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'कृषि क्षेत्र में कदम-कदम पर है महिलाओं का योगदान, फिर भी नहीं मिलती पहचान', MFOI अवॉर्ड 2023 में महिला किसानों ने रखे अपने विचार

MFOI Awards 2023 के दूसरे दिन कृषि आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में महिला किसानों के योगदान जैसे विषयों पर चर्चा हुई. इस दौरान कई महिला किसानों और उद्यमियों ने इस पर अपने विचार रखे.

बृजेश चौहान

MFOI Awards 2023: 'महिंद्रा मिलियनेयर फार्मर अवार्ड 2023' के दूसरे दिन के पहले सत्र में कृषि आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में महिला किसानों के योगदान पर चर्चा हुई. इस दौरान कई महिला किसानों और उद्यमियों ने इस पर अपने विचार रखे. अवॉर्ड शो में आए किसानों को संबोधित करते हुए प्रगतिशील किसान सुमन शर्मा ने कहा कि देश में महिलाएं भी खेती करती हैं और खेती में उनका अहम योगदान रहता है. लेकिन, उन्हें वह पहचान नहीं मिलती. उन्होंने कहा कि इस बदलते दौर में महिला किसान भी अब आगे बढ़ रही है और खेती के जरिए अपनी आर्थिकि को मजबूत कर अपना नाम बना रही है.

'प्रोसेस फूड की अहमियत समझें किसान' 

उन्होंने कहा कि वह खुद आंवले और सोयाबीन की खेती करती हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है. उन्होंने कहा कि फसल उत्पादन से उन्हें उतना अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता जितना फसल को प्रोसेस करने के बाद मिलता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वह मुख्य तौर पर आंवले की खेती करती हैं. लेकिन, उन्हें अपनी फसल के अच्छे दाम नहीं मिल पाते थे. जिसके चलते उन्होंने आंवले को प्रोसेस किया और उससे आचार, मुरब्बा, कैंडी जैसे उत्पाद तैयार किए. जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिक गए. इसके बाद उन्होंने बड़े स्तर पर इसे ये काम शुरु किया और आज वह क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी अपने साथ जोड़कर उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूत कर रही हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को प्रोसेस फूड की अहमियत समझनी होगी. क्योंकि, प्रोसेस होने के बाद खाद्य पदार्थ की कीमत अपने आप बढ़ जाती है. ऐसे में किसान अपनी फसल को प्रोसेस करके भी बाजार में बेच सकते हैं. 

'महिलाएं सिर्फ घर-गृहस्ती तक सीमित नहीं'

सुमन शर्मा ने कहा कि उन्होंने महिलाएं का एक संगठन बना रखा है जो फूड प्रोसेसिंग का काम करती है. जिससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है और वह आत्मनिर्भर भी हो रही हैं. उन्होंने कहा कि महिलाएं अब काम करने लगी हैं और महिलाओं ने खुद को समझना भी शुरू कर दिया है. फिर भी कृषि क्षेत्र में महिलाओं को वह दर्जा नहीं मिला पाता जो उन्हें मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि महिलाएं सिर्फ घर गृहस्ती तक ही सीमित नहीं है. उन्हें भी एक मेहनती और सशक्त किसान का दर्जा दिया जाना चाहिए.

'कृषि के विकास में शिक्षा की भी है अहम भूमिका' 

इसके अलावा, दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की प्रिंसिपल सिमरित कौर ने कृषि के क्षेत्र में महिला कृषि उद्यमियों और नेताओं की अगली पीढ़ी के पोषण में शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए मूल्यवान शैक्षणिक दृष्टिकोण प्रदान किए. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जैविक खाद और वित्तीय सहायता की मदद से किसान आसानी से उत्पादन बढ़ा सकते हैं. इस दौरान प्रगतिशील किसान सुनीता और भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी एसएमएल लिमिटेड (सल्फर मिल्स लिमिटेड) की निदेशक कोमल शाह भुखनवाला ने भी अपने विचार रखे.

'कृषि क्षेत्र में बढ़ी महिलाओं की भूमिका'

इस दौरान कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड की निदेशक ने कहा कि कृषि क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में महिलाओं की भूमिका काफी तेजी से बढ़ी है. इस क्षेत्र में महिला किसानों का कदम-कदम पर योगदान है, इसके बावजूद इस क्षेत्र में अपने वजूद को लेकर महिलाएं संघर्ष कर रही हैं. ‘महिंद्रा मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड-2023’ में कई महिलाओं को भी सम्मानित किया गया है, जो कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनकर बहुत अच्छा कर रही हैं. मुझे उम्मीद है की इस अवॉर्ड शो के बाद महिला किसानों के प्रति लोगों की सोच बदलेगी. साथ ही इस पुरस्कार समारोह को सफल बनाने के लिए मैं आप सभी का धन्यावाद करती हूं.

English Summary: Womens contribution in the agriculture sector is there at every step yet they are not recognised women farmers expressed their views in the MFOI Award 2023 Published on: 07 December 2023, 12:28 PM IST

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