारा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है.

लागत

किसान मुस्लिम चौहान वर्तमान में 3 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं. उनके अनुसार गेंदा फूल की 1 एकड़ में खेती करने पर औसतन 10 हजार रुपये की लागत आती है.

मुनाफा

किसान मुस्लिम चौहान के मुताबिक, गेंदा के पौधे बुआई के 40 दिनों के बाद से ही फूल देने लगते हैं. अगर इसकी 3 एकड़ खेती की जाती है तो इसके 1 तोड़ में 3 से 4 क्विंटल फूल निकल जाते हैं. जो औसतन 100 रुपये किलो के भाव बिक जाते हैं. मुस्लिम चौहान बताते हैं कि, इसका मुनाफ़ा पर्वों और स्थानीय बाजारों पर निर्भर करता है. वो अपना फूल खुद नहीं बल्कि पानीपत, करनाल और लुधियाना से आये हुए व्यापारीयों को बेचते हैं, जो उन्हें मंडियों में ले जाकर बेचते हैं. अगर वो खुद इसे बड़ी मंडियों में ले जाकर बेचते तो कुछ ज़्यादा मुनाफ़ा होता. बकौल मुस्लिम चौहान, 'एक बार वो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अपने फूलों को लेकर मुथरा की मंडियों में बेचने के लिए गए थे. जो उनके स्थानीय बाजार में 100 रुपये किलों के भाव बिक रहा था वो मथुरा के मंडियों में 250-300 रुपये किलों के भाव बिका.

नाम- श्री मुस्लिम चौहान (राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता)

गांव का नाम-  गढ़ी भारल

तहसील-  घरोंडा,

करनाल, हरियाणा -1311114

फोन न:  9991610398

विवेक राय, कृषि जागरण

English Summary: Farmers cultivate flowers, cultivate successful Muslim farmers Published on: 15 December 2018, 05:00 PM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News