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MSP: न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ी पूरी जानकारी, जानें कैसे यह किसानों के लिए है फायदेमंद

हमारे देश में आज भी ऐसे लोग हैं, जिन्हें सही तरीके से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की जानकारी है कि यह क्या है और कैसा यह काम करता है. अगर आप भी MSP से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी को फैश करते हैं, तो यह लेख आपकी मदद कर सकता है.

KJ Staff
MSP किसानों की फसलों के लिए गारंटी
MSP किसानों की फसलों के लिए गारंटी

सरकार द्वारा किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए प्रारंभ की गई न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति (MSP) एक मजबूत खरीद नीति और संबंधित रखरखाव संबंधी सुविधा के बिना और असफल होने के बाधय हो रही है.

एमएसपी क्या है?  (What is MSP?)

बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर एमएसपी क्या होता है? MSP,  एमएसपी का फुल फॉर्म मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price ) होता है. जबकि हिंदी भाषा में न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं. सरकार द्वारा एमएसपी की घोषणा फसलों की बुवाई से ठीक पहले की जाती है. इससे उस वर्ष फसल का उत्पादन अधिक या कम होने पर किसानों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है.

देश के किसानों को फसल उत्पादन के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है. ऐसे में यदि किसी कारणवंश उनकी फसल का उत्पादन कम या अधिक होने पर और साथ ही उसका विक्रय करने पर उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है. ऐसे में कुछ किसानों को काफी लाभ हो जाता है और कुछ किसानों को नुकसान भी हो जाता है.

इसी प्रकार की स्थितियों को देखते हुए सरकार ने किसानों को फसल उत्पादन के पश्चात किसी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए देशभऱ में एमएसपी की व्यवस्था लागू किया. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से सरकार की तरफ से किसानों की फसलों के लिए गारंटी है. जिसे किसानों को उनकी फसल पर उपलब्ध कराया जाता है. बाजार में जब कृषि उत्पादों के दाम लगातार गिर रहे होते हैं, तो ऐसी स्थिति में सरकार के द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर लिया जाता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले करती है न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में सरलता से की जाती है.

भारत में फसलों का MSP निर्धारण

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग Commission For Agricultural, Cost And Prices - CACP,  द्वारा किया जाता है. यह संस्था भारत के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है इस संस्था की स्थापना वर्ष 1965 में की गई थी, उस समय इसका नाम कृषि मूल्य आयोग था. वर्ष 1985 में इसमें लागत शब्द जो दिया गया जिससे इसका नाम कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हो गया यह संस्था कृषि मंत्रालय आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति और भारत सरकार के समक्ष अपने आंकड़े प्रस्तुत करती है. इन सभी से स्वीकृति मिलने के पश्चात आयोग द्वारा अलग-अलग फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाता है. इस आयोग द्वारा 23 कृषि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किए जाते हैं. फसलों की एमएसपी का आकलन करने के लिए कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट एंड प्राइसेज अर्थात सीएसीपी. कृषि में लगने वाली लागत को 3 भागों में A1, A2+ FL और C2 में विभाजित किया जाता है. A2 के अंतर्गत किसानों द्वारा फसल उत्पादन में किए गए विभिन्न प्रकार के खर्च जैसे बीज खाद इंधन और सिंचाई आदि शामिल किए जाते हैं. जबकि A2+FL में नकद खर्च के साथ किसान और उसके परिवारिक जनों द्वारा किए परिश्रम का अनुमानित मेहनताना भी जोड़ा जाता है. C2 के  अंतर्गत कृषि को व्यवसायिक दृष्टिकोण से देखा जाता है इसमें कुल नगद खर्च के साथ-साथ कृषक के परिवारिक परिश्रम के अलावा जिस भूमि पर कृषि कार्य किया जा रहा है. उसका किराया और कृषि कार्य में लगने वाली कुल धनराशि पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है.

23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होता है

फसलों की लागत के आधार पर निर्धारित किए जाने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य A2+ FL है. वर्तमान समय में सरकार के द्वारा 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया जाता है. जिसमें से सात प्रकार के अनाज, 7 तिलहन, 5 दलहन और 4 व्यवसायिक फसलें शामिल हैं. धान, गेहूं, मक्का, जौ,  बाजरा, चना, तुअर,  मूंग, उड़द और मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, गन्ना, कपास और छूट के लिए एमएसपी निर्धारित किया जाता है.

बता दें कि इन सभी फसलों में से देश में सिर्फ गन्ना की फसल (Sugarcane Crop) पर कुछ हद तक कानूनी पाबंदी लागू होती है. इसी कारण से राज्य सरकार इसका मूल्य निर्धारित करती है.

कृषि से जुड़े जोखिम

भारत में कृषि को एक जोखिम भरा व्यवसाय माना जाता है. किसानों को फसलों को रोपण से लेकर अपने उत्पादों के लिए बाजार खोजने तक जोखिम का सामना करना पड़ता है.

भारत में कृषि में जोखिम फसल उत्पादन मौसम की अनिश्चितता, फसल की कीमत और नीतिगत फैसलों से जुड़े हैं. जब की कीमतों में जोखिम का मुख्य कारण परिश्रम की लागत से भी कम आए, बाजार की अनुपस्थिति और बिचौलियों द्वारा अत्यधिक मुनाफा कमाना है. बाजारों की अकुशलता और किसानों के उत्पादों की विनाशशील प्रकृति उत्पादन के बनाए रखने में उनकी असमर्थता, अधिशेष या कमी के परिदृश्य में बचाया या घाटे के खिलाफ बीमा में बहुत कम लचीलापन के कारण कीमतों में जोखिम बहुत अधिक है.

सुझाव

राष्ट्रीय कृषि बाजार (National Agriculture Market) किसानों को उसकी आय की सुरक्षा के बजाय, अन्न  उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलना चाहिए, जिसका अर्थ बीज और सिंचाई तक पहुंच हो सकती है. मांग आपूर्ति गतिशीलता को प्रतिबिंबित करने के लिए कीमत हमेशा बाजार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए एवं इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. फसलों का बीमा किसानों की आय बढ़ाने के लिए कीमतों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाए, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समस्या ग्रस्त क्षेत्रों में सभी फसलों का बीमा हो ऋण माफी अंतिम उपाय होना चाहिए और हमेशा सशर्त होना चाहिए, ताकि धोखा देने के लिए कोई प्रोत्साहन न हो.

राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ता स्तर भी एक चुनौती है. उपरोक्त जोखिमों को कम करने से कृषि आय और मुनाफे में वृद्धि हो सकती है, लेकिन देखा जाए तो आज भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. साथ ही नीतिगत फैसलों और विधियों से संबंधित कृषि जोखिमों को दूर करने के लिए व्यापार नीति और व्यापारियों के लिए स्टाक की सीमा की घोषणा फसल लगाने से पहले घोषित की जानी चाहिए तथा इसे किसानों द्वारा कटी हुई फसल के बेचे जाने तक रहने दिया जाना चाहिए.

रबीन्द्रनाथ चौबे (कृषि मीडिया, बलिया, उत्तरप्रदेश)

English Summary: MSP: Complete information related to minimum support price, know how it is beneficial for farmers Published on: 14 April 2023, 02:48 PM IST

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