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फूड फोर्टिफिकेशन द्वारा कुपोषण की रोकथाम

फूड फोर्टिफिकेशन क्या है? फूड फोर्टिफिकेशन से तात्पर्य है कि पोषक तत्वों कि कमी को रोकने के लिए उच्च ऊर्जा खाद्य पदार्थों ( जैसे विटामिन, मिनरल) को भोजन में शामिल करना . यह भोजन की कैलोरी बढ़ाने और वजन बढ़ाने को बढ़ावा देने का आसान तरीका हैं .

विवेक कुमार राय

फूड फोर्टिफिकेशन क्या है?

फूड फोर्टिफिकेशन से तात्पर्य है कि पोषक तत्वों कि कमी को रोकने के लिए उच्च ऊर्जा खाद्य पदार्थों ( जैसे विटामिन, मिनरल) को भोजन में शामिल करना . यह भोजन की कैलोरी बढ़ाने और वजन बढ़ाने को बढ़ावा देने का आसान तरीका हैं 

फूड फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता  क्यों है?

राष्ट्रीय पूरक कार्यक्रम के होते हुए भी कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे कि आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन ए की कमी व्यक्तियों में पायी गयी है. आयरन (एनीमिया), विटामिन ए  और आयोडीन  की  कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्या होती हैं. महिलाओं और बच्चों के अलावा 24 प्रतिशत पुरुष भी आयरन का शिकार पाए गए  हैं. दुनिया में विटामिन ए की कमी वाले पूर्व स्कूली बच्चों में से एक चौथाई से अधिक बच्चे भारत में हैं जो की विटामिन ए की कमी से पीड़ित हैं. भारत में 15-49 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में से आधे से अधिक, एक ही आयु के सभी पुरुषो में से एक चौथाई और दस बच्चों में से सात एनीमिया (आयरन की कमी ) से जूझ रहे हैं .

मुख्यत: तीन पोषक तत्वों जैसे विटामिन ए, आयरन और आयोडीन की कमी के कारण ही कुपोषण बढ़ता हैं. कुपोषण की रोकथाम के लिए खाद्य पदार्थों का फूड फोर्टिफिकेशन  कर  आयरन (एनीमिया), विटामिन ए  और आयोडीन की कमी को पूरा  कर  सकते  हैं.

फ़ूड फोर्टिफिकेशन का इतिहास:

1. द्वितीय विश्व युद्ध से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल किया गया था

2. अमेरिका में 1938 से नियासिन (Niacin) को ब्रेड में मिलाया गया था

3. डेनमार्क में मार्जरीन में विटामिन डी मिलाया गया था

4. 1954 से भारत में वनस्पती में विटामिन ए और डी मिलाया गया था

5. शिशुओं में न्यूरल ट्यूब दोष को रोकने के लिए ब्रेड में फोलिक एसिड मिलाया गया था

भारत में फूड फोर्टिफिकेशन

भारत में फूड फोर्टिफिकेशन का इतिहास 1959 के दशक का हैं जब वनस्पति में विटामिन ए का मिलना अनिवार्य था और यह आज तक जारी हैं. फूड फोर्टिफिकेशन करने के लिए उन ही खाद्य पदार्थों को चुना गया जो बड़े पैमाने में लोग रोजाना खाते हैं  जैसे:- आटा, चावल, दूध, तेल, नमक आदि.

एफ. एस. एस. ए. आई (FSSAI) ने फोर्टिफिकेशन के लिए मानक भी निर्धारित किए हैं उदाहरण के तौर पर :

1. आटा - चावल (फोलिक एसिड, आयरन और विटामिन के साथ )

2. दूध (विटामिन ए, विटामिन डी और कैल्शियम के साथ )

3. नमक (आयोडीन और आयरन के साथ )

4. अंडा (omega 3 fatty एसिड के साथ)

5. चीनी (विटामिन A)

6. खाद्य तेल (विटामिन ए और डी के साथ)

पौष्टीकृत खाद्यों की पहचान

वर्तमान में, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थो के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव पाया गया. लोगों को इसकी  जागरूकता को बढ़ाने के लिए टेलीविज़न में तरह - तरह के विज्ञापन भी प्रकाशित किए जा रहे हैं .

फ़ूड फोर्टिफाइड फ़ूड के पैकेट्स पर प्लस एफ (+F)  का चिन्ह बना होता हैं  जिससे लोग इसकी पहचान कर सकते हैं. सम्पूर्ण भारत में बड़े स्तर पर फ़ूड फोर्टिफिकेशन को प्रोत्साहित करने के लिए फ़ूड फोर्टिफिकेशन रिसोसड (एफ एफ आर सी) की स्थापना की गई हैं. इस संगठन का उदेश्य  भारतीय राज्यों  में फ़ूड फोर्टिफिकेशन की महत्वता को लोगों तक पहुचाना हैं.

फ़ूड फोर्टिफिकेशन के लाभ

फ़ूड फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से बने खाद्य पदार्थ उपभोग की दृष्टि से पूणर्तया सुरक्षित एवं लाभप्रद है, क्योंकि किसी खाद्य पदार्थ में मिलाएं जाने वाले विटामिन एवं खनिज तत्वों की मात्रा मनुष्य की रोज की आवश्यकता के अनुसार निर्धारित की जाती है. इस प्रक्रिया द्वारा खाद्य पदार्थ के रंग- रूप , उनके स्वाद एवं उनकी सरंचना आदि पर कोई असर नहीं पड़ता. इन पोषक तत्वों को जन -जन तक पहुंचाने के लिए यह एक आसान और कम खर्च वाला असरदार तरीका है .

लेखक: अनु शर्मा

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी वाराणसी, उत्तर प्रदेश

English Summary: Prevention of malnutrition by food fortification Published on: 10 October 2020, 08:13 PM IST

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