यूं समझ लीजिए की अब कोरोना के खिलाफ जंग के दौरान लॉकडाउन लगने का सिलसिला-सा शुरू हो चुका है. कभी किसी राज्य में तो कभी किसी राज्य में. खैर, यह सिलसिला कब तक जारी रहेगा. इसे लेकर कुछ भी कहना मुश्किल है, मगर एक बात तो बिल्कुल आइने की तरह साफ है, वो यह है कि एक-एक कर प्रत्येक राज्य में लगने जा रहे लॉकडाउन से, सबसे ज्यादा हमारे समाज के मजदूर वर्ग प्रभावित हो रहे हैं. इस बीच हरियाणा को ही ले लीजिए. यहां कोरना संकट इतना गहरा गया कि आखिरकार प्रदेश सरकार को 9 जिलों में साप्ताहिक लॉकडाउन लगाना ही पड़ गया. बीते कुछ दिनों से हरियाणा के कई जिलों में कोरोना के मामले अपने चरम पर पहुंचते जा रहे हैं. ऐसे में अगर समय रहते स्थिति पर काबू नहीं पाया गया, तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं, लिहाजा समय रहते राज्य सरकार ने उक्त कदम उठाया है, मगर प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद से यूं समझ लीजिए सूबे का मजदूर वर्ग खौफ में है.
प्रदेश सरकार के इस ऐलान के बाद अब आहिस्ता-आहिस्ता मजदूरों का पलायन शुरू हो गया. खामोश हो चुकी गलियों में महज मजदूरों के कदमों की आहट ही सुनाई दे रही है. अपने बरसों की कमाई अपनी झोली में समेट कर गांव देहात जाने को मजबूर हो चुके मजूदरों की वेदना समझने वाला कोई नहीं दिख रहा है.
वहीं, कोई बस अड्डे पर बस का इंतजार करता, तो कोई रेलवे स्टेशन पर अपनी मंजिल तक पहुंचाने वाली ट्रेन का इंतजार करता हुआ नजर आ रहा है. इस दौरान कई मजदूरों को रेलवे स्टेशन से निराश होकर लौटना पड़ गया. प्रदेश की लाइफ लाइन माने जाने वाली ऑटो रिक्शा वाले भी थम से गए, लिहाजा मजदूरों को पैदल ही अपनी मंजिल की ओर जाने के लिए बाध्य होना पड़ा.
मजदूरों को इस बात का खौफ है कि कहीं आने वाले दिनों में प्रदेश में संपूर्ण लॉकडाउन न लगा दिया जाए. अगर ऐसा हुआ, तो यकीनन मजदूरों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लिहाजा बीते दिनों के दर्द से सबक लेते हुए मजदूर इस बार कुछ अनहोनी होने से पहले ही रूखसत होना मुनासिब समझ रहे हैं. मजदूर नहीं चाहते हैं कि इस बार उन्हें पहले जैसे दर्द से होकर गुजरना पड़े, लिहाजा इस बार सतर्कता बरतते हुए सभी मजदूर अपने-अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं.
गौरतलब है कि अभी पूरे देश में कोरोना वायरस का कहर अपने चरम पर पहुंच चुका है. आए दिन संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस तरह संक्रमण के मामले बढने से हर कोई खौफ में आ चुका है. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए.
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