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हॉलैंड और जर्मनी तक पहुंच रही है यहां की चाय

जब भी हम चाय की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में पूर्वोत्तर के असम का नाम आता है. असम के बागान चाय के लिए बेहद ही प्रसिद्ध माने जाते है. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं

किशन

जब भी हम चाय की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में पूर्वोत्तर के असम का नाम आता है. असम के बागान चाय के लिए बेहद ही प्रसिद्ध माने जाते है. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के बस्तर में पैदा होने वाली हर्बल चाय के बारे में. जी हां, बस्तर में उगने वाली इस चाय की खुशबू अब राज्य की सीमा से निकलकर दूर विदेशों तक जा पहुंची है. यहां पर उगने वाली हर्बल चाय की खुशबू हॉलैंड और जर्मनी आदि देशों तक अपनी पैठ बना चुकी है. इस चाय का स्वाद केवल देश ही नहीं बल्कि विदेश में बैठे लोग भी ले रहे है. सबसे खास बात तो यह है कि इसका उत्पादन बस्तर की आदिवासी महिलाओं के समूह मां दंतेश्वरी प्रोडक्ट महिला के समूह द्वारा किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य तरह के 12 रोगों के इलाज के लिए यह चाय औषधि का काम करेगी.

चाय से बदली लोगों की जिंदगी

बस्तर की इस चाय ने लोगों और सैंकड़ों आदिवासियों की जिंदगी को बदल दिया है. इस तरह की खेती करने से उनको रूपये के लिए मोहताज नहीं होना पड़ेगा. यहां के कोडागांव जिले के ग्राम चिखलकुटी और आसपास के गांवो की करीब चार सौ आदिवासी महिलाएं इस समूह से जुड़ी हुई है. करीब 16 साल पहले उन्होंने समूह की शुरूआत की थी. इससे पहले वह दालचीनी और काली मिर्च को उगाते थे. बाद में वह स्टीविया की भी खेती करने लगे . इससे किसानों की आमदनी भी काफी बढ़ गई है. बाद में महिलाओं की संख्या भी वक्त के साथ बढ़ती गई . इसके बाद हर्बल चाय की शुरूआत भी की गई है.

महिलाओं ने लिया पुणे से प्रशिक्षण

अगर हम इसकी प्रजाति विंकोरोजिया की बात करें तो यह मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में सहायक है. इसमें सबसे ज्यादा योगदान डॉ राजाराम त्रिपाठी जी का है. महिलाओं ने उन्हीं के मार्गदर्शन में पुणे स्थित टिश्यू कल्चर लैब से विशेष प्रशिक्षण को प्राप्त करके एक पौधे से कई तरह के पौधे को तैयार करने का हुनर सीखा है. बाद में इसी तरह से सभी आगे बढ़ते गए .

इस चाय में खास गुण है

हर्बल चाय की खास बात यह है कि इसको बनाते समय दूध और शक्कर की जरूरत नहीं होती . इसमें मौजूदा स्टीविया से मिठास आ जाती है. इसके अंदर मौजूद लेमन ग्रास से खुशबू भी आ जाती है. आप गर्म पानी में एक पैकेट हर्बल चाय डालते ही सुंगधित मीठी चाय को आसानी से तैयार कर सकते है. इसकी एक कप की कीमत डेढ़ रूपये तक पड़ती है.  विदेशों में इस हर्बल चाय के 20 हजार से ज्यादा ग्राहक बन चुके है और बाहर इसकी कीमत प्रति यूरो के हिसाब से तय की जाती है.

English Summary: Holland and Germany are reaching here Published on: 04 April 2019, 02:31 PM IST

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