देश में मुर्गी की बीट से बायोगैस बनाने की खबरे सामने आ रही हैं उत्तर प्रदेश में बायोगैस और मुर्गी की बीट से बने खाद पर रिसर्च हो रही है. जानकारों के मुताबिक़ खेती में इस खाद के उपयोग के बाद किसी अन्य खाद या उर्वरक की जरूरत नहीं पड़ती है. इतना ही नहीं मुर्गी की बीट से बनी खाद सस्ती होने के साथ ही फसलों के लिए गुणकारी भी है ये पूरी तरह जैविक तो होती है जिसकी वजह से पैदावार भी बढ़ जाती है मुर्गी पालन कर चिकन और अंडे से अच्छी कमाई तो कर ही सकते हैं साथ ही उसकी बीट (मल) से भी अच्छी कमाई की जा सकती है.
मुर्गियों के मल से बढ़िया कमाई
आमतौर पर जानकारी के अभाव में मुर्गी पालने वाले किसान मुर्गियों की बीट को ऐसे ही फेंक देते हैं. लेकिन किसानों को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. क्योंकि मुर्गी की बीट से कमाई तो होती ही है साथ ही बीट के प्रयोग से फसलों की पैदावार भी बढ़ जाती है.
अच्छी खाद में से एक मुर्गी की बीट
बताया जाता है कि मुर्गी की बीट से बायोगैस बनाने की भी खबरें आती रही हैं उत्तर प्रदेश में बायोगैस और मुर्गी की बीट से बनी खाद पर रिसर्च तक हो रही है. माना जाता है कि खेती में इस खाद के उपयोग के बाद किसी और खाद या उर्वरक की जरूरत ही नहीं पड़ती है. इस खाद से फसलों का विकास बहुत अच्छी तरह से होता है.
जैविक खेती कर रहे किसान
दरअसल जैसे-जैसे जैविक खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मुर्गी की बीट की मांग भी बढ़ती जा रही है. अब मुर्गी पालक जैविक खाद की कंपनियों को बीट बेच रहे हैं. फिलहाल मुर्गी की बीट 7 से 15 रुपए किलो तक मिल रहा है जिस तरह इसकी मांग बढ़ रही है, आने वाले समय में मुर्गी पालन और फायदेमंद व्यवसाय साबित हो सकता है.
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वहीं पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर ऐके शर्मा का कहना है कि एक मुर्गी से एक दिन में 32-36 ग्राम बीट मिलता है, जिसमें 40 फीसदी नमी होती है यह खाद हॉर्टीकल्चर फसलों के लिए बेहतर होती है क्योंकि इस खाद में फॉस्फोरस की मात्रा अन्य खाद के मुकाबले ज्यादा होती है जबकि यही फॉस्फोरस फलों और सब्जियों के आकार को बढ़ाने में काम आता है. ऐसे में मुर्गी के बीट से किसान कमा तो सकते हैं साथ ही उसका प्रयोग खेतों में भी कर सकते हैं. आने वाले में समय यह किसान के लिए बंपर कमाई का विकल्प साबित होगा.
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