वैसे तो हर दिन हमारे लिए खास है. हर रोज़ हम कुछ न कुछ नई जानकारी प्राप्त करते ही रहते हैं लेकिन, जब बात मौसम से जुड़ी चीज़ों की हो, तो जानकारी अहम हो जाती है. आगे इस लेख में हम 23 मार्च यानि आज विश्व मौसम विज्ञान दिवस के बारे में बताएंगे. मौसम के बारे में अध्ययन इसलिए जरूरी है क्योंकि खेती सीधे तौर पर मौसम से जुड़ी हुई है. 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की स्थापना की गयी थी और तब से आजतक हर वर्ष संगठन विश्व मौसम विज्ञान दिवस के लिए एक नारे की घोषणा करता है. इस दिन को सभी सदस्य देशों में अहमियत दी जाती है और इसे सभी सदस्य देशों में मनाया जाता है. डब्ल्यूएमओ एक वैश्विक संगठन है और कुल 191 देश और क्षेत्र इसके सदस्य हैं.
इसकी शुरुआत अंतरराष्ट्रीय मौसम संगठन (आईएमओ) से हुई थी, और इसकी स्थापना सन् 1873 में हुई थी. डब्ल्यूएमओ कन्वेंशन के अनुमोदन से मार्च 23, 1950 को स्थापित डब्लूएमओ, एक साल बाद मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान और संबंधित भू-भौतिकी विज्ञान के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गया.
यह संगठन, पृथ्वी के वायुमंडल की परिस्थिति और व्यवहार, महासागरों के साथ इसके संबंध, मौसम और परिणामस्वरूप जल संसाधनों के वितरण के बारे में जानकारी के बारे में, संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक आवाज है.
हर साल विश्व मौसम विज्ञान दिवस का एक थीम (विषय) रखा जाता है और इस साल इसका थीम (विषय) है "सूर्य, पृथ्वी और मौसम". पिछले साल, विश्व मौसम विज्ञान दिवस ने " "मौसम-तैयार, जलवायु-स्मार्ट" विषय पर तवज्जो दिया था और मौसम अंतरनिहित खूबसूरती और उसके सौंदर्यबोध का उत्सव मनाया था.
थीम का महत्व यह है कि इसके जरिए हर वर्ष डब्ल्यूएमओ मौसम-तैयार होने के महत्व को रेखांकित करता है. यह संगठन हर तरह से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कई प्रकार की जानकारी पहले ही प्राप्त हो जाती है और कई प्रकार के खतरे से नपटने में आसानी होती है.
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