काम चाहे कोई भी हो वो बड़ा या छोटा नहीं होता। काम करने की इच्छा और दृढ़ संकल्प ही इन्सान को पहचान दिलाता है। हमारे बीच हम ऐसे लोगों की हमेशा सराहना करते हैं जिन्होंने कुछ अलग करके दिखाया है। और अगर बात किसानों से जुड़ी हो तो उसकी सराहना तो स्वभाविक है। युवाओं में एक नौकरी की एक धारना बीनी हुई है। उन्हें लगता है की सिर्फ नौकरी करके ही पैसा कमाया जा सकता है। लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसे भी युवा हैं जो खेती के क्षेत्र में इन दिनों मिसाल पेश कर रहे हैं। और उन्होंने ये साबित करके दिखाया है की खेती के ज़रिए भी इंसान लाखों रुपए कमा सकता है। खेती को एक लाभ का व्यवसाय साबित करके दिखाने वाले गुरैया के युवा बनाने वाले युवा पुरुषोत्तम पिता मोहन सिंग अहिरवार अब एक सफल किसान बन गए हैं।
पुरुषोत्तम ने मिर्ची की खेती को एक नया पहचान दिया है। वो हर साल मिर्ची की खेती करके लगभग 10 लाख रुपए से अधिक की शुद्ध कमाई करते हैं। उन्होंने इस साल दो महीने पहले लगभग 8 एकड़ ज़मीन में मिर्ची का खरीदकर रोपा तैयार किया। जिसमें उन्होंने प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप जैसी उन्नत संसाधनों का उपयोग कर खेती को लाभ का धंधा बनाया है। मिर्ची की फसल तैयार हो चुकी है। किसान ने बताया की उन्होंने हाल ही में पहली तुड़ाई से तकरीबन 60 क्विंटम मिर्ची बाज़ार में बेची है और इससे उन्हें करीब 60 हजार रुपए मिले थे। हालांकि उन्होंने कहा की बाजार में अभी मिर्ची की किमत कम होने के कारण उन्हें कम पैसे मिले हैं नहीं तो इतनी ही मिर्ची के उन्हें एक लाख तक मिलते। वहिं पिछले साल उन्होंने करीब देढ़ एकड़ में मिर्ची की फसल लगाई थी जिससे उन्को अच्छा मुनाफा हुआ है। और इसके साथ ही युवा ने 5 एकड़ में टमाटर की फसन लगाकर उसे बाजार में 7 लाख में बेचा था।
पुरुषोत्तम को एक किसान कि जरिए ही मिर्ची की खेती की प्रेरण मिली है। युवा का खेती के साथ ड्रिप का भी कारोबार है और वो ड्रिप के सिलसिले में मंडला में जाट किसान से मिला जो तीन सौ एकड़ में मिर्ची की फसल लगाई थी उससे ही प्रेरणा लेकर किसान ने मिर्ची की खेती की शुरुआत की और लाखों रुपए का लाभ कमाया।
पुरुषोत्तम ने बताया की किसानों को लगता है कि खेती एक घाटे का व्यवसाय है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है यदि खेती करने के लिए कोई युवा सोच रहा है तो वो इसे अपना सकता है। और खेती के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही हैं जिससे किसानों को मदद ले सकते हैं। उन्होंने कहा की वो कई तरह के शासकीय योजनाओं का लाभ ले चुके हैं।
किस तरह मिर्ची की फसल को बनाया सफल व्यवसाय
42 हजार का एक किलो मिर्ची का बीज। 15 दिन में तैयार हुआ रोपा। 08 एकड़ खेत में रोपे मिर्ची। 1महीना 15 दिनों में तैयार हुई फसल। 1 लाख रुपए की प्लास्टिक मल्चिंग। 3 लाख 20 हजार की लगाई ड्रिप। 80 हजार रुपए लेबर खर्च। 01 लाख रुपए की खाद और दवा। 01 तुड़ाई में 30 क्विंटल निकली मिर्ची। 60 हजार की बिकी मिर्ची।
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