चार दिन मेहनत करने के बाद थकना नहीं चाहिए क्योंकि बीज को फसल बनने में समय लगता है. इस तथ्य के उदाहरण मध्य प्रदेश के रहने वाले किसान भागवत शर्मा हैं जो प्याज, सोयाबीन और अफीम की खेती (Opium Cultivation) करते हैं. इन्होंने बताया कि ओपियम की खेती में शिशु की तरह देखभाल लगती है जिसका फल फसल पकने के बाद मिलता है.
सोयाबीन और प्याज की खेती (Soybean and Onion Farming)
सबसे पहले शर्मा बताते हैं कि उन्होंने सोयाबीन की खेती इसलिए चुनी क्योंकि यह खरीफ की फसल (Kharif Crops) है जिसे मारवा और राजस्थान के कई किसान पसंद करते हैं व खाद्य सुरक्षा में भी इसका अहम योगदान है. दूसरी ओर, प्याज एक नकदी फसल है जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. शर्मा मानसून के मौसम में सोयाबीन की रोपाई करते हैं और प्याज के लिए अपनी नर्सरी तैयार करते हैं जिसे बारिश होते ही खेतों में लगा दिया जाता है. अगर बारिश नहीं होती है, तो यह सिंचाई के तरीकों को अपनाते हैं.
बेहतर उपज के लिए प्रमाणित बीज (Certified seed for better yield)
शर्मा किसानों को सुझाव देते हैं कि सोयाबीन की खेती के लिए प्रमाणित बीजों का उपयोग करना बेहतर है क्योंकि सोयाबीन की अंकुरण क्षमता तुलनात्मक रूप से कम होती है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि उत्पादन सीधे अंकुरण क्षमता पर निर्भर करता है. शर्मा खुद प्याज के बीज तैयार करते हैं जिन्हें पौध के बाद खेतों में लगाया जाता है.
अफीम की खेती का लाइसेंस (Opium Cultivation License)
दिलचस्प बात यह है कि शर्मा ने कृषि जागरण की टीम से बात करते हुए खुलासा किया कि आखिर अफीम की खेती कैसे की जाती है. एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 8 के तहत भारत में अफीम की खेती प्रतिबंधित है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर राज्यों में एनडीपीएस नियम, 1985 के नियम 8 के तहत केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद ही किसान इसका अभ्यास कर सकते हैं.
कब होती है अफीम की खेती (Opium Cultivation Season or Time)
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो का लाइसेंस प्राप्त करने वाले किसान अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह में फसल की बुवाई करते हैं.
अफीम की खेती की विधि (Opium Cultivation Method)
शर्मा ने बताया कि खेत तैयार कर बीज क्यारी बनाई जाती है. इसके बाद मिट्टी में डीएपी और उर्वरकों की आपूर्ति की जाती है. अफीम के बीज बहुत छोटे होते हैं और पानी की मात्रा का बहुत ध्यान रखना पड़ता है. शर्मा कहते हैं कि अफीम की खेती के लिए उतनी ही देखभाल की आवश्यकता होती है जितनी की बच्चे को पालने के लिए होती है.
कीटनाशकों का उपयोग जरूरी क्यों (Why is the Use of Pesticides Necessary)
शर्मा आगे कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण एक किसान के सामने कई तरह की कठिनाइयां आती हैं. ऐसे में कीटनाशकों के उपयोग के बिना कोई भी खेती करना असंभव है और एक किसान को यह जांचने के लिए अपने खेत का कम से कम दिन में एक चक्कर लगाना पड़ता है.
यदि किसी खेत को दो दिन भी बिना निरीक्षण के छोड़ दिया जाए तो फसल का रोग होना निश्चित है. इसके अलावा, हर 8-10 दिनों में खेतों में कीटनाशकों और कवकनाशी का छिड़काव किया जाना चाहिए. शर्मा ज्यादातर सिंचाई की क्यारी विधि का उपयोग करते हैं लेकिन उनका यह भी कहना है कि ड्रिप पद्धति आजकल लोकप्रियता प्राप्त कर रही है.
क्या है भारत में अफीम की कीमत (What is the Price of Opium in India)
भारत में इसकी कीमत 720 से 2,100 रुपए प्रति किलोग्राम है.
भारत में कहां होती है अफीम की खेती (Where is Opium Cultivated in India)
अफीम की खेती राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तर राज्यों तक ही सीमित है.
क्या है भारत में अफीम की खेती का मुनाफा (What is the Profit of Opium Cultivation in India)
अफीम उत्पादकों का कहना है कि उन्हें 25000 से 1 लाख रुपए तक का प्रति हेक्टेयर सीधा लाभ मिलता है.
भारत में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य (Largest Producer of Opium in India)
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश देश में सबसे बड़े अफीम उत्पादक के रूप में उभरा है.
निष्कर्ष (Conclusion)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी से बहुत सारे किसान लाभान्वित होते हैं और शर्मा उनमें से एक हैं. लेकिन इससे उसकी सभी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण कृषि में अधिकांश समस्याएं उत्पन्न होती हैं. फसल रोग भी कोई छोटा खतरा नहीं हैं. महामारी की घटना और सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन ने इन मुद्दों को और बढ़ा दिया है क्योंकि किसान अपने उत्पादों को समय पर नहीं बेच पा रहे हैं और उनके लिए सही कीमत नहीं ले पा रहे हैं.
शर्मा का सभी लोगों के लिए संदेश है कि कृषि को अपनाएं और आत्मनिर्भरता के लिए इसे नौकरियों से अधिक तरजीह दें. उनका कहना है कि किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उन्हें सम्मानित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
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