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किसानों के लिए साकाटा सीड्स की उन्नत किस्में बनीं कमाई का नया पार्टनर, फसल हुई सुरक्षित और लाभ में भी हुआ इजाफा!

Sakata Seeds: साकाटा सीड्स के उन्नत बीजों के उपयोग से किसानों ने ब्रोकली और फूलगोभी की खेती में बेहतर उपज और उच्च गुणवत्ता हासिल की है. मजबूत और मौसम-प्रतिरोधी किस्मों के कारण फसल की स्थिरता बढ़ी, स्टोरेज क्षमता बेहतर हुई और मंडियों में अच्छा मूल्य मिला. कई किसानों ने इन किस्मों को अपनाकर खेती को अधिक लाभकारी और भरोसेमंद बनाया है.

विवेक कुमार राय
Sakata Seeds
Sakata Seeds

Sakata Seeds: भारत की मिट्टी जितनी विविध है, उतनी ही विविध किसानों की कहानियां भी. पहाड़ों से लेकर मैदानों तक, मौसम की कठोरता से लेकर मंडियों की अनिश्चितता तक, हर किसान की यात्रा संघर्ष और सीख का सम्मिश्रण है. लेकिन कुछ किसान ऐसे होते हैं जो सिर्फ फसलें ही नहीं उगाते, बल्कि उम्मीदें भी बोते हैं. ऐसे किसान जो नई तकनीक अपनाते हैं, नए बीज चुनते हैं और पुरानी सोच से बाहर निकलकर खेती को एक आधुनिक, लाभकारी व्यवसाय में बदल देते हैं.

आज हम उन्हीं किसानों में से चार प्रगतिशील किसानों की कहानी लेकर आए हैं जोकि हिमाचल, असम, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. ये किसान अपनी मेहनत और समझदारी से न सिर्फ बेहतर उत्पादन ले रहे हैं बल्कि देश के बाकी कृषक समुदाय के लिए प्रेरणा बन रहे हैं.

इन किसानों की सफलता का एक साझा सूत्र भी है- बेहतर किस्म का बीज चुनना. किसी भी फसल की शुरुआत बीज से होती है, इसलिए बीज जितना मजबूत होगा, फसल उतनी ही सुरक्षित और लाभकारी होगी. इन किसानों ने अपने अनुभव से यह सीखा कि विश्वसनीय कंपनी के गुणवत्तापूर्ण बीज खेती में जोखिम कम करते हैं, उत्पादन बढ़ाते हैं और बाज़ार में फसल की मांग भी मजबूत बनाते हैं.

इसी सोच के साथ इन किसानों ने समय के साथ विभिन्न बीज कंपनियों को आजमाया, पर अंत में भरोसा टिका Sakata Seeds की उन्नत किस्मों पर, खासकर ब्रोकली की ‘साकी’ किस्म और फूलगोभी की ‘व्हाइट क्रिस्टल’ पर. आइए, उन्हीं किसानों के जुबानी उनकी सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं-

Rakesh
राकेश राशपा

1. हिमाचल के बर्फीले इलाकों में ब्रोकली का हरा सोना – राकेश राशपा की कहानी

लाहौल–स्पीति जैसे कठिन और ठंडे इलाके में खेती करना किसी चुनौती से कम नहीं. छह महीने बर्फ से ढके रहने वाले इस क्षेत्र में फसलें कम ही पनपती हैं. लेकिन इन्हीं कठोर परिस्थितियों में एक किसान ने अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाया कि मेहनत और दूरदृष्टि से खेती कितनी लाभकारी हो सकती है.

राकेश राशपा पिछले 15 सालों से खेती कर रहे हैं. शुरू–शुरू में वे आलू और मटर जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे. लेकिन जब मंडियों में इन फसलों के दाम लगातार गिरने लगे, तो उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ नया किया जाए. 2010 में उन्होंने पहली बार ब्रोकली की खेती का प्रयोग किया, और यह प्रयोग उनकी जिंदगी की सबसे लाभकारी दिशा साबित हुआ.

