राजस्थान का मुख्य व्यवसाय कृषि है। राजस्थान प्रदेश बाजरा उत्पादन में अग्रणी है। बाजरा उत्पादनके लिए षुष्क एवं उष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। राजस्थान की जलवायु बाजरे की खेती के अनुरुप है। बाजरे की वृद्धि के लिए साधारणतया 280 से 320 तक तापमान उपयुक्त होता है। बाजरा खाने में स्वादिष्ट व पौष्टिक है। इसमें लौह तत्व, प्रोट्रीन, कैल्षियम व कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा पाई जाती है। प्रति 100 ग्राम बाजरे में लगभग 361 कि. कैलोरी, 68 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 12 ग्राम प्रोटीन, 8 मि.ग्रा. लौह तत्व, 5 मि.ग्रा. वसा व 42 मि.ग्रा. कैल्षियम पोषक तत्व पाये जाते है। मानवीय पोषण में उपयुक्त किसी भी पौषक तत्व के अभाव में कुपोषण की स्थिति पैदा हो जाती है। भारत में लगभग 43 प्रतिषत व राजस्थान में 51 प्रतिषत कुपोषण की स्थिति व्याप्त है। कुपोषण के चलते भारत सरकार के द्वारा कुपोषण नियन्त्रण के लिए न्यूट्री फार्म पायलेट प्रोजेक्ट वर्ष 2013-14 का संचालन किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत बाजरा की फसल को बढावा देना व बाजरा के प्रसंस्करण व मूल्य संवर्द्धन से नये उत्पाद तैयार कर कुपोषित जनसंख्या तक पहुँचाना है। यदि बाजरे के मूल्य सवंर्धित व्यंजन घरों व बाजार में आसानी से उपलब्ध होने लग जाये तो पोषण की दृष्टि से बाजरे को आहार में मुख्य स्थान दिया जा सकता है। क्योकि परम्परागत तरीके से बाजरे के कुछ ही व्यंजन बनाये जाते है। जैसे - बाजरे की रोटी, खिचड़ी, राबड़ी व चूरमा आदि जो कि ग्रामीण क्षेत्रो की महिलाओं के द्वारा बनाये जाते है। जबकि शहरों में इन विशेष व्यंजनो के बनाने के तरीके अभाव के कारण बाजरे के व्यंजन अधिक प्रचलित नही है। साधारणतः घरों में जिन व्यंजनो को अन्य अनाज (गेंहू) से बनाने का प्रचलन है यदि उसके स्थान पर बाजरे का उपयोग किया जाये तो व्यंजन के पोषक तत्व भी बढ जायेगें व कुपोषण की स्थिति भी नहीं आयेगी। कुछ इस तरह के व्यंजन बताये जा रहे है जिनमें मैदा, सूजी, बेसन व गेंहू के आटे के बजाय बाजरे का उपयोग किया जायेगा व उस व्यंजन के स्वाद, रूप व गुण में कोई फर्क नहीं आता बल्कि उसके पोषक मूल्य बढ जाते है। महिलाओं व बच्चो में पाई जाने वाली खून की कमी (रक्त अल्पता) पर नियन्त्रण करने की दृष्टि से इस प्रोजेक्ट के द्वारा बाजरे की नई किस्म के क्लस्टर प्रदर्षन भी किसानो को दिये गये है।
बाजरे के अधिक प्रचलित न होने का मुख्य कारण बाजरे में पाई जाने वाली अधिक वसा के कारण बाजरे का आटा व इससे बने उत्पाद जल्द खराब हो जाना है। अतः बाजरे का आटा लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए ब्लांचिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक में ’’बाजरे "को कपडे की पोटली में बांध कर 1-2 मिनट तक उबलते पानी में डुबोये व तत्काल ठण्डे पानी में डुबोकर निकाले व पानी पूरा झरने के बाद धूप में सुखाकर काम में ले। इस प्रक्रिया से उच्च ताप के कारण एन्जाइम्स के कुप्रभाव रुक जाते है और बाजरे के आटे को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
