भारत देश में ज्यादातर लोग रोज काम करके अपने खाने का इंतजाम करते हैं, लेकिन आज भी हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने लिए एक वक्त का खाने का भी इंतजाम नहीं कर पाते है. निर्धन परिवार की इस समस्या का हल निकालने के केंद्र सरकार ने जन विवरण प्रणाली के तहत देशभर में दुकानों का संचालन कर रही है.
सरकार की इस प्रणाली के तहत देश में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सो पाएंगा. आपको बता दें कि इन दुकानों से देश के उन लोगों को राशन मुहैया करवाया जाएगा, जो गरीबी रेखा के नीचे आते हैं.
जानकारी के मुताबिक, इन सभी दुकानों पर 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपये किलो चावल दिया जाएगा. इसी तरह की एक प्रणाली साल 2014 में केंद्र सरकार ने लोगों को एपीएल और बीपीएल दर्ज के तहत राशन बांटा था. लेकिन सत्ता पलट के बाद से इस दोनों व्यवस्थाओं को हटाकर पीएचएच (प्रायोरिटी हाउसहोल्ड) और एएवाई (अंत्योदय अन्न योजना) के तहत लोगों को राशन बांटा गया.
बता दें कि वर्तमान समय में पीएचएच राशन कार्ड उन परिवारों को दिया जाता है, जो गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. इस राशन कार्ड में प्रति सदस्य को हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न दिया जाता है. जिसमें दो किलो गेहूं और तीन किलो चावल शामिल है.
गरीबों को 35 किलो तक राशन दिया जाएगा (Ration up to 35 kg will be given to the poor)
देश में गरीब से गरीब लोगों को राशन कार्ड बनाया जाता है. इन राशन कार्ड के माध्यम से ही गरीब परिवारों को हर महीने राशन दिया जाता है. इसी में से एक अंत्योदय अन्न योजना है, जिसके तहत गरीब लोगों का राशन कार्ड बनाया जाएगा. जिसमें उन्हें करीब 35 किलो तक राशन दिया जाएगा. हालांकि, इस योजना में देश के प्रति व्यक्ति को राशन देने का कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, इस योजना में ऐसे परिवार का राशन कार्ड बनाया जाएगा, जिसमें परिवार की संख्या कम हो. बिहार में गरीब परिवार के सदस्यों को राशन के साथ 1 लीटर केरोसिन तेल भी दिया जाता है. हर राज्य आपने- अपने बजट के अनुसार राशन के साथ गरीबों को अन्य सामान देती है.
राशन कार्ड के लिए आवेदन प्रक्रिया (Ration card application process)
भारत सरकार की इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको प्रपत्र "क" का फार्म भरना होगा. यह फॉर्म ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्रक्रियाओं के द्वारा भरा जा सकता है. फॉर्म भरने के 45 दिनों के अंदर आपका राशन कार्ड बनकर आपके घर आ जाएगा.
मनमानी डीलरों पर सरकार की निगरानी (Government monitoring on arbitrary dealers)
भारत सरकार राशन कार्ड पर हर महीने सिर्फ चावल, गेहूं और मिट्टी का तेल देती है. गरीबों के लिए सरकार एफसीआई द्वारा राज्य के एसएफसी (स्टेट फूड कॉरपोरेशन) को अनाज उपलब्ध कराती है. इसके बाद ही स्टेट फूड कॉरपोरेशन सभी डीलरों को अनाज प्रदान कराती है.
ऐसे में कई डीलरों को अच्छा कमीशन भी प्राप्त होता है. डीलरों के द्वारा गरीबा का हक का मरे इसके लिए सरकार ने बायोमेट्रिक मशीन की व्यवस्था सभी राशन की दुकानों पर भी कर दी है. जिससे मनमानी डीलरों पर सरकार की निगरानी बनी रह सके.
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