आज उनके पास कुल 5 एकड़ जमीन है, जिसमें से 3 एकड़ सिर्फ ब्रोकली की साकी किस्म को समर्पित हैं. राकेश बताते हैं, हमारे यहां साल में एक ही बार ब्रोकली की फसल ले सकते हैं, क्योंकि आधा साल तो सिर्फ बर्फ रहती है. इसलिए बीज की गुणवत्ता बहुत मायने रखती है. साकी किस्म की खास बात यह है कि यह मजबूत रहती है और इसकी स्टोरेज क्षमता बेहतरीन है.”

स्टोरेज क्षमता राकेश जैसे किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों से दूर-दराज़ की मंडियों तक पहुंचने में समय लगता है. साकी किस्म की ब्रोकली बिना खराब हुए लंबी दूरी तय कर लेती है. यही वजह है कि राकेश को एक समय 200 रुपये किलो तक का दाम मिला. औसतन उन्हें 70 रुपये किलो मिलते हैं, जो किसी भी किसान के लिए बेहद अच्छा भाव है. उत्पादन की बात करें, तो राकेश प्रति एकड़ लगभग 10 टन ब्रोकली प्राप्त कर लेते हैं, जो उनके इलाके के हिसाब से उत्कृष्ट परिणाम है.

अज्जुर रहमान
अज्जुर रहमान

2. असम के अज्जुर रहमान – विविध फसलों के विशेषज्ञ, लेकिन भरोसा साकी किस्म पर

असम के दारंग जिले के किसान अज्जुर रहमान पिछले 20 वर्षों से खेती कर रहे हैं. उनकी भूमि उपजाऊ है और मौसम सब्जियों की खेती के लिए अनुकूल, इसलिए वे एक साथ कई तरह की फसलों- पत्ता गोभी, मिर्च, बैंगन, ब्रोकली और फूलगोभी की खेती करते हैं.

अज्जुर रहमान के पास कुल 4 एकड़ जमीन है, पर उनकी सक्रियता और मेहनत इतनी है कि वे साल में तीन-तीन बार फूलगोभी और ब्रोकली की फसल ले लेते हैं. फूलगोभी में उन्हें एक बीघा में 10 टन से अधिक उत्पादन मिल जाता है, जो उनके क्षेत्र के किसानों के लिए एक मानक बन चुका है.

लेकिन उनका असली अनुभव और खुशी ब्रोकली की खेती से जुड़ी है. वे प्रति चक्र लगभग 5 बीघा में ब्रोकली उगाते हैं और कई बार प्रति बीघा 9 टन तक उत्पादन प्राप्त कर चुके हैं. यह आकड़ा अपने आप में उल्लेखनीय है.

वे बताते हैं, मैंने कई किस्में आजमाईं, लेकिन ब्रोकली की साकी किस्म से जो लगातार, मजबूत और बाजार–अनुकूल उत्पादन मिलता है, वह किसी दूसरी किस्म में नहीं मिला. इसकी मांग हमेशा बनी रहती है.”

मोहम्मद नासिर
मोहम्मद नासिर

3. उत्तर प्रदेश के मोहम्मद नासिर - 15 साल की खेती और साकाटा पर स्थायी भरोसा

सहारनपुर जिले के रहने वाले मोहम्मद नासिर पिछले 15 सालों से सब्जी उत्पादन कर रहे हैं. उनके पास 9 एकड़ जमीन है, जिस पर वे मुख्य रूप से ब्रोकली और फूलगोभी की खेती करते हैं.

नासिर का अनुभव साकाटा कंपनी के साथ लंबे समय का है. वे बताते हैं, “मैं पिछले 15 साल से साकाटा सीड्स के साथ जुड़ा हूं. ब्रोकली की साकी किस्म ने कभी निराश नहीं किया. कभी–कभी तो 500 रुपये किलो तक का भाव मिला है.”

फूलगोभी की खेती वे लगभग 4 एकड़ में करते हैं, और इस फसल में वे साकाटा की प्रसिद्ध किस्म ‘व्हाइट क्रिस्टल’ का उपयोग करते हैं. यह किस्म आकार, सफेदी, कसावट और बाजार में मांग के मामले में अव्वल है.