अंकुरण द्वारा भी बाजरे को अधिक पौष्टिक, स्वादिष्ट एवं पाचक बनाया जा सकता है। बाजरे को अंकुरित करके फ्रिज में 4-5 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। बाजरे के अलग-अलग व्यंजन बनाकर उन्हें खाने में शामिल कर लौह तत्व की कमी को दूर किया जा सकता है। बाजरे से बनाये जाने वाले व्यंजनो की विधि इस प्रकार से है।
बाजरा बिस्कुट
सामग्रीः- बाजरे का आटा 1 कटोरी, पिसी चीनी = भाग कटोरी, रिफाइन्ड तेल/घी ) कटोरी, दूध 2 बड़ी चम्मच, बैकिग पाउडर = छोटी चार चम्मच, अमोनिया पाउडर ( छोटी चार चम्मच, वनिला एसेन्स 3-4 बॅूंद
विधिः-
1. बाजरे के आटे में बैंकिग पाउडर डाल कर अच्छी तरह छाने।
2. तेल या घी लेकर उसमें पिसी चीनी मिलाकर फेटें। जब तक की चीनी पिघल कर मिक्स न हो जाये तब तक।
3. घी व चीनी के तैयार मिश्रण में छना हुआ बाजरे का आटा मिलाये।
4. वनिला एसेन्स व अमोनिया पाउडर डालकर दूध की सहायता से आटा गूंथे।
5. ( इन्च मोटाई रखते हुये बिस्कुट कटर से अण्डाकार, गोल या चौकोर आकार में काटे व चिकनाई लगी ट्रे में बिस्कुट रखे।
6. ओवन में 1750 तापमान पर 15-20 मिनिट तक बेक करे।
पौषक मूल्यः- ऊर्जा 346.25 कैलोरीज, प्रोटीन 4.07 ग्राम, लौह तत्व (आयरन) 3 मि. ग्रा.
बाजरे का केक
सामग्रीः- बाजरे का आटा 1 कटोरी, मैदा 1 कटोरी, चीनी पीसी 1 कटोरी, मिल्क पाउडर 1 कटोरी, घी/तेल = कटोरी, वनिला एसेन्स 5-6 बूंद, बैंकिग पाउडर 1) चम्मच, सोडा ( चम्मच
विधिः-
1. मैदा, बाजरे का आटा, मिल्क पाउडर, बैंकिग पाउडर व सोडा को मिलाकर एक साथ अच्छी तरह छाने।
2. घी/तेल में चीनी मिलाकर अच्छे से फेटे ताकि चीनी व घी एक सार हो जाये व आटे का मिश्रण मिलाये।
3. घोल को चम्मच से गिराने पर रिबिन 1 बेल्ट जैसी परत बने तो घोल तैयार है।
4. केक के टिन में चिकनाई लगाकर घोल उसमें डाले व पूर्व में गरम किये ओवन में 1700 पर 40 मिनिट तक बेक करे।
5. केक को ठण्डा करके सर्व करे।
पौषक मूल्यः- ऊर्जा 685.2 कैलोरीज, प्रोटीन 14.52, लौह तत्व (आयरन) 3.41 मि. ग्रा.
बाजरे का मफीन्स
सामग्रीः- बाजरे का आटा 1 कटोरी, मैदा 1 कटोरी, पिसी चीनी 1 कटोरी, मिल्क पाउडर 1 कटोरी, रिफाइन्ड तेल/घी = कटोरी, बैंकिग पाउडर 1( चम्मच, वनिला एसेन्स 5-6 बुंद, सोडा ( चम्मच
विधिः-
1. मैदा, बाजरे का आटा, मिल्क पाउडर, बैंकिग पाउडर व सोडा को मिलाकर एक साथ अच्छी तरह छाने।
2. घी/तेल में चीनी मिलाकर अच्छे से फेटे ताकि चीनी व घी एक सार हो जाये व आटे का मिश्रण मिलाये।
3. घोल को चम्मच से गिराने पर रिबिन 1 बेल्ट जैसी परत बने तो घोल तैयार है।
4. घोल बनने के बाद छोटे-2 आकार के टिन में घोल डालकर 1500 तापमान पर ओवन को गरम कर 30 मिनट तक बेक करे व ठण्डा सर्व करे।
5. केक का बडा आकार होता है और मफीन्स केक का छोटा आकार होता है।
पौषक मूल्यः- ऊर्जा 685.2 कैलोरीज, प्रोट्रीन 14.52 ग्राम, लौह तत्व (आयरन) 3. 41 मि. ग्रा.
