
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सिमरा गांव के युवा किसान ओमप्रकाश कुमार, पिता - प्रेमलाल महतो, ने परंपरागत खेती से आगे बढ़कर पोल्ट्री फार्मिंग, पशुपालन, सब्जी उत्पादन और तंबाकू की खेती को अपनाकर एक सफल उद्यमी किसान बनने का रास्ता तय किया है. उन्होंने 15,000 चूजों की क्षमता वाला चार पोल्ट्री शेड बनाया है, जिससे वे साल में 6-7 चक्र चलाकर 18 से 21 लाख रुपये तक शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं.
इसके साथ ही वे भैंस पालन से 2-3 लाख, सब्जी और तंबाकू की खेती से 5-7 लाख रुपये तक की अतिरिक्त आमदनी भी कर रहे हैं. इस तरह वे हर साल लगभग 25 से 30 लाख रुपये कमा रहे हैं. उनका बिजनेस मॉडल देसी जुगाड़, आधुनिक तकनीक और विविध आय स्रोत के समन्वय पर आधारित है. ऐसे में आइए उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
परंपरागत खेती से आगे बढ़ने की शुरुआत
ओमप्रकाश का परिवार पीढ़ियों से खेती करता आ रहा था, लेकिन सिर्फ परंपरागत खेती से उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा था. ऐसे में उन्होंने खेती के साथ-साथ नए आय स्रोतों की तलाश शुरू की. इसी बीच उनकी मुलाकात एक मित्र से हुई, जो पहले से केवीके तुर्की और आत्मा मुजफ्फरपुर से जुड़कर प्रशिक्षण ले चुके थे.
प्रशिक्षण और जानकारी ने बदली दिशा
मित्र के सहयोग से ओमप्रकाश ने केवीके और आत्मा से संपर्क किया और वहां से मुर्गी पालन व पशुपालन में प्रशिक्षण लिया. इसके बाद वे कई प्रदर्शनियों और एक्सपो में गए, जहां से उन्होंने तकनीकी जानकारी, लागत प्रबंधन और बाजार से जुड़ाव जैसी चीजें सीखी. यही वह मोड़ था, जहां से उन्होंने पोल्ट्री फार्मिंग, भैंस पालन, सब्जी उत्पादन और तंबाकू की खेती जैसे विविध क्षेत्रों में कदम रखा.
मजबूत पारिवारिक सहयोग बना ताकत
ओमप्रकाश एक संयुक्त परिवार में रहते हैं, जिसमें 13 सदस्य हैं. उनके सभी परिवारजन खेती, चारा प्रबंधन, फसल देखभाल, पैकिंग और बाजार तक माल पहुंचाने जैसे कार्यों में सक्रिय रूप से जुड़े हैं. इस पारिवारिक सहयोग से उनका व्यवसाय एक मॉडल फार्म बन गया है.
पोल्ट्री फार्मिंग से मुख्य आमदनी
उन्होंने 15,000 चूजों की क्षमता वाले चार फार्म बनाए हैं. वे एक दिन के चूजों को खरीदकर 35-40 दिन तक उनका पालन करते हैं.
लागत (प्रति चक्र):
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चूजे: 4.50 से 5.25 लाख रुपये
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दाना: 18 से 18.90 लाख रुपये
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दवाइयां: 40 से 55 हजार रुपये
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अन्य खर्च: 1 से 1.50 लाख रुपये
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कुल लागत: लगभग 24 से 25 लाख रुपये
आय (प्रति चक्र):
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उत्पादन: 300 क्विंटल
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बिक्री से आय: 28 से 29 लाख रुपये
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शुद्ध मुनाफा: 3 से 4.5 लाख रुपये प्रति चक्र
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वार्षिक मुनाफा: 18 से 21 लाख रुपये (6-7 चक्र में)
वे ऑटोमेटिक ड्रिंकर सिस्टम, फीडर प्रबंधन, और कूड़े का उचित उपयोग करके लागत कम और लाभ अधिक कर पा रहे हैं.
