देशभर में जहां एक तरफ ट्रक, बस और डंपर चालकों द्वारा केंद्र सरकार के नए कानून हिट एंड रन के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अब एक बार फिर देश के किसान अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे हैं. दरअसल, हाल ही में मंगलवार यानी कि 2 जनवरी को अमृतसर के जंडियाला में पंजाब और हरियाणा से आए किसान नेताओं ने महारैली का आयोजन किया था. ये रैली किसान नेताओं द्वारा खासतौर पर किसानों के लंबित पड़ी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए की गई थी. इस दौरान किसानों ने ऐलान किया है कि वो एक बार फिर 13 फरवरी को दिल्ली पहुंचेंगे और सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे..
किसान नेताओं ने इस कूच में देश के हर कोने से किसानों को एकत्रित होने का आह्वान किया है. साथ ही चेतावनी जारी करते हुए कहा कि या तो सरकार उनकी मांगों को पूरा करें या फिर वो अपने आंदोलन को और तेज करेंगे.
आखिर क्या हैं किसानों की प्रमुख मांगें ?
बात करें किसानों की मांगों की तो, किसानों की प्रमुख मांगों में लखीमपुरी खीरी कांड में पीड़ित किसानों को इंसाफ, कर्जमाफी और फसलों के लिए एमएसपी गारंटी शामिल है. 2 जनवरी को हुई रैली के बाद अब 6 जनवरी 2024 को बरनाला में महारैली का आयोजन किया जाने वाला है. आपको बता दें कि किसान आंदोलन के बाद से ही पंजाब और हरियाणा एक तरह से किसानों के लिए आंदोलन का गढ़ बना हुआ है.
जहां एक तरफ हरियाणा में इस साल होने वाले चुनावों को देखते हुए किसान अपने आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के किसान भी अपनी मांगों को लेकर किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने को तैयार नजर आ रहे हैं. इसके अलावा बात करें पंजाब के किसानों की, तो बीते काफी समय से गन्ने के एफआरपी में बढ़ोत्तरी को लेकर किसानों की मांग लगातार बनी हुई है. हालांकि सरकार द्वारा इसमें बढ़ोत्तरी की गई है, लेकिन किसान सरकार द्वारा बढ़ाए गए दामों से नाखुश हैं.
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कर्जमाफी और एमएसपी गारंटी पर डटे किसान
इन मांगों के अलावा किसानों की सबसे बड़ी मांग उनकी कर्जमाफी और एमएसपी को लेकर है. किसान चाहते हैं कि सरकार द्वारा उनकी पूर्णकर्जमाफी की मांग को स्वीकार कर लिया जाए. साथ ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए सरकार की ओर से गारंटी दी जाए और इसके लिए संसद में कानून भी बनाया जाए.
लेकिन जरूरी बात ये है कि किसानों की ये मांगें बीते काफी समय से सरकार के आगे हैं जिनपर अभी तक किसी तरह का फैसला नहीं लिया गया है और सवाल यहां ये है कि क्या 26 जनवरी को देशभर में होने वाली ट्रैक्टर परेड और 13 फरवरी को होने वाले दिल्ली कूच व किसान रैलियों के बाद सरकार इन मांगों पर कोई एक्शन लेगी या नहीं..
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