बाजरे के लडडू
सामग्रीः-बाजरे का आटा 1 कटोरी़, चने का आटा ) कटोरी, बूरा/गुड 1 कटोरी, घी 1 कटोरी, गोंद 25 ग्राम, सूखे मेवे बजट अनुसार
विधिः-
1. बाजरे व चने के आटे को मिलाकर छान ले व कम मात्रा में घी कडाई में लेकर मिक्स आटे को कम ऑंच पर तब तक भूने जब तक की आटे का रंग बदल कर सुनहरा हो जाये व सौंधी खुष्बू आने लगे।
2. ऑंच से उतार कर उसमें बूरा मिलाये व कडाई में थोडा घी डालकर गोंद को फुलाये व आटे में मिलाये।
3. अब बाकी बचा घी भी गरम करके आटे में अच्छी तरह से मिलाये व छोटे- छोटे गोल-गोल लडडू बनाये व सर्व करे।
4. लडडू सर्दी के मौसम के लिए बहुत पौष्टिक व्यंजन है।
पौषक मूल्यः- उर्जा 285.05 कैलोरीज, प्रोटीन 6.855 ग्राम, लौह तत्व (आयरन) 2.4 मि.ग्रा.
बाजरे की मठरी
सामग्रीः-बाजरे का आटा 1 कटोरी, मैदा ) कटोरी, सूखी मैथी के पते 1 चम्मच, अजवाइन (चार चम्मच, नमक स्वाद अनुसार, तेल तलने के लिए
विधिः-
1. बाजरे का आटा व मैदा को छान कर उसमें नमक, मैथी पते व अजवाइन को मिला ले।
2. आटे में थोडे तेल का मौयन कर पानी से सख्त आटा गूंथे।
3. आटे के छोटे-2 गोले बनाकर पतली रोटी बेल कर चाकू से मठरी काट ले।
4. तेल गरम कर कम ऑंच पर मठरियों को सुनहरा होने तक तले। ठण्डा कर मठरियों को डिब्बो में रखे।
पौषक मूल्यः- ऊर्जा 390.25 कैलोरीज, प्रोटीन 1.6 ग्राम, लौह तत्व (आयरन) 3.5 मि.ग्रा.
बाजरे का खाखरा
सामग्रीः- बाजरे का आटा कटोरी, गेंहू का आटा, कटोरी नमक व लाल मिर्च स्वादानुसार, सूखी हरी मेथी पते
विधिः-
1. बाजरे का आटा व गेंहू के आटे को मिलाकर छान ले।
2. आटे में लाल मिर्च, नमक व मेथी पते मिलाकर सख्त आटा गूंथ लें।
3. आटे का छोटा गोला बनाकर पतली रोटी बेल ले।
4. अब तवे पर इस रोटी को कम ऑंच पर कपडे के दबाव से करारी सेकें।
5. ठण्डा करके डिब्बे में पैक कर रखें।
पौषक मूल्यः-ऊर्जा 105.3 कैलोरीज, प्रोटीन 3.55 ग्राम,लौह तत्व (आयरन) 2 मि. ग्रा.
डॉ. बबीता डीगवाल1, डॉ. एस. के. बैरवा एवं डॉ. दषरथ प्रसाद
1. वैज्ञानिक (गृह विज्ञान), कृषि विज्ञान केन्द्र (एस. के. एन. कृषि विश्वविद्यालय), दौसा,
2. कृषि वैज्ञानिक, कृषि अनुसंधान केन्द्र, (एस. के. राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय) श्रीगंगानगर।
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