आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती बाल श्रम है. गरीबी की वजह के बच्चे मजबूर होकर मजदूरी करना शुरू कर देते हैं. लेकिन आपको बता दें कि, बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन व सरकार अपने-अपने स्तर पर कई योजनाएं व कार्य करती रहती है.
इसी क्रम में दुनियाभर में हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है.
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का उद्देश्य
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बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाना.
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बच्चों को मजदूरी करने से रोकना.
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बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाना.
बाल श्रम पर रोक के लिए कई कानून पारित किए
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, सबसे पहले बाल श्रम के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहल की थी. इसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित किया गया जिसके तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना अपराध माना जाएगा. ILO ने बाल श्रम पर रोक लगाने और साथ ही उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया. बता दें कि, अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) में करीब 187 सदस्य देश शामिल हैं. यह भी कहा जाता है कि, बाल श्रम निषेध दिवस को बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण भी माना जाता है.
विश्व में कई बच्चे करते हैं मजदूरी
जैसे कि आप सब लोग जानते हैं कि, कोरोना महामारी के कारण विश्व भर में कई लोग सड़क पर आ गए थे. तो कई लोगों का रोजगार भी छीन गया था. इसका असर बच्चों पर भी देखने को मिला है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में बच्चों को मजबूरन मजदूरी की तरफ धकेला गया.
देखा जाए तो विश्व में लगभग 16 करोड़ से भी अधिक बच्चे बाल श्रम की चपेट में हैं. यह भी देखा गया है कि ज्यादातर बच्चे अपना जीवन यापन करने के लिए खतरनाक काम भी करते है. बच्चों के लिए इतने कानून होने के बावजूद भी आज के समय में सबसे अधिक बाल मजदूरी (child labour) हर जगह देखने को मिलती है.
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