भविष्य को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों के द्वारा कई तरह के उपकरणों व नई-नई अविष्कारों को किया जाता है. वैज्ञानिकों के द्वारा यह भी सुनिच्चित किया गया है कि अगर किसी कारण से भविष्य में आपदा के चलते फसलें पूरी तरह से नष्ट हो जाती है, तो क्या होगा. क्योंकि अनाज इंसानों के जीवन के लिए बेहद महत्वूपर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों ने दुनिया भर की फसलों के बीजों को भविष्य के लिए संरक्षित रखा है.
बता दें कि दुनिया भर की फसलों के बीजों को संरक्षित रखने के लिए एक विशेष भंडारगृह भी तैयार किया गया है, जिसमें लगभग सभी तरह की फसलों के बीज उपलब्ध है. इस विशेष बीज भंडारगृह का नाम स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट/ Svalbard Global Seed Vault है. आइए इससे जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी यहां विस्तार से जानते हैं.
क्या है स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट?
आपदा को ध्यान में रखते हुए साल 2008 में वैज्ञानिकों ने नार्वे में ‘स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट’ का निर्माण किया. यह भंडारगृह एक पहाड़ के अंदर 100 मीटर से अधिक गहराई में बनाया गया है. इसमें 4.5 मिलियन फसलों के बीज नमूने संरक्षित रखे जा सकते हैं. इस वॉल्ट को "डूम्सडे वॉल्ट" भी कहा जाता है, क्योंकि यह किसी वैश्विक तबाही या आपदा के बाद उपयोग के लिए बीजों को संरक्षित रखने में मदद करता है. जहां पर फसलों के बीज संरक्षित रखे गए हैं, वह का तापमान 4 से 5 डिग्री से भी कम है.
कृषि जैव विविधता का खजाना
‘स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट’ में 13,000 साल का कृषि इतिहास/Agricultural History सुरक्षित है. इसे दुनिया की कृषि जैव विविधता का सबसे बड़ा संग्रह माना जाता है. इस वॉल्ट का मैनेजमेंट (प्रबंधन) नार्वे का क्रॉप ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है.
भारत का योगदान
इस ग्लोबल सीड वॉल्ट में भारत ने भी अपनी फसलों के बीज संरक्षित किए हैं. वॉल्ट में रखे कुल बीजों का 15% हिस्सा भारत का है. इसके अलावा, 6.1% बीज मेक्सिको और 3.8% बीज अमेरिका के हैं. यह बीजों की तिजोरी वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.
क्यों है यह वॉल्ट महत्वपूर्ण?
वैश्विक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध जैसी परिस्थितियों में यह वॉल्ट दुनिया भर की फसलों को संरक्षित रखने का काम करता है. यहां रखे बीज आने वाली पीढ़ियों के लिए कृषि उत्पादन को बनाए रखने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेंगे.
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