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ओस और वर्षा पौधों के लिए है प्राकृतिक वरदान, जानें इसके खेत-खलिहान में फायदे!

ओस की बूंदें और वर्षा का जल पौधों के लिए प्राकृतिक वरदान हैं. ये न केवल पौधों को आवश्यक नमी प्रदान करते हैं, बल्कि पोषण, मृदा संरक्षण, तापमान नियंत्रण, रोग प्रबंधन और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होते हैं. कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन प्राकृतिक जल स्रोतों का अधिकतम लाभ उठाएँ और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाएँ ताकि फसलें सदैव हरी-भरी और लहलहाती रहें.

डॉ एस के सिंह
Farmers Guide
पानी की हर बूंद अनमोल, ओस और वर्षा से खिलते खेत-खलिहान! (Image Source: Pinterest)

कृषि में जल का विशेष महत्व है और जब ओस की बूंदें और वर्षा का जल फसलों पर गिरता है, तो वे अधिक हरी-भरी और स्वस्थ दिखाई देती हैं. इस प्रभाव के पीछे कई वैज्ञानिक कारण होते हैं, जिनमें पोषण, जल अवशोषण, तापमान नियंत्रण और गैसीय विनिमय प्रमुख हैं. इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ओस और वर्षा का जल किस प्रकार फसलों को लहलहाने में मदद करता है.

1. ओस और वर्षा जल का पौधों पर प्रभाव

(क) जल की उपलब्धता एवं नमी संरक्षण

पौधों की वृद्धि के लिए जल एक अनिवार्य तत्व है. जब ओस की बूंदें या वर्षा का जल पत्तियों, तनों और मिट्टी पर गिरता है, तो यह नमी को संरक्षित करता है. जल की उपलब्धता बढ़ने से पौधे अधिक तेजी से प्रकाश संश्लेषण कर पाते हैं और उनकी वृद्धि अच्छी होती है.

(ख) मृदा में पोषक तत्वों की गतिशीलता

बारिश का जल मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को घोलने और उन्हें पौधों की जड़ों तक पहुँचाने में सहायता करता है. जब मिट्टी गीली रहती है, तो नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम आदि जैसे पोषक तत्व पौधों को आसानी से उपलब्ध होते हैं, जिससे उनकी वृद्धि अच्छी होती है.

(ग) प्रकाश संश्लेषण की क्षमता में वृद्धि

पत्तियों पर ओस और बारिश की बूंदें गिरने से धूल एवं अवांछित पदार्थ धुल जाते हैं, जिससे सूर्य का प्रकाश अधिक प्रभावी रूप से पत्तियों तक पहुँचता है. इससे प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ जाती है, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है और पौधे लहलहा उठते हैं.

2. ओस की बूंदों से फसलों को लाभ

(क) जल संतुलन बनाए रखना

रात में तापमान कम होने के कारण वातावरण में नमी संघनित होकर ओस के रूप में पत्तियों और मिट्टी पर गिरती है. यह पौधों के लिए प्राकृतिक जल स्रोत का कार्य करता है, विशेषकर शुष्क मौसम में जब मिट्टी में नमी की कमी होती है.

(ख) पौधों के तंतुओं में जल का पुनर्भरण

ओस की बूंदें पौधों की सतह से धीरे-धीरे अवशोषित हो सकती हैं, जिससे पौधों के ऊतकों में जल पुनः भर जाता है. यह विशेष रूप से उन पौधों के लिए लाभकारी होता है, जो अधिक जल वाष्पोत्सर्जन के कारण जल की कमी झेलते हैं.

(ग) वाष्पोत्सर्जन दर को संतुलित करना

ओस की उपस्थिति पौधों की पत्तियों पर एक परत बनाती है, जो दिन के दौरान अत्यधिक वाष्पोत्सर्जन को रोकती है. इससे पौधे लंबे समय तक जल संरक्षित रख पाते हैं और उनकी वृद्धि प्रभावित नहीं होती.

3. वर्षा जल का पौधों पर प्रभाव

(क) वर्षा जल की गुणवत्ता

वर्षा का जल आमतौर पर शुद्ध होता है और इसमें कोई हानिकारक लवण नहीं होते. यह जल पौधों के लिए सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि यह सीधे प्राकृतिक जल चक्र से प्राप्त होता है और इसमें आवश्यक खनिज भी घुले होते हैं.

(ख) नाइट्रोजन का प्राकृतिक स्रोत

वर्षा के जल में वायुमंडलीय नाइट्रोजन घुली होती है, जो पौधों के लिए जैवउपलब्ध रूप में उपलब्ध हो जाती है. यह नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक प्रोटीन और एंजाइमों के निर्माण में सहायक होती है.

(ग) मृदा संरचना में सुधार

लगातार सिंचाई करने से मिट्टी की संरचना प्रभावित हो सकती है, लेकिन प्राकृतिक वर्षा जल मृदा कणों को व्यवस्थित करता है और इसकी जल धारण क्षमता को बढ़ाता है. इससे मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है और पौधों की जड़ों को अच्छा वातावरण मिलता है.

(घ) तापमान नियंत्रण

गर्मी के मौसम में जब तापमान अधिक होता है, तो वर्षा के जल से मिट्टी और पौधों की सतह ठंडी हो जाती है. इससे पौधों की जैव रासायनिक क्रियाएँ अधिक प्रभावी हो जाती हैं, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है.

4. ओस एवं वर्षा जल का जैविक लाभ

(क) हानिकारक कीटों और रोगों में कमी

वर्षा जल और ओस की बूंदें पौधों की सतह से धूल और कीटों को हटाने में सहायक होती हैं. इससे कई प्रकार के फफूंदी जनित रोगों और कीट संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.

(ख) जैव विविधता को बढ़ावा

नियमित वर्षा से खेतों में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे जैविक गतिविधियाँ तीव्र होती हैं. ये सूक्ष्मजीव मृदा को उपजाऊ बनाते हैं और पौधों की जड़ों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं.

5. कृषि में ओस और वर्षा जल का महत्व

(क) पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना

ओस और वर्षा जल से पौधों की प्राकृतिक वृद्धि होती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित बना रहता है. यह न केवल कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी के क्षरण को भी रोकता है.

(ख) जल प्रबंधन एवं कृषि उत्पादन

वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) और ओस की प्राकृतिक नमी का संरक्षण करके किसानों को जल संकट से बचाया जा सकता है. यह तकनीक विशेष रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होती है.

English Summary: Dew rain benefits plants fields barns Published on: 11 February 2025, 04:54 PM IST

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