नासिर साल में चार बार फूलगोभी और तीन बार ब्रोकली की खेती करते हैं. यह तभी संभव हुआ है जब बीज मजबूत हो, बुवाई से लेकर कटाई तक स्थिर प्रदर्शन दे, और अलग–अलग मौसम में भी अच्छा उत्पादन करे.

उनके शब्दों में, साकाटा के बीजों ने खेती को सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद आय का स्रोत बनाया है.”

प्रगतिशील किसान राजेंद्र सिलके
प्रगतिशील किसान राजेंद्र सिलके

4. महाराष्ट्र के राजेंद्र सिलके - वर्षा और गर्मी के बीच स्थिर उत्पादन

नासिक जिले के प्रगतिशील किसान राजेंद्र सिलके लगभग 20 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. उन्होंने लगभग 8 वर्ष पहले सब्जी खेती शुरू की और तभी से बेहतर किस्म के बीज चुनने पर जोर दिया. राजेंद्र मुख्य रूप से ब्रोकली की ही खेती करते हैं और साकाटा की साकी किस्म उनके खेत की पहचान बन चुकी है. वे बताते हैं कि वे जैविक और रासायनिक दोनों तरीकों का संतुलित उपयोग करते हैं ताकि उत्पादन और मिट्टी की सेहत दोनों ठीक रहें.

उन्हें प्रति एकड़ लगभग 7 टन उत्पादन मिलता है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां मानसून अनिश्चित है और नमी का स्तर अक्सर बदलता रहता है, साकी किस्म का स्थिर प्रदर्शन किसानों के लिए राहत की बात है.

राजेंद्र कहते हैं, “साकी किस्म बारिश में भी खराब नहीं होती. हेड की मजबूती और स्टोरेज क्षमता बहुत अच्छी है. यही वजह है कि मैं पिछले कई सालों से इसी बीज का उपयोग कर रहा हूं.”

साकाटा सीड्स – किसानों के अनुभवों से बना भरोसा

इन चारों किसानों की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं- कहीं बर्फ़ है, कहीं लगातार बारिश, कहीं गर्मी और कहीं नमी. लेकिन सभी किसानों का अनुभव एक बात पर एकजुट है:- उन्नत किस्मों का बीज खेती में बदलाव ला सकता है.”

ब्रोकली की साकी किस्म की खासियतें, जिन्हें किसानों ने अपने अनुभव से साबित किया है-

  • मजबूत पौधे

  • बेहतरीन स्टोरेज क्षमता

  • परिवहन के दौरान खराब न होना

  • बेहतर आकार और कसावट

  • विभिन्न मौसमों में स्थिर प्रदर्शन

  • मंडियों में अच्छा मूल्य

फूलगोभी की व्हाइट क्रिस्टल किस्म की खूबियां-

  • आकर्षक सफेदी

  • कसावदार हेड

  • अच्छी शेल्फ लाइफ़

  • सभी मौसमों में अनुकूलता

ये सब कारण हैं कि ये किस्में किसानों की पहली पसंद बन गई हैं.

किसानों की कहानी हमेशा मिट्टी से शुरू होकर आशा पर खत्म होती है. राकेश, अज्जुर, नासिर और राजेंद्र, ये चारों किसान दिखाते हैं कि भारत में कृषि सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि संभावनाओं से भरा क्षेत्र है. उन्होंने अपनी दूरदर्शिता, मेहनत और सही निर्णयों के बल पर साबित किया कि खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है. उनकी कहानी यह भी बताती है कि बीज सिर्फ फसल का शुरुआती बिंदु नहीं है, बल्कि पूरे सफलता की नींव है.

साकाटा सीड्स की उन्नत किस्मों ने इन किसानों को स्थिर उत्पादन, बेहतर बाजार मूल्य और भरोसेमंद गुणवत्ता दी, और यही वजह है कि आज ये किसान अपने-अपने क्षेत्रों में प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं.

English Summary: Advanced Sakata Seeds Varieties Become a New Earning Partner for Farmers, Crop Secured and Profits Increased! Published on: 24 November 2025, 04:27 PM IST

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