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मर्द का दिल उसी के पास होता है, जिसकी मां के दूध में दम होता है: धर्मेन्द्र

सिनेमा एक ऐसा संसार है जो आरंभ से ही लोगों के दिलों में बसता है और भारतीय सिनेमा ने समाज के हर वर्ग, जाति, संप्रदाय पर प्रभाव डाला है. कोई भी शख्स इससे अछूता नहीं है. सिनेमा या एक फिल्म को बनाने के पीछे कई लोगों की मेहनत लगी होती है. निर्देशक से लेकर चाय पिलाने वाले तक सब एक फिल्म का अहम हिस्सा होते हैं. परंतु भारत में जिन्हें सबसे अधिक प्रमुखता या तवज्जों दी जाती है वह है अभिनेता और अभिनेत्रियां. यह वह चेहरे होते हैं

सिनेमा एक ऐसा संसार है जो आरंभ से ही लोगों के दिलों में बसता है और भारतीय सिनेमा ने समाज के हर वर्ग, जाति, संप्रदाय पर प्रभाव डाला है. कोई भी शख्स इससे अछूता नहीं है. सिनेमा या एक फिल्म को बनाने के पीछे कई लोगों की मेहनत लगी होती है. निर्देशक से लेकर चाय पिलाने वाले तक सब एक फिल्म का अहम हिस्सा होते हैं. परंतु भारत में जिन्हें सबसे अधिक प्रमुखता या तवज्जों दी जाती है वह है अभिनेता और अभिनेत्रियां.

यह वह चेहरे होते हैं जो सिनेमा में सबसे अधिक समय जनता के सामने होते हैं और जिनके नाम व चेहरे से लोग फिल्म देखने आते हैं. हिंदी सिनेमा का एक ऐसा ही सितारा जिसकी लोकप्रियता ने आसमान की ऊंचाईयों को कम कर दिया और वह सितारा है - धर्मेंद्र.

धर्मेंद्र वह नाम है जो किसी पहचान का मोहताज नहीं. भारतीय सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाने वाले धर्मेंद्र आज भी वैसे ही हैं जैसे अपने बचपन में थे. धर्मेंद्र कहते हैं कि मैं आज भी नटखट, चुलबुला और शरारती हूं, बिल्कुल वैसा ही जैसा बचपन में था.

धर्मेंद्र: एक परिचय

धर्मेंद्र का जन्म कहां हुआ या उनके माता-पिता और परिवार के बारे में तो आप इंटरनेट या दूसरे साधनों से जान ही लेंगे इसलिए आज हम आपको सिर्फ उनकी कर्मभूमि यानि फिल्मों के बारे में बताएंगे. धर्मेंद्र की पहली फ़िल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' थी जो 1960 में आई. इसके बाद धर्मेंद्र आने वाले तीन दशकों तक सिनेमा के रंगीन पर्दे पर छाये रहे. आज धर्मेंद्र अपने जीवन के 83 वर्ष पूरे कर रहे हैं. इस लंबे और शानदार सफर में धर्मेंद्र ने कईं उतार-चढ़ाव देखे हैं और अब वह अपने इन अनुभवों को शायरी का रुप दे रहे हैं.

यादगार फिल्में

यूं तो धर्मेंद्र की हिट फ़िल्मों की बात करें तो उसकी सूची लंबी है परंतु फिर भी इनमें से कुछ फ़िल्में हैं जो भारतीय फिल्म जगत में अमर हो गयीं. जैसे - अनपढ़, बंदिनी, सूरत और सीरत, चुपके-चुपके, शोले, बगावत, धरम-वीर, शालीमार, प्रतिज्ञा, अपने, गुलामी, गज़ब, फ़रिश्ते, फूल और पत्थर, आज़ाद, गुलाम बीवी का, अलीबाबा 40 चोर, लोफर, आया सावन झूम के, जीवन मृत्यु और न जाने कितनी फिल्में इस जमात का हिस्सा हैं. धर्मेंद्र की अदाकारी को मापने के लिए यह सूची बहुत छोटी है क्योंकि धर्मेंद्र की अदाकारी इन सबके ऊपर है.

हरफ़नमौला अंदाज़

धर्मेंद्र की लोकप्रियता के पीछे एक बड़ी वजह उनका मस्तमौला या हरफ़नमौला अंदाज भी रहा. धर्मेंद्र कहते हैं कि मैं दिल से बिल्कुल बच्चा हूं, मेरे मन में कुछ भी आ जाता है तो उसे बोलने में मैं वक्त नहीं देखता, फिर मैं यह नहीं देखता कौन सी बात कब और कैसे कहनी है, मेरा अपना एक अंदाज़ है और मैं उसी अंदाज़ में कहता हूं. इस वजह दुनिया को यह बात पता है कि चाहे मैने कुछ गलत भी कह दिया हो परंतु मैं दिल से पाकसाफ हूँ. मैं आज जहां भी जाता हूं, चाहने वाले मुझे इतनी दुआएं देते हैं कि मैं बागबाग हो जाता हूं और कभी-कभी सोचता हूं कि इतने सारे लोगों का प्यार में रखूंगा कहां?

कृषि जागरण की ओर से धर्मेंद्र जी को उनके 83वें जन्मदिन की बधाई.

गिरीश चंद्र पांडे, कृषि जागरण

English Summary: The heart of a man is with the one who has breath in his mother's milk: Dharmendra Published on: 08 December 2018, 10:52 AM IST

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