सरकार भले ही किसानों के हमदर्द होने की बात कहती हो लेकिन क्या ये सच है..? जी नहीं सच ये है कि आज भी किसान बस प्रक्रति और भगवान् के भरोसे ही जीवित है. वर्तमान समय में किसान एक नहीं बल्कि 2 समस्याओं से जूझ रहे हैं.
गेंहू की फसल घर में आ गई है तो धान लगाने की तैयारी है, परंतु हाथ खाली है। वहीं शादी ब्याह का मौसम होने से आर्थिक संकट से गुजर रहे किसान औने पौने भाव में अपना गेहूं बेचने को मजबूर है। सरकार ने गेहूँ का समर्थन मूल्य 1735 निर्धारित कर रखा है लेकिन जिले में एक छटांक गेहूँ की अधिप्राप्ति नहीं हुई है। नतीजतन किसान बिचौलियों के हाथ महज सस्ता गेहूं बेच रहे हैं।
मौसम की मार ने वैसे भी किसान को बर्बाद कर रखा है लेकिन अब प्रशाशन भी उनकी बात नही सुन रहा है. ऐसे में किसान भगवान् भरोसे ही तो है.
Share your comments