कृषि जागरण लगातार अपने प्रिय पाठकों के साथ सफल किसान की सफलता से भरी कहानियों को साझा करता रहता है. इसी कड़ी में आज हम आपके लिए एक ऐसे किसान की कहानी लेकर आए हैं, जो कभी शिक्षक की भूमिका निभाया करता था. लेकिन अब सफल किसान बन दूसरे किसानों को प्रोत्साहित करने का काम कर रहे हैं.
कोरोना ने छीनी शिक्षक की नौकरी
कहानी है राजस्थान के अजमेर के एक छोटे से गावं रसूलपुरा के रहने वाले रजा मोहम्मद की. कोरोना के दौरान कई लोगों की तरह इनकी भी नौकरी छीन गई. ये पहले अपने ही गांव के एक स्कूल में पढ़ाया करते थे, लेकिन कोरोना की लहर आने के बाद इनका स्कूल बंद हो गया और इसके साथ ही इनके आमदनी का जरिया भी.
जहां चाह है वहां राह है
नौकरी छिनने के बाद रजा मोहम्मद दूसरी नौकरी की तलाश में जुट गएं. इस दौरान उन्होंने रोजगार की तलाश में लगभग हर जगह हाथ-पांव मार लिए लेकिन उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल सकी. हालांकि मोहम्मद रजा हार मानने वालों में से नहीं थे उन्होंने प्रयास करना बंद नहीं किया. मगर इस दौरान उन्हें अपनी दो बीघा खेती का ख्याल आया, जिससे उन्हें कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा है. ऐसे में उन्होंने अपने पास के दो बीघा खेत में कुछ करने की सोची...और कहते हैं न की सोच ही सफलता की पहली सीढ़ी है. फिर क्या था वो चल पड़े अपने खेत में खेती करने.
मोती की खेती कर कमा रहे लाखों
रजा मोहम्मद ने जब खेती करने की सोची तो किसी ने उन्होंने मोती की खेती के बारे में जानकारी दी. हालांकि इसकी खेती करने से पहले रजा बेहद डरे हुए थे और उनको लग रहा था कि ये बहुत कठिन होगा. लेकिन उन्होंने इसके बारे में अधिक जानकारी इक्टठा करने की सोची और इस दौरान उन्हें राजस्थान के किशनगढ़ के नरेंद्र गरवा के बारे में जानकारी मिली, जो बड़े पैमाने पर मोती की खेती करते है और बेहतर मुनाफा कमाते है. मोती की खेती में होने वाले मुनाफे के बाद रजा को इसकी खेती करने में दिलचस्पी आ गई है. इसके बाद इसके लिए सबसे पहले रजा ने इसकी खेती करने की ट्रेनिंग ली.
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60 हजार लगा कर कमा रहें 2 से 2.5 लाख का मुनाफा
रजा ने मोती की खेती करने के लिए सबसे पहले 10 बाय 25 के आकार में तालाब का निर्माण कराया. रजा के मुताबिक, शुरुआत में उन्हें इसकी इसकी खेती करने में 60 से 70 हजार रुपये लगाने पड़े. अब रजा मोती की खेती कर डेढ़ से दो लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. वही रजा ने इस बार 1000 सीपों से मोती की खेती की शुरुआत की, जिसके बाद उन्हें मुनाफे के तौर पर इस बार 2 से 2.5 लाख रुपये मिले हैं.
मोती की खेती में रखें इन बातों का ख्याल
रज़ा के मुताबिक, मोती की खेती करने के दौरान पीएच का स्तर 7 से 8 के बीच होना चाहिए. इसके साथ ही अमोनिया का स्तर एक समान होना चाहिए. पानी का प्रवाह सही होना जरूरी है क्योंकि शैवाल की उपस्थिति में मोती का विकास तेजी से होने की संभावना होती है.
रजा बताते हैं कि मोती की खेती करने के दौरान पीएच मीटर, थर्मामीटर, अमोनिया मीटर, एंटीबायोटिक्स, माउथ ओपनर, पर्ल न्यूक्लियस जैसे उपकरण खरीद लें. क्योंकि इसकी खेती में इनकी जरूरत कभी भी पड़ सकती है. रजा के मुताबिक, मोती की खेती से फसल आने में 18 महीने का समय लगता है.
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