भैंस पालन से नियमित आय
ओमप्रकाश उच्च नस्ल की भैंसों का पालन करते हैं. वे स्थानीय चारे, नियमित दवा, और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं. उनके पास 5 भैंसें हैं, जिनसे उन्हें दूध बेचकर सालाना 2 से 3 लाख रुपये की आय होती है.
सब्जी उत्पादन में आधुनिक तकनीक का उपयोग
वे टमाटर, बैंगन, भिंडी जैसी सब्जियां उगाते हैं. ड्रिप इरिगेशन और जैविक खाद का उपयोग करके उन्होंने न केवल उत्पादन बढ़ाया, बल्कि गुणवत्ता भी सुधारी. सब्जियों से उन्हें सालाना 2 से 3 लाख रुपये की आय होती है.
तंबाकू की खेती से अतिरिक्त मुनाफा
तंबाकू की खेती उनके लिए एक और लाभदायक व्यवसाय साबित हुई है. उन्होंने इसकी खेती में मिट्टी परीक्षण, उत्तम बीज चयन और समय पर सिंचाई जैसी तकनीकों का उपयोग किया. इस फसल से उन्हें सालाना 3 से 4 लाख रुपये तक की आय हो रही है.
देसी जुगाड़ और तकनीकी नवाचार का समन्वय
ओमप्रकाश ने अपने सभी उद्यमों में देसी जुगाड़ और आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया:
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पशुपालन: सस्ता चारा, नियमित दवा, स्वच्छता
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पोल्ट्री फार्म: बांस से बने बाड़े, ऑटोमेटिक सिस्टम
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खेती: ड्रिप इरिगेशन, जैविक खाद
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कूड़ा प्रबंधन: 150-200 क्विंटल कूड़े का उपयोग खाद के रूप में
इन उपायों से उनकी लागत घटी और मुनाफा बढ़ा.
शुरुआती चुनौतियों को अवसर में बदला
शुरुआत में जोखिम, लागत और जानकारी की कमी जैसी चुनौतियां थीं, लेकिन ओमप्रकाश ने इन्हें सही योजना और मेहनत से पार किया. उन्होंने सीखा कि मौसम के अनुसार प्रबंधन, समय पर दवा, और तकनीकी मार्गदर्शन से नुकसान को रोका जा सकता है.
वार्षिक आय और आर्थिक सशक्तिकरण
आज ओमप्रकाश की कुल सालाना आय लगभग 25 से 30 लाख रुपये है:
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पोल्ट्री फार्मिंग: 18 से 21 लाख
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भैंस पालन: 2 से 3 लाख
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सब्जी और तंबाकू की खेती: 5 से 7 लाख
उनकी इस मेहनत ने उन्हें एक सफल उद्यमी किसान बना दिया है.
गांव में रोजगार और नया उद्यम
ओमप्रकाश के फार्म पर अब स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है. हाल ही में उन्होंने अपने उसी मित्र के सहयोग से एक एफपीसी (FPC) - ईएजी इनोवेशन एंड प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की स्थापना की है. इसके ज़रिए वे किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और बाजार से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं.
भविष्य की योजना: डिजिटल खेती और विस्तार
भविष्य में वे अपने व्यवसाय का और विस्तार, डिजिटल तकनीकों का उपयोग, और किसानों की सामूहिक ताकत को बढ़ावा देने की योजना बना चुके हैं. उनका उद्देश्य है कि गांव के अन्य युवाओं को भी उद्यमिता की राह दिखाई जाए.
निष्कर्ष: एक आदर्श किसान-उद्यमी का उदाहरण
ओमप्रकाश कुमार की यह कहानी बताती है कि यदि हिम्मत, सही जानकारी और मेहनत हो, तो एक युवा किसान भी लाखों की कमाई कर सकता है. उनकी सफलता में केवीके तुर्की, आत्मा मुजफ्फरपुर जैसी संस्थाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने उन्हें प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग देकर आत्मनिर्भर बनने में सहायता की.
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